जानें वैदिक ज्योतिष में पशुओं का इतना खास महत्व क्यों हैं?

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जानें वैदिक ज्योतिष में पशुओं का इतना खास महत्व क्यों हैं?

वैदिक ज्योतिष में पशुओं का खास महत्व होता है। प्राचीन समय से ही ज्योतिष और पशुओं का संबंध व्यक्ति के जीवन पर पड़ता रहा है। इस लेख में हम पशु और वैदिक ज्योतिष में इनके बीच के संबंध, उनके प्रतीकात्मक अर्थ, और ज्योतिषीय अनुष्ठानों में उनकी भूमिका के बारें में जानेंगे।

ज्योतिष और पशुओं का संबंध

वैदिक ज्योतिष में पशुओं का विशेष महत्व होता है। वैदिक काल में ऋषि-मुनियों ने पशुओं की गतिविधियों और व्यवहार का अध्ययन करके उनके ज्योतिषीय महत्व को पहचाना। उन्होंने पशुओं की उपस्थिति और उनके संकेतों के आधार पर विभिन्न भविष्यवाणियाँ की। यह संबंध आपको प्रकृति के साथ आपके जुड़ाव और उसके प्रतीकों को समझने में मदद करता है।

पशु और वैदिक ज्योतिष

पशु और वैदिक ज्योतिष का मेल आपको जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में सहायता करता है। विभिन्न पशु, जैसे गाय, हाथी, कुत्ता, और सांप, वैदिक ज्योतिष में विशेष महत्व रखते हैं और इनका अध्ययन करके आप अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते हैं।

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ज्योतिष में पशुओं का प्रतीकात्मक अर्थ

प्रत्येक पशु का ज्योतिष में अपना प्रतीकात्मक अर्थ होता है। उदाहरण के लिए:

  • गाय: समृद्धि, शांति, और मातृत्व का प्रतीक।

  • हाथी: बुद्धिमत्ता, शक्ति, और समृद्धि का प्रतीक।

  • कुत्ता: वफादारी, सुरक्षा, और दोस्ती का प्रतीक।

  • सांप: परिवर्तन, पुनर्जन्म, और रहस्य का प्रतीक।

वैदिक ज्योतिष में पशु योग

वैदिक ज्योतिष में कई योग और संयोजन होते हैं, जिनमें पशुओं का विशेष महत्व होता है। उदाहरण के लिए, सर्प योग और गजकेसरी योग का संबंध पशुओं से है। इन योगों का अध्ययन करके ज्योतिषी व्यक्ति के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पशुओं के संकेत और ज्योतिषीय महत्व

पशुओं के व्यवहार का अध्ययन करके भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। जैसे, किसी विशेष दिन अगर एक पक्षी आपके घर के पास गाना गा रहा है, तो इसे शुभ संकेत माना जा सकता है। इसी प्रकार, किसी पशु का विशिष्ट व्यवहार किसी महत्वपूर्ण घटना की ओर संकेत कर सकता है।

ज्योतिष में पशु और ग्रह

वैदिक ज्योतिष में ग्रहों और पशुओं के बीच भी गहरा संबंध होता है। उदाहरण के लिए:

  • सूर्य: सिंह का प्रतीक है, जो शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है।

  • चंद्रमा: केकड़ा, कर्क राशि का प्रतीक है, जो संवेदनशीलता और मातृत्व का प्रतिनिधित्व करता है।

  • मंगल: मृग, मेष राशि का प्रतीक है, जो ऊर्जा और साहस का प्रतीक है।

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वैदिक ज्योतिष और पशुओं के प्रतीक

वैदिक ज्योतिष में पशुओं के प्रतीक विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे, गणेश जी का वाहन मूषक, विष्णु का वाहन गरुड़, और शिव का वाहन नंदी बैल है। ये सभी प्रतीक आपको उनके गुणों और उनकी शक्तियों को समझने में मदद करते हैं।

पशु ज्योतिष और भविष्यवाणी

पशुओं के माध्यम से भविष्यवाणियाँ करना एक प्राचीन कला है। पशु ज्योतिष में, ज्योतिषी पशुओं की गतिविधियों और उनके संकेतों का विश्लेषण करके भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाते हैं।

ज्योतिष में पशुओं के उपाय

वैदिक ज्योतिष में विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए पशुओं से संबंधित उपाय भी बताए गए हैं। जैसे, किसी विशेष दिन गाय को हरा चारा खिलाना या कुत्ते को रोटी देना शुभ माना जाता है। ये उपाय आपके जीवन में समृद्धि लाने में सहायक होते हैं। अपने जीवन में चल रही परेशानियों से जुड़े सवालों के जवाब के लिए अभी संपर्क करें, एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से।

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