नवग्रहों में गुरु ग्रह को सबसे शुभ ग्रह माना जाता है। साथ ही यह ग्रह विवाह, नौकरी, ज्ञान, परिवार आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यदि किसी जातक की कुंडली में गुरु अच्छी स्थिति में है तो दीर्घायु, मनचाही नौकरी, धन लाभ, पिता का साथ और कन्या के लिए अच्छे जीवनसाथी का निर्णय भी यही करते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कई बार अशुभ ग्रहों के प्रभाव की वजह से गुरु अपना शुभ फल नहीं दे पाते हैं ऐसे में जातकों को नौकरी, कारोबार संबंधी परेशानी, माता-पिता से विवाद और कन्या के विवाह में समस्याएं भी पैदा होती हैं। वहीं कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आने लगती है. मान प्रतिष्ठा में कमी आने लगती है, व्यर्थ के वाद-विवाद होने लगते हैं। ऐसे में गुरु यंत्र (Guru Yantra) की मदद से किसी जातक की कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
गुरु यंत्र की पूजा करने से व्यक्ति को बृहस्पति की शक्ति प्राप्त होती है और व्यापार में लाभ मिलता है।
गुरु यंत्र (Guru Yantra) की उपासना से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।
जो छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए गुरु यंत्र का प्रयोग लाभदायक हो सकता है।
इस यंत्र के शुभ प्रभाव से जातक को मान-सम्मान, धनलाभ और जीवन में सुख-शांति आदि प्राप्त होती है।
यदि आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो रही है तो आपको इस यंत्र की पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है।
इस यंत्र को स्थापित करने से व्यक्ति में आध्यात्मिक रुचि बढ़ती है।
यदि किसी जातक की शादी में समस्याएं पैदा हो रही है तो उसे गुरु यंत्र के पेडेंट को धारण करने से लाभ मिलता है।
इस यंत्र को स्थापित करने से शीघ्र ही आपको शादी के प्रस्ताव मिलने लगेंगे व गुरु संबंधित अन्य दोष भी दूर हो जाएंगे।
गुरु यंत्र को स्थापित करते वक्त इसके शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा जैसे महत्वपूर्ण चरण सम्मिलित होने चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा करवाए बिना गुरु यंत्र विशेष लाभ प्रदान नहीं करता है। इसलिए इस यंत्र को स्थापित करने से पहले सुनिश्चित करें कि यह विधिवत बनाया गया हो और इसकी प्राण प्रतिष्ठा हुई हो। गुरु यंत्र खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेकर उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। अभ्यस्त और सक्रिय गुरु यंत्र को गुरुवार के दिन स्थापित करना चाहिए।
गुरु यंत्र को स्थापित करने के लिए सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर गुरु यंत्र को पूजन स्थल पर रखकर 11 या 21 बार गुरु के बीज मंत्र का “ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:” का जाप करें। इसके बाद गुरु यंक्ष को गौमूत्र, गंगाजल और कच्चे दूध से शुद्ध करें और बृहस्पति भगवान से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें। तत्पश्चात, पीले फूल, पीला फल और पीली मिठाई अर्पित करें। गुरु यंत्र (Guru Yantra) स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र के पेडेंट को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।
गुरु यंत्र का बीज मंत्र - “ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:”