वैशाख मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है इस माह में आने वाले त्यौहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख मास की एकादशियां, पूर्णिमा हों या अमावस्या सभी तिथियां पावन हैं लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2025 में वैशाख पूर्णिमा 12 मई को है। इस दिन पूर्णिमा उपवास रखा जायेगा। इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण भी लगेगा। तथा साथ में भगवान बुद्ध जयंती भी वैशाख पूर्णिमा है।
12 मई 2025, सोमवार (वैशाख पूर्णिमा व्रत, वैशाख पूर्णिमा)
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 11 मई, रात 08:01 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 12 मई, रात 10:25 बजे तक
वैशाख पूर्णिमा का हिंदू एवं बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये विशेष महत्व है। महात्मा बुद्ध की जयंती इस दिन मनाई जाती है इस कारण बुद्ध के अनुयायियों के लिये तो यह दिन खास है ही लेकिन महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार भी बताया जाता है जिस कारण यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिये भी बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
वैशाख पूर्णिमा पर सत्य विनायक व्रत रखने का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने से व्रती की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है। मान्यता है कि अपने पास मदद के लिये आये भगवान श्री कृष्ण ने अपने यार सुदामा (ब्राह्मण सुदामा) को भी इसी व्रत का विधान बताया था जिसके पश्चात उनकी गरीबी दूर हुई। वैशाख पूर्णिमा को धर्मराज की पूजा करने का विधान है मान्यता है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता ऐसी मान्यता है।
वैशाख पूर्णिमा के दिन अपने स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर ही स्नान करें।
तत्पश्चात साफ सुथरे वस्त्र धारण करके पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
फिर व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
एक साफ चौकीपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
प्रतिमा पर जलाभिषेक करें और भगवान श्रीहरि पर पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, चंदन, तुलसी, पंचामृत, फल आदि अर्पित करें।
इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें।
हो सके तो विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करें और आखिर में भगवान विष्णु की आरती गाएं।
तत्पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा दान करना चाहिये। ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवाने के पश्चात ही स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिये। सामर्थ्य हो तो स्वर्णदान भी इस दिन करना चाहिये।
रात्रि के समय दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूर्ण चंद्रमा की पूजा करनी चाहिये और जल अर्पित करना चाहिये।
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