काली यंत्र

काली यंत्र

शास्त्रों के अनुसार, मां भगवती ने असुरों का अंत करने के लिए विकराल रूप धारण किया था जिन्हें मां काली के नाम से जाना जाता है। काली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के काल से हुई है। मां काली की आराधना से मनुष्य को सभी भय और संकटो से मुक्ति की प्राप्ति होती है। आमतौर पर मां काली की साधना सन्यासी और तांत्रिक भी करते हैं। शमशान साधना में महाकाली की उपासना का बड़ा महत्व है। वहीं मां काली को प्रसन्न करने के लिए काली यंत्र (Kali Yantra) रामबाण उपाय है। इस यंत्र की साधना से अरिष्ट बाधाओं का स्वत: नाश हो जाता है और शत्रुओं को पराजित करने में भी यह यंत्र मदद करता है। शक्ति के उपासकों के लिए यह यंत्र विशेष फलदायी है।


काली यंत्र के लाभ

काली यंत्र को स्थापित करने से मां काली प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा बनी रहती है।
इस यंत्र को प्रतिष्ठित करने से शुत्र पराजित हो जाता है और उसकी शक्ति को नियंत्रित भी किया जा सकता है।
यदि आपके घर में मांगलिक कार्य या पारिवारिक कायों में रुकावट आ रही है तो इस यंत्र के माध्यम से दूर हो जाती है।
इस यंत्र को स्थापित करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
स्थान दोष, मकान दोष, पितृ दोष और वास्तु दोष को दूर करने के लिए काली यंत्र को अपने घर पर स्थापित करना चाहिए। 


ध्यान रखने वाली बातें

महाकाली यंत्र (Kali Yantra) मध्य बिंदु में पांच उल्टे त्रिकोण तीन वृत्त अष्टदल वृत्त एवं भूपुर से आवृत्त से तैयार होता है। इस यंत्र का पूजन करते समय शव पर आरूढ मुण्डमाला धारण की हुई कडग त्रिशूल खप्पर व एक हाथ में नर मुण्ड धारण की हुयी रक्त जिव्हा लपलपाती हुई भयंकर स्वरूप वाली महाकाली का ध्यान किया जाता है। इस यंत्र के पूर्णफल तभी ही किसी जातक को प्राप्त हो सकता है जब इस यंत्र को शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा और ऊर्जा संग्रही की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो। काली यंत्र को खरीदने के पश्चात किसी अनुभवी ज्योतिषी द्वारा अभिमंत्रित करके उसे घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए। अभ्यस्त और सक्रिय काली यंत्र को चैत्र आषाढ़ अश्विन एवं माघ की अष्टमी के दिन स्थापित करना चाहिए।


स्थापना विधि

काली यंत्र की स्थापना के दिन सबसे पहले प्रातकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर इस यंत्र के सामने दीप-धूप प्रज्जवलित करना चाहिए। तत्पश्चात काली यंत्र (Kali Yantra) को गंगाजल या कच्चे दूध से अभिमार्जित करना चाहिए इसके पश्चात 11 या 21 बार काली मंत्र ‘ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥’का जाप करना चाहिए। वहीं अधिक शुभ फल पाने के लिए मां काली से प्रार्थना करनी चाहिए। इसके बाद निश्चित किए गए स्थान पर यंत्र को स्थापित कर देना चाहिए। इस यंत्र को स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो। यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में यंत्र को लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।  

काली यंत्र का बीज मंत्र - ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥


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