ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि, राहु और केतु ग्रहों को पापी ग्रह माना गया है। इन ग्रहों का किसी जातक की कुंडली में होना अक्सर अशुभ फल ही प्रदान करता है। यदि किसी जातक की कुंडली में स्वामी ग्रह की पापी ग्रह हो तो यह ग्रह उस जातक को शुभ फल प्रदान करता है। अगर हम बात राहु ग्रह की करें तो इस ग्रह को प्रपंच ग्रह के नाम से जाना जाता है। यदि किसी की कुंडली में यह ग्रह अशुभ स्थान पर बैठा हो तो यह जातक के जीवन को अधिक प्रभावित करता है। यदि जन्मपत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर विराजमान है तो यह आपको मानसिक भय और शारीरिक बीमारियां लग जाती हैं।
वैदिक ज्योतिष में नवग्रह यंत्रों की तुलना में राहु यंत्र (Rahu Yantra) का अधिक प्रयोग किया जाता है, क्योंकि राहु अधिकतर कुंडलियों में या तो अशुभ रूप से कार्य करते हैं या फिर मिश्रित फल देते है। ऐसी स्थिति में राहु यंत्र को सही दिशा में स्थापित करके और उसकी विधिपूर्वक पूजा करने से राहु का शीघ्र ही शुभ फल प्राप्त होने लगता है। यदि किसी जातक की कुंडली में पितृदोष या कालसर्पदोष है तो इसके निवारण के लिए यह यंत्र का पूजन काफी उत्तम माना गया है।
राहु यंत्र अनुसंधान, गोला बारूद से संबंधित कारोबार में लाभकारी होता हैं।
जिन व्यक्तियों को स्किन संबंधी समस्याएं, मानसिक पीड़ा, स्वप्न में मृत व्यक्तियों का दिखाई देना और मन का दुर्व्यसन की ओर भागना आदि समस्याओं से यह यंत्र निजात दिलाने में सक्षम होता है।
इस यंत्र के प्रयोग से कारोबार में सफलता, शत्रुओं का दमन औ हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
इस यंत्र का इस्तेमाल करने से आर्थिक नुकसान, किसी कार्य में अनायास आ जाने वाली बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।
राहु यंत्र (Rahu Yantra) का शुभ प्रभाव जातक को विदेशों में स्थायी रूप से जाकर बसने में अथवा विदेशों में कार्य करने के लिए जाने जैसे शुभ फल भी प्रदान कर सकता है।
इंजीनियरों, वकीलों, प्रवक्ताओं, शोधकर्ताओं, अविष्कारकों, खोजकर्ताओं तथा ऐसे अनेक प्रकार के व्यवसायियों को राहु यंत्र का प्रयोग विशेष शुभ प्रभाव प्रदान कर सकता है क्योंकि इन सभी व्यवसायों पर राहु महाराज की कृपा रहती है।
इस यंत्र के शुभ प्रभाव से जातक का विवाह विदेश में होने के आसार बढ़ जाते हैं और वह विवाह के बाद जातक विदेश में सेटल भी हो सकता है।
अभ्यस्त और सक्रिय यंत्र आप के जीवन में सुअवसर और मनचाहे परिणाम लाने में सक्षम होता है। इस यंत्र की प्रतिष्ठा से पहले इसको शुद्ध करना अति आवश्यक होता है क्योंकि यह आप तक आने से पहले कई हाथों से होकर गुजरता है। राहु यंत्र आसपास के वातावरण में अपनी ऊर्जा का उत्सर्जन करता है। राहु यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो औऱ प्राण प्रतिष्ठित हो। यदि आप राहु का शुभ प्रभाव प्राप्त करना चाहते हैं तो इस यंत्र को शनिवार को स्थापित करें।
राहु यंत्र को स्थापित करने के लिए सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि के बाद इस यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार राहु के बीज मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः का जाप करें। तत्पश्चात यंत्र पर गंगाजल छि़ड़के और राहु महाराज से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें। राहु यंत्र (Rahu Yantra) स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।
राहु यंत्र मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः