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आपकी जन्मपत्री यानी कुंडली ग्रहों और भावों से बनी होती है। ये ग्रह आपस में मिलकर कई योग बनाते हैं, जो आपके जीवन के अलग-अलग पहलुओं से जुड़े होते हैं। आज आप इस लेख में कुंडली में विभिन्न योगों और उनके फलों के बारे में जानेंगे।
ज्योतिष में योग का मतलब ग्रहों की एक खास स्थिति से होता है। ये ग्रह जब किसी भाव में होते हैं या फिर अलग-अलग भावों में एक-दूसरे को देखते हैं। तो यह आपक जीवन के लिए कुछ खास योग संयोजन के रूप में जानें जाते हैं, जो इस प्रकार हैं:
राजयोग: यह एक शुभ योग है जो व्यक्ति को राजनीति, व्यवसाय या किसी क्षेत्र में उच्च पद दिला सकता है। जब ग्रहों की युति केंद्र भाव में हो तब यह योग बनता है। जन्म कुंडली में नौवां स्थान भाग्य का और दसवां कर्म का माना जाता है। इन दोनों घरों की वजह से ही व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिलती है। अगर जन्म कुंडली के नौवें या दसवें घर में मजबूत ग्रह मौजूद रहते हैं तो उन परिस्थितियों में भी राजयोग का निर्माण होता है।
गजकेसरी योग: यह भी एक शुभ योग है जो व्यक्ति को धन, वैभव और मान-सम्मान दिलाता है। कुंडली में बृहस्पति और चंद्रमा की युति केंद्र भाव में होने पर गजकेसरी योग बनता है।
दुर्योग: कमजोर ग्रहों की युति या अशुभ ग्रहों की दृष्टि अशुभ फल देती है। इससे परेशानी और रुकावटें आ सकती हैं। यह दुर्योग राहु और केतु की युति होने से बनता है।
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योगों का विश्लेषण कैसे करें?
योगों के फलों का विश्लेषण करने के लिए ज्योतिषी ग्रहों की बलाबल, भावों की स्थिति और अन्य ज्योतिषीय नियमों को देखते हैं। केवल ग्रहों की स्थिति के आधार पर योग का फल बताना सही नहीं होता है।
कुछ अशुभ योगों के बावजूद आप कर्म और प्रयास से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिष मार्गदर्शन देता है, लेकिन जीवन का निर्धारण आपका कर्म करता है। कुछ लोगों को लगता है कि कुंडली में सिर्फ अशुभ योग ही होते हैं। हालांकि, यह सच नहीं है। कुंडली में कई शुभ योग भी होते हैं जो व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाते हैं।
कुंडली के विभिन्न योग आपके जीवन की दिशा को निर्धारित करते हैं। ज्योतिषीय विश्लेषण आपको इन योगों को समझने और उनसे जुड़े फलों के लिए तैयारी करने में मदद कर सकता है। अपनी कुंडली के योगों के बारे में अधिक जानने के लिए आप एस्ट्रोयोगी के एक्सपर्ट एस्ट्रोलॉजर से संपर्क कर सकते हैं।