मंगल यंत्र

मंगल यंत्र

नवग्रहों में मंगल को सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह शारीरिक ताकत और मानसिक शक्ति एवं मजबूती का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी शुभ और अनुकूल स्थिति जातक को निडर और साहसी बनाती है। नवग्रहों में इसे सेनापति का पद मिला हुआ है। जिस जातक की कुंडली में मंगल उच्च स्थान पर होता है उनके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य सफलतापूर्वक पूरा होता है और समाज में उनके मान-सम्मान में वृद्धि होती है। वहीं अशुभ मंगल जीवन में अमंगल का विष घोल देता है। मेष एवं वृश्चिक राशि वालों को, मेष तथा वृश्चिक लग्न वालों को और जिनकी कुंडली में मंगल अशुभ रूप से कार्य कर रहे है तो उनकी अशुभता को कम करने के लिए मंगल यंत्र को धारण उत्तम माना गया है। 


मंगल यंत्र के लाभ

किसी कुंडली में मंगल के प्रभाव को अधिक बल प्रदान करने के लिए मंगल यंत्र (Mangal Yantra) को स्थापित किया जाता है। 
यदि आपकी कुंडली में मंगल नकारात्मक और अशुभ हैं तो आपको मंगल रत्न धारण करने की बजाय मंगल यंत्र को स्थापित करना चाहिए। 
मंगल यंत्र के द्वारा कुंडली में अशुभ मंगल द्वारा बनाए जा रहे मांगलिक दोष के निवारण के लिए मंगल यंत्र की सहायता ली जाती है। बता दें कि मांगलिक दोष होने पर जातक को वैवाहिक जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में याद रखें कि लाल मूंगा ना पहने क्योंकि इससे मांगलिक दोष का प्रकोप और बढ़ जाता है। 
इस यंत्र के शुभ प्रभाव से जातक के बल और पराक्रम में वृद्धि होती है। जातक मानसिक रूप से भी अधिक सक्षम हो जाता है जिसके कारण जातक अनेक प्रकार के कार्यों को पहले की अपेक्षा अधिक सहजता और कुशलता से करने में सक्षम हो जाता है। 
मंगल यंत्र (Mangal Yantra) के शुभ प्रभाव से भाइयों और मित्रों के साथ संबंध मधुर बने रहते हैं और जीवन में उन्नति मिलने के आसार बढ़ जाते हैं। 
इसके अतिरिक्त इस यंत्र का इस्तेमाल जादू टोने के दूर करने के लिए भी किया जाता है।
मंगल यंत्र के शुभ प्रभाव से जातक के मान- सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
जिन महिलाओं के गर्भ धारण करने के में समस्या पैदा हो रही है तो उन्हें मंगल यंत्र का पूजन करना चाहिए।
जिन व्यक्तियों को रक्त प्रदर, रक्त दोष, किसी प्रकार का ज्वर, खुजली, मासिक धर्म संबंधी समस्या और अल्सर जैसे रोगों के निवारण के लिए मंगल यंत्र काफी कारगर सिद्ध होता है।


ध्यान रखने योग्य बातें

मंगल यंत्र को स्थापित करते वक्त इसके शुद्धिकरण और प्राण प्रतिषअठा जैसे महत्वपूर्ण चरण सम्मिलित होने चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा करवाए बिना मंगल यंत्र विशेष लाभ प्रदान नहीं करता है। इसलिए इस यंत्र को स्थापित करने से पहले सुनिश्चित करें कि यह विधिवत बनाया गया हो और इसकी प्राण प्रतिष्ठा हुई हो। मंगल यंत्र खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेकर उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। यदि उत्तम फल पाना चाहते हैं तो इस यंत्र को मंगलवार के दिन स्थापित करें। 


मंगल यंत्र स्थापना विधि

मंगल यंत्र (Mangal Yantra) को स्थापित करने के लिए सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि के बाद इस यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार मंगल के बीज मंत्र ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: का जाप करें। तत्पश्चात यंत्र पर गंगाजल छि़ड़के और मंगल महाराज से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें। मंगल यंत्र स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक  इसका पूजन करें। 
मंगल यंत्र मंत्र -  ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: 


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