भाई-बहन के प्रेम, स्नेह का प्रतीक भैया दूज दिवाली के जगमगाते पर्व के दो दिन बाद मनाया जाता है। भारत में ‘रक्षा बंधन’ के अलावा यह दूसरा पर्व है जो भाई-बहन का स्नेह प्रतीक है। इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की दीर्घ आयु की कामना करती हैं। कार्तिक मास की द्वितीय तिथि में मनाये जाने वाला यह पर्व इस वर्ष 16 नवंबर 2020 को है।
भैया दूज को ‘भ्रातृ द्वितीय’ भी कहा जाता है। अपने भाइयों के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए बहनें पूजा-अर्चना करें। प्रातःकाल में स्नानादि से निवृत होकर बहनें अपने भाइयों को एक आसन पर बिठाएं। तत्पश्चात दीप-धूप से आरती उतारकर रोली एवं अक्षत से भाइयों का तिलक करें और उन्हें अपने हाथ से भोज कराये। ऐसा करने से भाई की आयु वृद्धि होती है और उनके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन बहन के घर भोज करने का विशेष महत्व माना जाता है।
पंडितजी का कहना है कि भैया दूज के पर्व पर मृत्युदेव यमराज और उनकी बहन यमुना जी की पूजा विशेषरूप से की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना और यमराज में बहुत स्नेह था। मृत्युदेव यमदेव सदैव प्राण हरने में ही व्यस्त रहते है। उधर यमुना भाई यमराज को निरंतर अपने घर आने आने का निमंत्रण देती रहती थी। एक दिन कार्तिक शुक्ल की द्वितीय तिथि पर यमुना ने यमराज को अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर दिया।
चूंकि यमराज मृत्युदेव है इसलिए वे इस बात से भली भांति अवगत थे कि उन्हें कोई कभी भी अपने घर आने का निमंत्रण नहीं देगा और यमुना उतने स्नेह, सद्भावना से उन्हें बुला रही है। यमराज ने सोचा कि उन्हें अपनी बहन के प्रति यह धर्म निभाना ही है। यमराज को अपने घर आते देख यमुना अत्यंत प्रसन्न हुई| उन्होंने स्नानादि कर पूजन किया और भाई के समक्ष व्यंजन परोस दिए। यमुना के इस आतिथ्य सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन से वर मांगने के लिए कहा।
यमुना ने यमराज से कहा कि वह प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि में उनके घर आया करे। साथ ही उन्होंने यह कहा कि उनकी तरह कोई भी बहन इस दिन यदि अपने भाई का विधिपूर्वक तिलक करे, तो उसे यमराज यानि मृत्यु का भय ना हो। यमराज ने मुस्कराते हुए तथास्तु कहा और यमुना को वरदान देकर यमलोक लौट आये। तब से लेकर आजतक हिन्दू धर्म में यह परंपरा चली आ रही है।
भाई दूज तिथि – सोमवार, 16 नवंबर 2020
भाई दूज तिलक मुहूर्त - दोपहर 13 बजकर 10 मिनट से 15 बजकर 18 मिनट तक (16 नवंबर 2020)
द्वितीय तिथि प्रारंभ - सुबह 07 बजकर 06 मिनट से (16 नवंबर 2020)
द्वितीय तिथि समाप्त - प्रातः 03 बजकर 56 मिनट तक (30 नवंबर 2020)
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