सृष्टि के जन्मदाता ब्रह्मा जी हैं, सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु जी और सृष्ट के संहारकर्ता शिवजी हैं। वैदिक ज्योतिष में भगवान शिव की पूजा के साथ साथ उन्हें प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए महामृत्युंजय यंत्र (Maha Mrityunjaya Yantra) का उपयोग किया जाता है। इस यंत्र की स्थापना करने से भगवान भोलेनाथ के साथ आपके प्रगाढ़ संबंध स्थापित हो जाते हैं। यदि जातक की कुंडली में विभिन्न प्रकार के रोग या दोष हैं तो इस यंत्र की स्थापना से उनका निवारण संभव है। इस यंत्र को प्रतिष्ठित करने से दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, आध्यात्मिक विकास और शिवजी की कृपा प्राप्त हो सकती है।
यदि किसी जातक को यदि दुर्घटना, अकालमृत्यु और प्राणघातक बीमारियों का डर सताता रहता है तो उसे अपने घर में महामृत्युजंय यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह उच्चकोटि का दार्शनिक यंत्र है और जिसमें जीवन और मृत्यु का राज छिपा हुआ है।
इस यंत्र की प्रतिष्ठा करने से बुद्धि, विद्या, यश और लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में ग्रह दोष या पीड़ादायक महादशा चल रही है तो उसे शिव यंत्र पेडेंट धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।
यदि आपको मानसिक या शारीरिक पीड़ा है और आप कानूनी विवाद में फंसे हुए हैं तो इन सब से उबरने के लिए महामृत्युंजय यंत्र काफी कारगर है।
महामृत्युजंय यंत्र को स्थापित करने से कुंडली में स्थित ना़ड़ी दोष, षड़ाष्टक (भकूट) दोष या मंगली दोष दूर हो सकता है।
महामृत्युंजय यंत्र (Maha Mrityunjaya Yantra) की निर्माण विधि एक तांत्रिक प्रणाली पर आधारित है इसे बनाने के लिए रेखा गणित के प्रमेय, निर्मेय, त्रिकोण, चतुर्भुज आदि आकृतियां बनाकर उनमें बीज मंत्र लिखा जाता है। इसका निर्माण भोजपत्र, कागज या किसी धातु की वस्तु पर किया जा सकता है। इस पर लिखने के लिए रक्त चंदन की स्याही या बेल या अनार की कलम का इस्तेमाल किया जाता है। इस यंत्र की स्थापना या धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।
महामृत्युंजय यंत्र को सम्मुख रखकर रूद्र सूक्त का पाठ करने एवं महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से लाभ प्राप्त होता है। इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखें कि महामृत्युंजय यंत्र विधिवत शुद्धिकरण, प्राणप्रतिष्ठा और ऊर्जा संग्रही की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो। साथ ही महामृत्युंजय यंत्र (Maha Mrityunjaya Yantra) को खऱीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी द्वारा अभिमंत्रित करके उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। अभ्यस्त और सक्रिय शिव यंत्र या महामृत्युजंय यंत्र को सोमवार के दिन स्थापित करना चाहिए।
आमतौर पर श्रावण मास में इस यंत्र को स्थापित करना शुभ फलदायी होता है लेकिन आप इसे सोमवार को स्थापित कर सकते हैं। स्थापना से पूर्व प्रातकाल स्नानादि के पश्चात पूजास्थल पर शिव प्रतिमा के समक्ष इस यंत्र को स्थापित करना चाहिए। फिर यंत्र के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और यंत्र का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। तत्पश्चात यंत्र पर चंदन, सफेद पुष्प और सफेद भोग अर्पित करना चाहिए। इसके पश्चात महामृत्युजंय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) का 11 या 21 बार जाप करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव की आराधना करते हुए यंत्र को यथास्थान स्थापित कर देना चाहिए। इस यंत्र को स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।
महामृत्युजंय यंत्र का बीज मंत्र -
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!