सूर्य यंत्र

सूर्य यंत्र

ज्योतिषशास्त्र में बारह राशियों और नवग्रहों को विशेष महत्व है। वहीं नवग्रहों में प्रत्येक ग्रह का अपना महत्व है, लेकिन इन सभी ग्रहों में सूर्य का विशेष महत्व है और उसे ग्रहो के राजा या पिता कहा गया है। सूर्य को आत्मा कारक माना गया है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य की अच्छी स्थिति होती है वे लोग आत्मविश्वास से भरपूर होते है। वहीं सूर्य की शुभ प्रभाव होने पर जात का भाग्य हमेशा चमकता रहता है। सूर्य को य़श प्रदान करने वाला भी कहा गया है इसलिए जिस जातक की कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में होता है इसे राजनीति और सरकारी विभागो में यश, मान- सम्मान और उच्च पद प्राप्त होता है। वहीं जिनकी कुंडली में सूर्य की दशा चल रही होती है, उन जातकों में आत्मविश्वास की कमी बनी रहती है और उन्हें अपयश और आक्षेपों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ज्योतिष के अनुसार कमजोर सूर्य को मजबूत बनाने के लिए सूर्य मंत्र सबसे प्रबल उपाय है। इसकी नियमित पूजा करने से आपको जीवन में नये आयाम प्राप्त हो सकते हैं।


सूर्य यंत्र लाभ

सूर्य यंत्र के प्रभाव से जातक को कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है। 
सूर्य यंत्र (Surya Yantra) को स्थापित करने से सरकारी कामकाज, नौकरी और व्यापार में भी विशेष लाभ प्राप्त होता है। 
वहीं घर के पूजा स्थल में इस यंत्र को स्थापित करने से कोर्ट-कचहरी में चल रहे मामलो में जीत हासिल होती है।
जिन व्यक्तियों को सिरदर्द, बुखार, हृदय संबंधी समस्या और आंखों से जुड़ी समस्या आदि होती है उन्हें सूर्य यंत्र का पेंडेट धारण करना चाहिए।
जिन जातकों की अपने पिता से नहीं बनती है उन्हें सूर्य यंत्र को अपने घर में स्थापित करना चाहिए।
जिन जातकों को अपयश या अक्षेपों का सामना करना पड़ता है तो उनसे बचने के लिए उन्हें सूर्य यंत्र पेडेंट पहनना चाहिए।
यदि किसी की कुंडली में सूर्य खराब स्थिति में है तो बाकी सभी ग्रह भी अपन पूर्ण प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं। ऐसे में सूर्य यंत्र लाभ प्रदान करता है। 
इस यंत्र की मदद से आप अपने बॉस या उच्च अधिकारियों के साथ मधुर संबंध बनाने में सफल रहते हैं। 
यदि आपको अत्यधिक गुस्सा आता है तो आपको सूर्य यंत्र पेडेंट अवश्य धारण करना चाहिए। 


ध्यान रखने योग्य बातें

सूर्य यंत्र (Surya Yantra) को स्थापित करते वक्त इसके शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा जैसे महत्वपूर्ण चरण सम्मिलित होने चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा करवाए बिना सूर्य यंत्र विशेष लाभ प्रदान नहीं करता है। इसलिए इस यंत्र को स्थापित करने से पहले सुनिश्चित करें कि यह विधिवत बनाया गया हो और इसकी प्राण प्रतिष्ठा हुई हो। सूर्य यंत्र खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेकर उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। अभ्यस्त और सक्रिय सूर्य यंत्र को रविवार के दिन स्थापित करना चाहिए।


स्थापना विधि

सूर्य यंत्र को स्थापित करने के लिए सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि के बाद इस यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार सूर्य के बीज मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:" का जाप करें। तत्पश्चात यंत्र पर गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें और सूर्यदेव से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें। सूर्य यंत्र (Surya Yantra) स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक  इसका पूजन करें। 

सूर्य यंत्र मंत्र - "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:"


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