सनातन धर्म में रथ सप्तमी (rath saptami) को अचला सप्तमी भी कहा जाता है, जिसे धार्मिक रूप से प्रासंगिक त्योहारों में से एक माना जाता है। रथ सप्तमी को पूरे भारत में मनाया जाता है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी (Achala Saptami 2021 के अलावा 'माघ सप्तमी, 'माघ जयंती' और 'सूर्य जयंती' भी कहते हैं। रथ सप्तमी माघ महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस तिथि को भगवान सूर्य के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल रथ सप्तमी 19 फरवरी 2021 के दिन बुधवार को पड़ रही है। यह तिथि भगवान सूर्य नारायण को समर्पित की जाती है। ज्योतिषी मानते हैं कि यदि यह तिथि रविवार को पड़ती है तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। रविवार के दिन माघ शुक्ल सप्तमी पड़ती है तो उसे अचला भानू सप्तमी कहा जाता है।
रथ सप्तमी की पौराणिक कथा इस प्रकार है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने बाहुबल पर बहुत अधिक अभिमान था। इसी अभिमान के चलते एकबार शाम्ब ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया था। दुर्वासा ऋषि को शाम्ब की धृष्ठता के कारण क्रोध आ गया, जिसके पश्चात उन्होंने शाम्ब को कुष्ठ हो जाने का श्राप दे दिया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र शाम्ब से भगवान सूर्य नारायण की उपासना करने के लिए कहा। शाम्ब ने भगवान कृष्ण की आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी शुरू कर दी, जिसके सूर्य नारायण की कृपा से उन्हें अपने कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई। इसलिए सूर्य सप्तमी के दिन जो भी सूर्य भगवान की आराधना सच्चे हृदय से करता है उसे रोगों से मुक्ति प्राप्त होकर आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है।
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कहा जाता है कि रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर भगवान सूर्य की पूजा करने से, भक्त अपने अतीत और वर्तमान पापों से छुटकारा पाते हैं और मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग के समीप एक कदम बढ़ाते हैं। साथ ही भगवान सूर्य दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य को प्रदान करते हैं और यह माना जाता है कि भक्तों को इसका आशीर्वाद मिलता है यदि वे इस शुभ अवसर पर देवता की पूजा करते हैं ।
स्नान मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 55 मिनट तक
सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 18 फरवरी 2021 को सुबह 08:17 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त - 19 फरवरी 2021 को सुबह 10:58 बजे तक
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