शास्त्रों के अनुसार देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में 8वीं महाविद्या है यह स्तम्भन की देवी हैं। शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए, कोर्ट कचहरी के विवाद, कानूनी दांव पेंच, झगड़ों में सफलता, प्रतियोगी परीक्षा में सफलता पाने के लिए पीठासीन देवी बगलामुखीय यंत्र को अपने घर में स्थापित करना चाहिए। इस यंत्र का उपयोग पौराणिक काल से होता आ रहा है, क्योंकि पहले समय में राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए और उनकी शक्ति को नियंत्रित करने के लिए इस यंत्र की साधना करते थे। इस यंत्र को प्रतिष्ठित करने से मृ्त्यु, दुर्घटना और अहिंसा आदि से बचाव होता है। साथ ही इस यंत्र की स्थापना से लंबी बीमारी और बुरी शक्तियों का भी नाश होता है। यदि आप अपने घर में इस यंत्र को स्थापित करते हैं तो आपके सभी कार्य शीघ्र सिद्ध होने लगते हैं। बगलामुखी यंत्र (Baglamukhi Yantra) को पीतांबरी विद्य़ा भी कहते हैं।
बगलामुखी यंत्र का उपयोग शत्रु को परास्त करने और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
विजय पाने के लिए, कार्ट-कचहरी विवाद और मुकदमों में सफलता पाने के लिए इस यंत्र को स्थापित करना शुभ माना जाता है।
इस यंत्र को प्रतिष्ठित करने से जीवन में हर तरह की बाधा दूर हो जाती है।
इस यंत्र की साधना करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं और प्रेतबादा का नाश भी होता है।
बगलामुखी यंत्र को प्रतिष्ठित करने से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
यदि आपके घर में कोई लंबे वक्त से बीमार है तो आपको इस यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
बगलामुखी यंत्र को घर में स्थापित करने से पितृदोष और वास्तुदोष समाप्त हो जाते हैं।
बगलामुखी यंत्र (Baglamukhi Yantra) को पश्चिम या पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। साथ ही इसका प्रभाव सूर्य की बढ़ती किरणों के साथ बढ़ता है। इस यंत्र को अपने घर या कार्यस्थल पर प्रतिष्ठित करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वैसे तो मार्केट में आपको रेडीमेट बगलामुखी यंत्र मिल जाएगा लेकिन इसका अधिक फल पाने के लिए आप चने की दाल से इस यंत्र को बनवा सकते हैं। बगलामुखी यंत्र की साधना के लिए सूर्य मकर राशिस्थ हो, मगंलवार की चतुर्दशी को उत्तम माना गया है। मान्यता है इसी अर्धरात्रि के समय देवी श्री बगलामुखी प्रकट हुई थी। इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो और प्राण प्रतिष्ठित हो। यदि आप माता बगलामुखी का शुभ प्रभाव प्राप्त करना चाहते हैं ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर यंत्र को बनवाना लाभकारी सिद्ध होता है और इस यंत्र को मंगलवार को स्थापित करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
बगलामुखी यंत्र की स्थापना रात में करनी चाहिए, क्योंकि इस समय यंत्र की ऊर्जा अधिक शक्तिशाली होती है। इस यंत्र का निर्माण महाशिवरात्रि, होली या दीपावली के दौरान करना चाहिए। इस यंत्र की स्थापित करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से इसको अभिमंत्रित करा लेना चाहिए ताकि आपको शीघ्र इसका पूर्ण लाभ मिल सके।
बगलामुखी यंत्र (Baglamukhi Yantra) को वेदी पर रखें और उसके समक्ष दीप और धूप प्रज्जवलित करें। यदि हो सके तो माता बगलामुखी के चित्र को भी यंत्र के सामने स्थापित करें। तत्पश्चात यंत्र पर गंगाजल छि़ड़के। बगलामुखी यंत्र की स्थापना और नियमित पूजा के वक्त पीला वस्त्र धारण करें, पीले आसन पर विराजमान हों और पीले फल या पीले फूल अर्पित करें। इस यंत्र के सामने मां बगलामुखी को समर्पित करते हुए 11 या 21 बार "ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा" का जाप करें। इसके बाद माता बगलामुखी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें ताकि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान कर सकें। इस यंत्र को स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।
श्री बगलामुखी यंत्र का बीज मंत्र - ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।