यमुनोत्री

यमुनोत्री

उत्तराखंड राज्य में स्थित यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री (Yamunotri) है। यमुनोत्री को हिंदुओं के चार महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक माना जाता है। यही वह स्थान है, जहां से पवित्र यमुना नदी निकलती हैं। यहां पर प्रतिवर्ष गर्मियों में भारी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं। पुराणों के अनुसार यमुना नदी सूर्य की पुत्री तथा मृत्यु के देवता यम की बहन हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति यमुना में स्नान करता हैं, उसे यम मृत्यु के समय कष्ट नहीं देते हैं। यमुनोत्री के पास ही कुछ गर्म पानी के कुंड हैं। तीर्थ यात्री इन सोतों के पानी में ही अपना भोजन पकाते हैं। यमुनाजी का मंदिर यहां का प्रमुख दर्शनीय मंदिर है। आगे यमुनोत्री की पैराणिक मान्यता क्या है? और इस धाम में और कौन-कौन से दर्शनीय स्थान हैं इस बारे में जानेंगे।

 

यमुनोत्री की पौराणिक कथा

एक अन्य कथा के अनुसार सूर्य की पत्नी छाया से यमुना व यमराज जन्मे। यमुना नदी के रूप में पृथ्वी पर बहने लगी तथा यमदेव को यमलोक मिला। कहा जाता है कि यमुना ने अपने भाई यमराज से भाईदूज के अवसर पर वरदान मांगा कि इस दिन जो यमुना में स्नान करे उसे यमलोक न जाना पड़े। इसलिए माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति यमुना के पवित्र जल में भाईदूज के दिन स्नान करता है। वह आकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त करता है। इसी मान्यता के चलते यहां हजारों की संख्या में श्रृद्धालु आते हैं।

 

पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि असित का आश्रम यहीं यमुनोत्री में था। परंतु वे रोज स्नान करने गंगा जी जाते थे और स्नान कर लौट आते। जब महर्षि असित वृद्धावस्था में पहुंच गए तो उनके लिए दुर्गम पर्वतीय रास्तों को रोजाना पार करना मुश्किल हो गया। कहा जाता है कि तब गंगा जी ने अपना एक छोटा सा झरना ऋषि के आश्रम के पास प्रकट कर दिया। वह उज्जवल जटा का झरना आज भी वहा है। यमुनोत्री (Yamunotri) धाम गए श्रद्धालु यहां जरूर जाते हैं।

 

यमुनोत्री के दर्शनीय स्थान

यमुनोत्री धाम में यमुना जी का मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। इसके अलावा यहां सूर्य कुंड, गौरी कुंड और खरसाली महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं।

 

यमुना मंदिर

यमुनोत्री धाम में यमुना मंदिर है। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक मंदिर का निर्माण सन 1855 में गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह ने करवाया था। यमुनोत्री मंदिर का कपाट वैशाख माह की शुक्ल अक्षय तृतीया को खोला और कार्तिक माह की यम द्वितीया को बंद कर दिया जाता है।

 

सूर्य कुंड

यह कुंड सबसे महत्वपूर्ण गर्म पानी का सोता माना जाता है। इसी सोता में प्रसाद तैयार करने के लिए चावल और आलू को एक मलमल के कपड़े में रखकर गर्म उबलते पानी में डूबो कर पकाया जाता है। कुंड को लेकर मान्यता है कि सूर्य देव अपनी बेटी यमुना से मिलने के लिए यहां प्रकट हुए थे।

 

गौरी कुंड

इस कुंड का पानी न तो ज्यादा गर्म है और न ही ज्यादा ठंड़ा है। इसलिए कुंड के पानी का उपयोग श्रद्धालु स्नान करने के लिए करते हैं। इसके बाद श्रद्धालु पास में ही स्थित दिव्य शिला की पूजा कर मां यमुना की आरती करते हैं।

 

खरसाली

यमुनोत्री के पास स्थित एक छोटा सा गांव है। यहां कई प्राकृतिक झरने और भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यमुनोत्री मंदिर के पास दिव्य शिला नामक एक पवित्र पत्थर है। धाम आए भक्तगण यमुनोत्री मंदिर में जाने से पहले दिव्य शिला की पूजा करते हैं।

 

यमुनोत्री कैसे पहुंचे

यमुनोत्री तक यातायात के कई माध्यमों के जरिए पहुंचा जा सकता है लेकिन सबसे उत्तम माध्यम सड़क मार्ग ही है। यहां हम आपको यमुनोत्री पहुंचने के तीनों मार्गों के बारे में बता रहे हैं।

वायु मार्ग

यमुनोत्री के सबसे करीबी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो यमुनोत्री से करीब 210 किलोमीटर दूर स्थित है। दिल्ली से इस एयरपोर्ट के लिए रोजाना फ्लाइटें उपलब्ध रहती हैं। इसके अलावा श्रद्धालु देहरादून से हेलिकॉप्टर सर्विस भी ले सकते हैं जो एक ही दिन में यमुनोत्री के दर्शन करा कर वापस देहरादून छोड़ देगा।

रेल मार्ग

यमुनोत्री से सबसे करीबी रेलवे स्टेशन देहरादून का है जो करीब 175 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा ऋषिकेश का रेलवे स्टेशन करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन देश के दूसरे रेलवे स्टेशन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से आप सड़क मार्ग के जरिए आगे का सफर तय कर सकते हैं।

सड़क मार्ग

यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए केवल यही एक उत्तम जरिया है। यमुनोत्री पहुंचने के लिए धरासू तक का मार्ग वही है जो गंगोत्री का है। धरासू से यमुनोत्री और गंगोत्री के रास्ते अगल हो जाते हैं। यहां पहुंचने का सबसे अच्छा मार्ग बड़कोट- देहरादून से होकर निकलता है। इसके बाद बस के माध्यम से धरासू से यमुनोत्री की ओर बड़कोट फिर जानकी चट्टी तक की यात्रा करनी होती है। जानकी चट्टी से 6 किलोमीटर पैदल यात्रा कर यमुनोत्री (Yamunotri) धाम पहुंचा जाता है।

Talk to astrologer
Talk to astrologer
एस्ट्रो लेख
हिंदू कैलेंडर: क्या होते हैं शुक्ल और कृष्ण पक्ष, कैसी की जाती है इसकी गणना

हिंदू कैलेंडर: क्या होते हैं शुक्ल और कृष्ण पक्ष, कैसी की जाती है इसकी गणना

Shani Jayanti 2025: जानें शनि दोष से मुक्ति के अचूक उपाय

Shani Jayanti 2025: शनि जयंती पर साढ़ेसाती व ढैय्या वाले जरूर करें ये उपाय

Ganesh Ji Sund Disha: गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए, दाईं या बाईं ? इनमें से कौन सी दिशा अधिक शुभ?

Ganesh Ji Sund Disha: गणेश जी की सूंड किस दिशा में होनी चाहिए? जानिए शुभ-अशुभ संकेत

Varshik Rashifal 2026: जानिए सभी 12 राशियों का वार्षिक भविष्यफल

Varshik Rashifal 2026: नए साल की नई शुरुआत के साथ जानिए आपकी राशि का हाल, वार्षिक राशिफल 2026 से।