श्री दुर्गा यंत्र

श्री दुर्गा यंत्र

पौराणिक कथानुसार देवी दुर्गा के अवतरण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। भगवत पुराण के अनुसार मां जगदंबा अवतरण श्रेष्ठ पुरुषों की रक्षा के लिए देवी दुर्गा का जन्म हुआ था। जबकि श्री मंदभगवतगीता के मुताबिक, वेदों और पुराणों के अनुसार, असुरों के दलन के लिए भगवती दुर्गा का अवतरण हुआ था। शाक्त संप्रदाय के लोग देवी दुर्गा को परमशक्ति और शक्तिशाली देवी मानते हैं। चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान देवी दुर्गा से ही मिलता है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने लिए दुर्गा यंत्र (Durga Yantra) सबसे रामबाण उपाय है। इस यंत्र को मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है। इस यंत्र की नियमित पूजा-अर्चना करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।  


श्री नवदुर्गा यंत्र के लाभ

श्री दुर्गा यंत्र की स्थापना से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 
इस यंत्र को प्रतिष्ठित करने से जीवन की हर बाधा को पार करने में मदद मिलती है।
सौभाग्य वृद्धि और धन लाभ यह यंत्र चमत्कारी सिद्ध हो सकता है। 
यदि किसी जातक को व्यापार में किसी भी प्रकार की बाधा आ रही हो तो इस यंत्र को स्थापित करना चाहिए। 
यदि आपके घर में हमेशा क्लेश या कलह होती रहती है तो आपको दुर्गा यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
भाग्योदय के लिए भी इस यंत्र की साधना काफी कारगर साबित होती है।
यदि आपके करियर में लगातार बाधाएं आ रही हैं और आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो दुर्गा यंत्र (Durga Yantra) की स्थापना से आर्थिक स्थिति ठीक हो जाती है।
शत्रु को परास्त करने के लिए और चोरी के भय से मुक्ति पाने के लिए इस यंत्र को अपने घर या ऑफिस में स्थापित करना चाहिए। 
इस यंत्र की साधना से व्यक्ति को जीवन में धन संबंधित समस्याओं से निजात मिल सकती है।
इस यंत्र को प्रतिष्ठित करने से जीवन में अमंगल दूर हो जाता है। 


ध्यान रखने योग्य बातें

श्री दुर्गा यं को प्रतिष्ठित करने से पहले विशेष पूजन करने का प्रावधान है। इस यंत्र से मिलने वाला शुभ फल किसी जातक को तभी पूर्णरूप से प्राप्त हो सकता है, जब इस यंत्र को शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा और ऊर्जा संग्रही की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो। साथ ही दुर्गा यंत्र को खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी द्वारा अभिमंत्रित करके उसे घऱ की सही दिशा में स्थापित करना चाहिेए। अभ्यस्त और सक्रिय श्री दुर्गा यंत्र को शुक्रवार के दिन स्थापित करना चाहिए लेकिन शरद नवरात्र के दौरान या अष्टमी तिथि को स्थापित करने से सर्वाधिक लाभ प्राप्त होता है।  


नवदुर्गा यंत्र स्थापना विधि

शुक्रवार के दिन घर के पूजास्थल पर श्री दुर्गा यंत्र की स्थापना करना शुभ माना जाता है। स्थापना के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजास्थल पर यंत्र को देवी दुर्गा की प्रतिमा का समक्ष रखें। यदि शुभ फल पाना चाहते हैं तो ताम्रपत्र और भोजपत्र पर लाल स्याही से दुर्गा यंत्र (Durga Yantra) को अंकित करवाएं। इस यंत्र को गंगाजल या कच्चे दूध से अभिमार्जित करें। इसके पश्चात यंत्र के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें और खोये की मिठाई का भोग लगाएं। तत्पश्चात श्री दुर्गा का बीज मंत्र " ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ" का जाप करें। इसके बाद देवी दुर्गा की आराधना करते हुए यंत्र को यथास्थान स्थापित कर दें। इस यंत्र को स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।


श्री दुर्गा यंत्र का बीज मंत्र - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ


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