कटरा

कटरा

कटरा (Katra) का नाम सुनते ही त्रिकुटा पर्वत श्रृंखला पर स्थित वैष्णो धाम का दृश्य आंखों के सामने से गुजर जाता है। कटरा जम्मू-कश्मीर का एक छोटा सा शहर है। जिसे कटरा वैष्णो देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहीं से वैष्णो देवी की यात्रा शुरु होती है। आगे मां वैष्णो की यात्रा से संबंधित जानकारी उपलब्ध करायी गई है। साथ ही कटरा कैसे पहुंचा जा सकता है और यहां कौन-कौन से स्थल दर्शनीय हैं यह भी बताया गया है।

 

कटरा की पौराणिक कथा 

माता के मानने वालों में एक कथा प्रचलित है। कथा यह है कि एक समय में श्रीधर नाम का एक ब्राह्मण था। जो माता की भक्ति निःस्वार्थ भाव से करता था। जिससे माता प्रसन्न होकर एक कन्या का रूप धर श्रीधर के घर पहुंचीं। कन्या रूपी माता ने श्रीधर से भंडारा का आयोजन करने के लिए कहा। श्रीधर गांव और आस-पास की जगहों से लोगों को आमंत्रित करने के लिए चल पड़ें। उन्होंने भंडारे में एक स्वार्थी राक्षस भैरव नाथ को भी आमंत्रित किया। सभी गांव वाले श्रीधर के इस आयोजन को लेकर संदेह जता रहे थे। जिसके कारण श्रीधर चिंता में डूब गए और घर की ओर चल पड़े। रास्ते में दिव्य कन्या प्रकट हुईं और कहा कि श्रीधर निराश ना हो, सब व्यवस्था हो चुकी है। माता के कहे अनुसार भंडारा, अतिरिक्त भोजन और बैठने की व्यवस्था के साथ निर्विघ्न आयोजन संपन्न हुआ। भैरव नाथ इस घटना से परेशान हो गया। भैरव नाथ ने माना कि बालिका में दिव्य शक्तियां थीं। इसके बाद माता वैष्णो ने अधकावरी के पास गर्भजून में शरण लीं। जहां वे 9 महीनों तक ध्यान-मग्न रहीं। त्रिकुटा की पहाड़ियों में 9 माह तक भैरव नाथ उस दिव्य कन्या को ढूंढ़ता रहा जिसे वह देवी मां का अवतार मानता था। भैरव द्वारा उन्हें ढूंढ़ लेने पर माता की साधना भंग हो गई। जब भैरव ने उन्हें मारने की कोशिश की तो विवश होकर वैष्णो देवी ने महाकाली का रूप धारण कर किया। जिसके बाद देवी ने भैरव नाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया। भैरव नाथ अंत समय में माता से क्षमा याचना की। माता जानती थीं कि उन पर हमला करने के पीछे भैरव का उद्देश्य मुक्ति प्राप्त करना था। अतः माता ने न केवल भैरव नाथ को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त किया,  बल्कि उसे वरदान भी दिया कि वैष्णो यात्रा तभी पूरा माना जाएगा जब भक्तगण भैरव नाथ का भी आशिर्वाद प्राप्त करेंगे। इसके बाद वैष्णो देवी ने तीन पिंड सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण कर सदा के लिए ध्यानमग्न हो गईं। तब से माता वैष्णो की यात्रा पर जाने वाला हर भक्त माता के बाद भैरव नाथ का भी दर्शन कर आशिर्वाद प्राप्त करता है।

 

कटरा में दर्शनीय स्थल

जम्मू से कटरा (Katra) की दूरी 50 किमी है। कटरा से पवित्र गुफा के बीच कई दर्शनीय स्थल हैं जिसमें बाणगंगा,चारपादुका, इंद्रप्रस्थ, अर्धकुवांरी, हिमकोटी, सांझी छत और भैरो मंदिर शामिल हैं।

 

वैष्णो देवी धाम

त्रिकुटा पर्वत पर बसा वैष्णो धाम देश का दूसरा सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थल है। यहां बारहो महीने भक्तगण देश-विदेश से माता के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। गर्भजून में माता तीन पिंडों में देवी काली (दाएं), सरस्वती (बाएं) और लक्ष्मी (मध्य) के रूप में विराजमान हैं। इन्हीं संयुक्त रूप को माता वैष्णो देवी कहा जाता है।

 

भैरो मंदिर

भैरव नाथ का सिर जिस स्थान पर गिरा था आज उसी स्थान पर भैरव नाथ का मंदिर है। यह मंदिर पवित्र गुफा से 2.5 किलो मीटर दूर भैरव घाटी नामक स्थान पर स्थित है। माना जाता है कि जब तक भैरव नाथ का दर्शन श्रद्धालु न कर ले, तब तक उसकी यात्रा पूरी नहीं होती है।

 

बाणगंगा

पौराणिक मान्याता के आधार पर भैरवनाथ से दूर भागते हुए देवी ने पृथ्वी पर एक बाण चलाया जिससे पानी फूट कर बाहर निकला। जहां माता ने अपने बाल धोए थे। यही नदी बाणगंगा के नाम से जानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि बाणगंगा में स्नान करने पर सभी के पाप धुल जाते हैं। नदी के किनारे माता के पैरों के निशान हैं, जो आज तक उसी तरह विद्यमान हैं।

 

कैसे पहुंचे कटरा

कटरा पहुंचने के लिए श्रद्धालु वायु, रेल और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं।

वायु मार्ग

जम्मू का रानीबाग एयरपोर्ट कटरा से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। जम्मू से सड़क मार्ग के जरिए कटरा पहुंचा जा सकता है जिसकी दूरी करीब 50 किलोमीटर है। जम्मू हवाई अड्डे से कटरा के लिए बस और टैक्सी सर्विस आसानी से मिल जाती है।

रेल मार्ग

कटरा से नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू और कटरा हैं। जो देश के मुख्य शहरों से रेल मार्ग के माध्यम से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा कटरा भी अब एक रेलवे स्टेशन बन गया है। जो जम्मू-उधमपुर रेल रूट पर स्थित है कटरा रेलवे स्टेशन की शुरुआत साल 2014 में हुई थी।

सड़क मार्ग

देश के विभिन्न हिस्सों से जम्मू सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है और जम्मू होते हुए सड़क मार्ग से कटरा तक पहुंचा जा सकता है और फिर यहां से त्रिकूटा की पहाड़ियों की चढ़ाई भक्तगण शुरू कर सकते हैं।

Talk to astrologer
Talk to astrologer
एस्ट्रो लेख
Yogini Ekadashi 2025 - जानें योगिनी एकादशी व्रत के इस शुभ दिन का महत्व।

Yogini Ekadashi 2025 – सांसारिक सुख के साथ मोक्षदात्री है यह योगिनी एकादशी 2025

Vehicle Purchase Muhurat 2026: जानें 2026 में नए वाहन खरीद के लिए शुभ मुहूर्त।

Shubh Vahan Muhurat 2026: जानें 2026 में नए वाहन खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त।

Dev Uthani Ekadashi 2025: जानिए कब है देवउठनी एकादशी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

Dev Uthani Ekadashi 2025: कब है देवोत्थान एकादशी पूजा मुहूर्त?

Jyotirlinga in shravan: श्रावण मास में 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग, जानें इसके महत्व, कथा और पूजा के लाभ

Jyotirlinga in shravan: श्रावण मास में 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग, जानें इसके महत्व, कथा और पूजा के लाभ