विश्वकर्मा पूजा 2021 कब है? जानिए महत्‍व, पूजा विधि और आरती

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विश्वकर्मा पूजा 2021 कब है? जानिए महत्‍व, पूजा विधि और आरती

हिंदू धर्म में अधिकतर तीज-त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार ही मनाए जाते हैं लेकिन विश्वकर्मा पूजा एक ऐसा पर्व है जिसे भारतवर्ष में हर साल 17 सितंबर को ही मनाया जाता है। इस दिवस को भगवान विश्वकर्मा के समर्पण और उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें दिव्य वास्तुकार और देवी-देवताओं के महलों का निर्माता माना जाता है। वैसे तो यह जंयती पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाई जाती है लेकिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इसका अलग महत्व है। बता दें कि देव विश्वकर्मा ने सतयुग में स्वर्गलोक, द्वापर की द्वारिका और त्रेतायुग की लंका का निर्माण किया था।

 

विश्वकर्मा जयंती शुभ मुहुर्त

इस बार विश्वकर्मा जयंती को 17 सिंतबर 2021 को मनाया जाएगा।

विश्कर्मा पूजा संक्रांति काल- 17 सितंबर 2021 रात 01 बजकर 29 मिनट

 

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का अपना ही एक विशेष महत्व है। मान्यता है कि अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को भगवान ब्रह्मा के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इस दिन विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करने से देव विश्वकर्मा प्रसन्न हो जाते हैं और व्यवसाय आदि में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है। पंडितजी का कहना है कि कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजन का अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजन करने पर आपको कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। खासतौर पर व्यापार वर्ग की सभी परेशानियां और धन-संपदा से जुड़ी दिक्कतें खत्म हो सकती हैं।

 

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कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?

भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार, वास्तुशास्त्र का देवता, प्रथम इंजीनियर और मशीन का देवता कहा जाता है। विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को 'देव बढ़ई' कहा गया है। पौराणिक काल में विश्वकर्मा ने राक्षसों से देवताओं को बचाने के लिए महर्षि दधीचि की हड्डियों से देवराज इंद्र के लिए वज्र बनाया था जिसकी मदद से उन्होने असुरों का वध किया था। इतना ही नहीं उड़ीसा स्थित जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी देव विश्वकर्मा ने ही किया था। इसके अलावा सतयुग में लंका से राम, लक्ष्मण और सीता को अयोध्या वापस आने के लिए पुष्पक विमान का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।

 

विश्वकर्मा जयंती पूजन विधि

  • आमतौर पर इस दिन दफ्तर और कारखानों में विशेष रूप से भगवान विश्वकर्मा का पूजन किया जाता है। इसके अलावा जो लोग इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, चित्रकारी, वेल्डिंग और मशीनों से जुड़े हुए काम करते हैं वे इस दिन को काफी धूमधाम से मनाते हैं।
  • इस दिन कारखानों या कार्यस्थलों पर मशीनों, गाडि़यों, कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे अन्य मशीनों की सफाई की जाती है और इसके बाद उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
  • इस दिन प्रातकाल उठकर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पूजास्थल को साफ करें और भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • इसके बाद दीपक प्रज्जवलित करके पुष्प व अक्षत से भगवान का  पूजन करें।
  • इसके पश्चात इस मंत्र का जाप करें, "ओम आधार शक्तये नम:, ओम कूर्माये नम:, ओम अन्नतम नम:, ओम पृतिव्यै नम:।" इस मंत्र के बाद अपनी मशीनों या औजारों की पूजा करके हवन करें और पूजन के बाद उनका इस्तेमाल न करें।  

 

विश्‍वकर्मा की आरती

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥

 

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