महालक्ष्मी यंत्र

महालक्ष्मी यंत्र

श्वेत हाथियों के द्वारा स्वर्ण कलश से स्नान करती हूई कमलासन पर विराजमान देवी महालक्ष्मी के पूजन से वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि आपके घर में हमेशा दरिद्रता बनी रहती है और आपकी किस्मत आपका साथ नहीं दे रही है तो आपको अपने घर या ऑफिस में श्री महालक्ष्मी यंत्र (Mahalaxmi Yantra) की स्थापना करनी चाहिए। इस यंत्र को सर्व सिद्धिदाता, धनदाता या श्रीदाता कहा जाता है।मान्यता है कि इस यंत्र को स्थापित करने से देवी कमला की प्राप्ति होती है और जीवनभर के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती हैं। वहीं इस यंत्र से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार एक बार लक्ष्मी जी पृथ्वी से बैकुंठ धाम चली गईं, इससे पृथ्वी पर संकट आ गया। तब महर्षि वशिष्ठ ने महालक्ष्मी को धरती पर वापस लाने के लिए और प्राणियों के कल्याण के लिए श्री महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित किया और उसकी साधना की। इस यंत्र की साधना से लक्ष्मी जी पृथ्वी पर प्रकट हो गईं। 


महालक्ष्मी यंत्र के लाभ

धन संबंधी सारी समस्याओं से निजात पाने के लिए आपको श्री महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करना चाहिए। 
यदि आप पर कर्ज है और आप उसे चुका नहीं पा रहे हैं तो आपको अपने कार्यस्थल पर इस यंत्र को प्रतिष्ठित करना चाहिए।
धन के साथ -साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी आप इस यंत्र को रोगी के कमरे में स्थापित कर सकते है। इससे मरीज के स्वास्थ्य में जल्द ही सुधार होने लगता हैं। 
इस यंत्र को स्थापित करने से यदि आपके व्यापार में घाटा हो रहा है तो खत्म होने के आसार हैं। 
श्री महालक्ष्मी यंत्र को प्रतिष्ठित करने से लक्ष्मी मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह स्थाईरूप से निवास करने लगती हैं। 


ध्यान रखने योग्य बातें

श्री महालक्ष्मी यंत्र (Mahalaxmi Yantra) को दीपावली, धनतेरस, रविपुष्य, अभिजीत मुहूर्त या किसी शुभ मुहूर्त में स्थापित करना चाहिए। इस यंत्र की आकृति विचित्र होती हैं और इस यंत्र में जो भी अंक या आकृतियां बनी होती हैं उनका संबंध किसी न किसी देवी-देवता से जरूर होता है। इस यंत्र को श्रीयंत्र के पास रखने से सभी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाते हैं। इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो और प्राण प्रतिष्ठित हो। प्राण प्रतिष्ठा करवाए बिना इस यंत्र का विशेष लाभ प्राप्त नहीं होता है। श्री महालक्ष्मी यंत्र को खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी द्वारा अभिमंत्रित करके उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। अभ्यस्त और सक्रिय महालक्ष्मी यंत्र (Mahalaxmi Yantra) को शुक्रवार के दिन स्थापित करना चाहिए।


स्थापना विधि

श्री महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करने के लिए कार्तिक अमावस्य़ा का दिन शुभ माना जाता है। यंत्र स्थापना से पूर्व सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर इस यंत्र को पूजन स्थल पर रखकर इस यंत्र के आगे दीपक जलाएं और इस पर फूल अर्पित करें। तत्पश्चात इस यंत्र को गौमूत्र, गंगाजल और कच्चे दूध से शुद्ध करें और 11 या 21 बार "ऊं ह्रीं ह्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्।।" बीज मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात इस यंत्र को स्थापित करने के बाद इसे नियमित रूप से धोकर दीप-धूप जलाकर ऊं महालक्ष्मयै नम: मंत्र का 11 बार जाप करें और लक्ष्मी माता से प्रार्थना करे वह आप पर कृपा बरसाती रहें। इस यंत्र को स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक  इसका पूजन करें। यदि आप इस यंत्र से अत्यधिक फल प्राप्त करना चाहते हैं तो महालक्ष्मी यंत्र (Mahalaxmi Yantra) की रचना चांदी, सोने और तांबे के पत्र पर करवा सकते हैं।

श्री महालत्र्मी यंत्र का बीज मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥


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