क्या हैं कुंडली के 12 भाव में सूर्य के होने के परिणाम

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क्या हैं कुंडली के 12 भाव में सूर्य के होने के परिणाम

ज्योतिशास्त्र के अनुसार, सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यह आत्मा, यश, सम्मान और सफलता का कारक होता है। कुंडली में सूर्य की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति ही यह तय करती है कि व्यक्ति का जीवन कैसा होने वाला है। अगर कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत है तो यह आपको जीवन में शुभ फल प्रदान करता है। 

सूर्य की कृपा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। यह लोगों को ऊंचे पदों तक पहुंचाने में और समाज में मान-सम्मान दिलवाने में भी मदद करता है। अगर कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में है तो यह लोगों को जीवन में कई तरह के कष्ट देता है। ऐसे में लोगों को सफलता मिलने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही लोगों को आर्थिक समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। सूर्य कुंडली के हर भाव में अलग-अलग परिणाम देता है। आइए जानते हैं कि सूर्य कुंडली के सभी 12 भावों में क्या-क्या फल देते हैं।  

सूर्य का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव

सूर्य का कुंडली के हर भाव पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं हर भाव में इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव को।

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सूर्य का कुंडली के पहले भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: कुंडली में पहला भाव, मान सम्मान, यश, शारीरिक उपस्थिति और पूरे व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य आपकी कुंडली के पहले भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के भीतर करिश्मा और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह व्यक्ति आमतौर पर एक बेहतरीन व्यक्तित्व रखते हैं जो दूसरों को आकर्षित करता है। उनके पास सफलता के लिए एक मजबूत इच्छा होती है और अक्सर अपने लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वाकांक्षी होते हैं। इन लोगों के लिए सरकारी नौकरी की भी अच्छी संभावना होती है। यह जो ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं, चाहें उसके लिए कितनी भी मेहनत करनी पड़े।  

नकारात्मक प्रभाव: सूर्य व्यक्तियों को अहंकारी, आत्म-केंद्रित और बहुत ज्यादा प्रभावशाली बना सकता है। ऐसे लोगों को हमेशा यह लग सकता है कि उन्हें लोगों की अटेंशन की सख्त जरूरत है। ऐसे लोगों के लिए विनम्रता के साथ अपने आत्मविश्वास को बैलेंस करना और बहुत ज्यादा आत्म-केंद्रित होने से बचना महत्वपूर्ण है।

सूर्य का कुंडली के दूसरे भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: कुंडली में दूसरा भाव धन, वित्त, और भौतिक संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य दूसरे घर में स्थित होता है, तो यह आपको वित्तीय स्थिरता और समृद्धि का आशीर्वाद देता है। यह व्यक्ति आर्थिक रूप से सफल होते हैं और धन जमा करने की प्राकृतिक क्षमता रखते हैं। हालांकि फिर भी इनके भीतर घमंड दिखाने या दिखावा करने जैसा कोई अवगुण नहीं होता। इनका व्यक्तित्व ऐसा होता है कि हर कोई इनसे मित्रता करने की इच्छा रखता है। इसके अलावा सूर्य की उपस्थिति लोगों के अंदर आत्मविश्वास की अच्छी भावना पैदा करती है जिससे वे अपने करियर में तरक्की करने सक्षम होते हैं। 

नकारात्मक प्रभाव: अगर इसके दूसरे पक्ष को देखें तो सूर्य का दूसरे भाव में होना, वित्तीय चुनौतियों और आत्मसम्मान के साथ मुद्दों को जन्म दे सकता है। यह लोगों के भीतर अधिक खर्च करने या अत्यधिक भौतिकवादी होने की आदत पैदा कर सकता है। ये लोग हर कार्य को पूरा करने में जल्दबाज़ी करते हैं, लेकिन कभी-कभी यह आदत उन्हें नुकसान भी पहुंचा सकती है। 

सूर्य का कुंडली के तीसरे भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: कुंडली में तीसरा भाव, भाई-बहनों, छोटी यात्राओं और साहस का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य तीसरे भाव में स्थित होता है, तो यह संचार कौशल को बढ़ाता है और व्यक्ति अंदर एक निडर रवैया विकसित करता है। इस प्लेसमेंट वाले व्यक्ति अपने विचारों और दृष्टिकोण को व्यक्त करने की अपनी क्षमता में बेहतरीन होते हैं। वे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखना जानते हैं। वे सबके सामने अपनी बात बहुत ही निडरता से रखते हैं और सार्वजनिक स्तर पर बोलने से घबराते नहीं है। यही कारण है कि यह लोग उन क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं जिनके लिए अच्छे संचार कौशल की आवश्यकता होती है।

नकारात्मक प्रभाव: तीसरा भाव में सूर्य कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी देता है। तीसरे भाव में सूर्य भाई-बहनों के साथ बातचीत और संबंधों में चुनौतियां पैदा कर सकता है। इससे अहंकार का टकराव हो सकता है और बातचीत पर हावी होने की आदत भी विकसित होने लगती है। इस कारण ऐसे लोगों को सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बनाए रखने के लिए दूसरों की बात सुनने और लोगों के प्रति सहानुभूति रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

सूर्य का कुंडली के चौथे भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: जातक की कुंडली में चौथा भाव घर, परिवार, भावनाओं और संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य चौथे घर में स्थित होता है, तो लोग अपने पारिवारिक मामलों में बहुत रूचि लेते हैं। अपने परिवार के प्रति यह लोग बहुत गंभीर होते हैं और उनको हर मुश्किल से बचाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों का अपने परिवार से अच्छा और काफी करीबी संबंध होता है। इसके साथ ही माता-पिता के साथ भी एक मजबूत रिश्ता साझा करते हैं। ये अपने परिवार के लिए एक अच्छा माहौल बनाते हैं ताकि सभी के बीच बेहतरीन संबंध बने रहें।

नकारात्मक प्रभाव: चौथे भाव में सूर्य की स्थिति आपको कभी कभी ऐसा महसूस करवा सकती है कि आपकी अच्छाई आप पर भारी पड़ रही और आप निराश भी महसूस कर सकते हैं। घरेलु मामलों में हद से ज्यादा शामिल होने के कारण आप रिश्तों पर हावी हो सकते हैं। ऐसे लोगों को महसूस हो सकता है कि उनके विचार या प्लान ही सबसे अच्छे हैं। ये जल्दी से किसी और की बात को सुनने या मानने से बचते हैं और केवल अपनी बात को सही ठहराते हैं। इन लोगों को दूसरों की बात सुनने और परिवार के भीतर उचित माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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सूर्य का कुंडली के पांचवे भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पांचवां भाव रचनात्मकता, बच्चों, और रोमांस का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य पांचवें भाव में स्थित होता है, तो यह लोगों के अंदर रचनात्मकता को बढ़ाता है और कला के क्षेत्र में बेहतरीन अवसर भी दे सकता है। ये लोग अपने आप से प्यार करते हैं और ऐसी चीज़ें करते हैं जिसमें उन्हें मज़ा आता है। ये लोग अभिनय, लेखन या संगीत जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

नकारात्मक प्रभाव: इसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी होते हैं। पांचवें घर में सूर्य की स्थिति कभी-कभी रोमांटिक संबंधों और रचनात्मक प्रयासों में चुनौतियों का कारण बन सकती है। यह लोगों के भीतर एक अहंकारी व्यवहार विकसित कर सकता है। सूर्य की स्थित प्रेम संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है। इन लोगों के लिए जरूरी है कि अपने व्यवहार को विनम्र रखें। रिश्तों और अपने रचनात्मक गतिविधियों के लिए अच्छा दृष्टिकोण बनाए रखें।

सूर्य का कुंडली के छठवें भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: कुंडली का छठवां भाव स्वास्थ्य, काम, सेवा और दैनिक दिनचर्या का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य छठवें भाव में स्थित होता है, तो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत सचेत रहते हैं और हमेशा ऐसी आदतें अपनाते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। इसके अलावा यह लोग अपने करियर को बेहतर करने के लिए नए-नए कौशल भी विकसित करते हैं। यह उन्हें अपनी प्रोफेशनल लाइफ में आगे बढ़ने में मदद करता है। इनका स्वभाव मेलजोल बढ़ाने वाला होता है, इसलिए लोगों के साथ इनके संबंध अच्छे होते हैं।  

नकारात्मक प्रभाव: हालांकि, इसके नकारात्मक पक्ष की ओर देखें तो छठे भाव में सूर्य की स्थिति कार्यस्थल पर कुछ चुनौतियों का कारण भी बन सकती है। काम के प्रति आपका समर्पण आपके सहयोगियों को दबाव महसूस करवा सकता है। यह लोग दूसरों से भी अधिक मेहनत की उम्मीद कर सकते हैं। अक्सर ऐसा होगा कि इनका यह रवैया लोगों को पसंद नहीं आएगा और वे इनके साथ काम नहीं करेंगे। 

सूर्य का कुंडली के सातवें भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: ज्योतिष में सातवां भाव साझेदारी, विवाह और व्यावसायिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य सातवें भाव में स्थित होता है, तो लोग अपने पार्टनर के प्रति बहुत ज्यादा गंभीर और भावुक होते हैं। बात चाहें प्रोफेशनल लाइफ की हो या पर्सनल लाइफ की लोगों को हमेशा एक सही पार्टनर की तलाश में काफी लंबा समय लेते हैं। हालांकि इनकी यह खोज व्यर्थ नहीं जाती जब यह एक आदर्श साथी खोज लेते हैं तो जीवन में बहुत ऊंचाई तक जाने में सक्षम हो जाते हैं। ऐसे लोग रिश्तों को महत्व देते हैं और एक ऐसे पार्टनर की तलाश करते हैं जो उनके व्यक्तित्व और महत्वाकांक्षाओं को समझे। 

नकारात्मक प्रभाव: सातवें घर में सूर्य की स्थिति कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी देती है। यह लोगों के भीतर संघर्ष करने की क्षमता को कम कर देती है। लोग चुनौतियों का सामना करने की बजाय उनसे भाग जाने का प्रयास करते हैं। ऐसे में रिलेशनशिप हो बिजनेस पार्टनरशिप दोनों ही प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा यह लोग नए लोगों से मिलना जुलना ज्यादा पसंद करते। यह अपने लोगों के साथ ही समय बिताने को प्राथमिकता देते हैं। 

सूर्य का कुंडली के आठवें भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: आठवां भाव परिवर्तन, आयु, विरासत और कष्टों का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य आठवें भाव में स्थित होता है, तो यह तीव्रता और परिवर्तन की इच्छा लाता है। ऐसे लोग एक ही तरह का जीवन जीने में रूचि नहीं रखते हैं। यह जीवन में आगे बढ़ते रहना पसंद करते हैं। इनकी एक विशेषता यह भी होती है कि यह लोग जीवन में सभी चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखते हैं और समय के अनुसार स्थिति को सँभालने का कौशल रखते हैं। यह लोग अपने लक्ष्यों के प्रति बहुत ज्यादा दृढ़ होते हैं। इसलिए करियर में कुछ बेहतर करने की संभावना अधिक होती है।  

नकारात्मक प्रभाव: आठवें भाव में सूर्य हमेशा सकारात्मक प्रभाव ही नहीं देता। यह लोगों को अपनी पर्सनल लाइफ में कुछ भावनात्मक चुनौतियां दे सकता है। यह लोग अपने पार्टनर से अपने दिल की बात करने में सक्षम नहीं होते। इसके अलावा यह जीवन में जल्दी से किसी पर भरोसा नहीं करते। यही कारण है कि लोग दूसरों से रिश्ते बनाने में थोड़ा पीछे रहते हैं। 

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सूर्य का कुंडली के नौवें भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: नौवां भाव उच्च शिक्षा, आध्यात्मिकता, और लंबी दूरी की यात्रा का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य नौवें घर में स्थित होता है, तो यह लोगों के भीतर धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में रूचि को बढ़ावा देता है। इसके प्रभाव से लोग जीवन के सही अर्थ की तलाश करने लगते हैं। इसके अलावा यह लोग अपने लाइफ पार्टनर और बिजनेस पार्टनर दोनों के साथ बहुत अच्छा संबंध बनाकर रखते हैं। यह जहां भी होते हैं वहां का माहौल सकारात्मक बना देते हैं।   

नकारात्मक प्रभाव: वहीं अगर नौवें भाव में सूर्य की स्थिति नकारात्मक है तो लोग थोड़ा आत्म केंद्रित हो सकते हैं। यह लोग मान सकते हैं कि केवल इनके विचार और दृष्टिकोण ही सही हैं। यह दूसरों पर अपनी मान्यताओं को थोपने की आदत का कारण बन सकता है। अपने विचारों को जरूर रखें, लेकिन ध्यान रहे कि दूसरों के विचारों का सम्मान करना भी आपके लिए जरूरी है।  

सूर्य का कुंडली के दसवें भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: दसवां भाव करियर, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक छवि और अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य दसवें घर में स्थित होता है, तो यह लोगों के प्रोफशनल लाइफ में सफलता लेकर आता है।  ऐसे लोग अपनी प्रोफेशनल लाइफ को बेहतर बनाने के लिए काफी मेहनत करते हैं। यही कारण है कि इनके लक्ष्य और सपनों का पूरा होना कुछ हद तक आसान हो जाता है। यह नेतृत्व की भूमिका में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। यह लोग एक अच्छी लाइफ स्टाइल की इच्छा रखते हैं ताकि इनका और इनके परिवार का जीवन स्तर अच्छा हो जाये। 

नकारात्मक प्रभाव: हालांकि अगर नकारात्मक पक्ष की ओर देखें तो, दसवें भाव में सूर्य कि स्थिति कार्यस्थल में आपके भीतर अहंकार की भावना ला सकता है, जिसके कारण आपको अपने ऑफिस में अधिकारियों के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आपको अपने व्यवहार पर थोड़ा नियंत्रण करने की जरूरत है। 

सूर्य का कुंडली के ग्यारहवें भाव पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव: ग्यारहवां भाव दोस्ती, सामाजिक नेटवर्क, आकांक्षाओं और लाभ का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य ग्यारहवें घर में स्थित होता है, तो लोग ज्यादा सामाजिक हो जाते हैं। उनके आस-पास रहने वाले व्यक्ति उनसे संबंध बनाने क प्रयास कर सकते हैं। यह लोग अक्सर लोकप्रिय, प्रभावशाली होते हैं, और दूसरों को प्रेरित करने की क्षमता रखते हैं। इसके अलावा इनका स्वाभाव बहुत दयालु होता है, इसलिए यह हर किसी से दिल से जुड़ते हैं और सभी की समस्याओं को समझने का प्रयास करते हैं।  

नकारात्मक प्रभाव: अगर सूर्य प्रतिकूल परिस्थिति में हैं तो आपको कुछ मुश्किलें भी हो सकती हैं। यह लोग अपने हितों को नज़रंदाज़ करते हुए दूसरे लोगों के बारे में ज्यादा सोच सकते हैं। दूसरों की चिंता करना या उनके बारे में सोचना एक अच्छा गुण है लेकिन आपको इसके बीच संतुलन बनाना चाहिए।   

सूर्य का कुंडली के बारहवें भाव पर प्रभाव 

सकारात्मक प्रभाव: बारहवां भाव आध्यात्मिकता, एकांत, अवचेतन मन और छिपे हुए दुश्मनों का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य बारहवें भाव में स्थित होता है, तो यह जीवन में आध्यात्मिकता की ओर झुकाव लेकर आता है। ऐसे लोग अक्सर परोपकार और धर्म से जुड़े कार्यों में शामिल रहते हैं। अगर सूर्य शुभ दिशा में होते हैं तो लोग अच्छी धन प्राप्ति करते हैं और एक बेहतरीन पारिवारिक जीवन का आनंद लेते हैं। 

नकारात्मक प्रभाव: बारहवें भाव में सूर्य की स्थिति नकारात्मक भी हो सकती है। इसमें व्यक्ति को जीवन के शुरूआती चरणों में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को सफल होने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। आर्थिक क्षेत्र की बात करें तो धन कमाने के लिए भी लोगों को लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है। 

अगर आप अपनी व्यक्तिगत जन्मकुंडली पर सूर्य का प्रभाव जानना चाहते हैं या अपनी कुंडली में सूर्य  को मजबूत करना चाहते हैं तो एस्ट्रोयोगी के ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल मुफ्त है।

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