Shiv Parvati Aarti: कभी आपने ध्यान से सुना है – “जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा”? ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसी दिव्य तरंग है जो मन के भीतर शांति और आस्था का प्रकाश जगाती है। शिव और पार्वती की आरती में यही शक्ति है – भक्ति, प्रेम और आत्मिक संतुलन का संगम।
भारत में सदियों से आरती को पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। जब आरती की थाली में दीप जलते हैं और घंटे-घड़ियाल की ध्वनि के साथ “जय शिव पार्वती माता” गूंजती है, तो वातावरण में अद्भुत ऊर्जा फैल जाती है। कहा जाता है कि इस आरती के माध्यम से हम अपने जीवन में शिव-पार्वती का आशीर्वाद आमंत्रित करते हैं।
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओमकारा
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे
स्वामी पञ्चानन राजे
हंसासन गरूड़ासन
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे
ॐ जय शिव ओमकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहेP
स्वामी दसभुज अति सोहे
तीनो रूप निरखता
तीनो रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहे
ॐ जय शिव ओमकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी
त्रिपुरारी कंसारी
कंचन बिन मन चंगा
कर माला धारी
ॐ जय शिव ओमकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
स्वामी बाघम्बर अंगे
सनकादिक ब्रम्हादिक
ब्रम्हादिक सनकादिक
भूतादिक संगे
ॐ जय शिव ओमकारा
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी
स्वामी चक्र त्रिशूलधारी
जगहर्ता जगकर्ता
जगहर्ता जगकर्ता
जगपालन कारी
ॐ जय शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका
प्रानवाक्षर के मध्ये(प्रानवाक्षर के मध्ये)
ये तीनो के धार
ॐ जय शिव ओमकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे
स्वामी जो कोइ नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी
कहत शिवानन्द स्वामी
मनवान्छित फल पावे
ॐ जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा प्रभु हर शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओमकारा
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ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥
जय पार्वती माता
अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥
जय पार्वती मातासिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
जय पार्वती माता
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥
जय पार्वती माता
शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥
जय पार्वती माता
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥
जय पार्वती माता
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
जय पार्वती माता
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥
जय पार्वती माता
शिव पार्वती आरती सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। भगवान शिव को “संहारक” और “योगी” कहा गया है, जबकि माता पार्वती शक्ति और सौंदर्य की प्रतिमूर्ति हैं। दोनों मिलकर सृष्टि के संतुलन का प्रतीक हैं — शिव बिना शक्ति अधूरे हैं और शक्ति बिना शिव का अस्तित्व नहीं।
इस आरती को गाने से मन में वैराग्य और भक्ति दोनों का भाव जागृत होता है।
यह आरती मानसिक तनाव को दूर करती है।
दांपत्य जीवन में प्रेम और समझ बढ़ाती है।
शिव-पार्वती की कृपा से पारिवारिक कलह, असफलता और भय का नाश होता है।
ध्यान या पूजा से पहले यह आरती वातावरण को सकारात्मक बनाती है।
जो व्यक्ति रोजाना श्रद्धा से यह आरती करता है, उसके जीवन में स्थिरता, प्रेम और समृद्धि बनी रहती है।
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आरती करने के लिए किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती, बस दिल में भक्ति और सच्चा भाव होना चाहिए। फिर भी, कुछ नियमों का पालन करने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है —
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र रखें।
दीपक में घी या सरसों का तेल जलाएं।
फूल, अक्षत (चावल), बेलपत्र, दूध और जल अर्पित करें।
अब शुद्ध मन से आरती का गायन करें।
अंत में भगवान को नमस्कार करें और अपने परिवार की मंगल कामना करें।
आरती के दौरान वातावरण में अगरबत्ती या धूप जलाने से मन और अधिक केंद्रित रहता है।
आरती करने के लिए सबसे उत्तम समय सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे) और शाम सूर्यास्त के बाद माना जाता है।
सोमवार, प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि, सावन माह और श्रावण सोमवार के दिन आरती करने का विशेष महत्व होता है।
इन दिनों शिव-पार्वती की आरती करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं और नकारात्मकता दूर होती है।
दांपत्य जीवन में सौहार्द: जो दंपति नियमित रूप से शिव-पार्वती की आरती करते हैं, उनके बीच प्रेम और समझ बढ़ती है। ये आरती संबंधों में स्थिरता लाती है।
मन की शांति: जब मन में चिंता या अशांति होती है, तब यह आरती एक ऊर्जा के रूप में काम करती है। इसका कंपन मन को स्थिर करता है।
आर्थिक स्थिरता: शिव-पार्वती की कृपा से घर में समृद्धि और सुख का संचार होता है। आरती के दौरान किए गए संकल्प धीरे-धीरे फलीभूत होते हैं।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: भगवान शिव को ‘महाकाल’ कहा गया है — वे सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करते हैं। आरती के समय घर का वातावरण शुद्ध और शांत हो जाता है।
भक्ति और आत्मिक संतुलन: शिव-पार्वती की आरती करने से व्यक्ति के भीतर संतुलन आता है। ये आरती शरीर, मन और आत्मा – तीनों को एक दिशा देती है।
शिव पार्वती आरती सिर्फ पूजा की एक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक जुड़ाव की एक यात्रा है। जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से इसे गाता है, तो उसका मन शिव की तरह शांत और पार्वती की तरह करुणामय बन जाता है।
जीवन के हर उतार-चढ़ाव में यह आरती एक दीपक की तरह राह दिखाती है – स्थिर, उज्जवल और शाश्वत।