12 साल में एक बार होने वाला कुंभ मेला 2021 (Kumbh Mela 2021) में धार्मिक नगरी हरिद्वार में आयोजित हो रहा है। इससे पहले महाकुंभ का आयोजन 1986, 1998 और 2010 में हुआ है। भारत में महाकुंभ मेले को हिंदू धर्म की तीर्थयात्राओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इस मेले में सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु शामिल होने के लिए आते हैं। हिंदुस्तान में कुंभ मेले को आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए लाखों-करोड़ों लोग पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। इस बार ये संगम गंगा नदी पर होगा। देश की तीन पावन नदियों- गंगा, यमुना और अब लुप्त हो चुकी सरस्वती के संगम पर लोग अपने पापों का प्रायश्चित करने और मोक्ष पाने की लालसा में पहुंचते हैं। इस बार कुंभ का आयोजन 14 जनवरी से शुरू होकर अप्रैल महीने तक चलेगा।
वैसे तो कुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष के बाद होता है, लेकिन महाकुंभ 2021 का आयोजन काफी खास है, क्योंकि ये 12वें साल में नहीं बल्कि 11वें साल में हो रहा है और ऐसा 83 साल के बाद पहली बार होने जा रहा है। इससे पहले इस तरह का संयोग साल 1938 में बना था और ये संयोग ग्रहों की चाल के कारण होता है। दरअसल, चंद्रमा, सूर्य, और बृहस्पति विभिन्न राशियों में किस स्थिति में हैं, इसके आधार पर कुंभ मेले का स्थान निर्धारित किया जाता है। हरिद्वार में कुंभ मेला तब आयोजित किया जाता है जब बृहस्पति कुंभ राशि में होता है, और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। बृहस्पति या गुरु बारह राशियों के चक्र को 11 साल, 11 महीने और 27 दिनों में पूरा करते हैं। इसका मतलब यह है कि हर 12 साल में, बृहस्पति एक ही स्थिति में चले जाते हैं और कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं।
जब बृहस्पति अपना चक्र पूरा कर लेता है और फिर से कुंभ राशि में प्रवेश करता है, और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तो हरिद्वार में 'कुंभ महापर्व' का सही मुहूर्त बनता है। पूर्ण कुंभ मेला हर बारह साल में एक बार आयोजित किया जाता है। हर आठवां कुंभ मेला 11 साल बाद होता है, और यही कारण है कि 21 वीं सदी का आठवां कुंभ 2021 में हो रहा है।
कुंभ मेला भले ही 12 साल में एक बार आयोजित होता हो, लेकिन अर्धकुंभ हर 6 साल में आयोजित होता है। कुंभ के दो प्रकार हैं, एक है अर्धकुंभ और दूसरा महाकुंभ। आपको बता दें कि अर्धकुंभ केवल हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है। उज्जैन और नासिक में लगने वाले पूर्ण कुंभ को 'सिंहस्थ' कहा जाता है। 2019 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अर्धकुंभ का नाम बदल दिया था। उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म में कुछ भी अधूरा नहीं है, इसलिए अर्धकुंभ को कुंभ कर दिया गया।
दरअसल, 2021 में कुंभ का आयोजन कोरोना महामारी के बीच हो रहा है। ऐसे में यहां बहुत कुछ बदला-बदला दिखेगा। कोरोना काल के चलते पूरे कुंभ में कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना होगा। 2021 में कुंभ मेले में कुल 4 शाही स्नान और 9 गंगा स्नान होंगे।
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