शनि शिंगणापुर

शनि शिंगणापुर

शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) धाम महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में स्थित है। इस धाम में शनि देव एक शिला के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर को शनि देव का सबसे अनोखा मंदिर कहा जाता है। वह इसलिए की यहां शनि शिला किसी भव्य मंदिर में नहीं है बल्कि खुले आकाश के नीचे एक संगमरमर के पत्थर से बने चबूतरे पर स्थापित है। शनि शिंगणापुर में पहुंचते ही भक्तों को शनि देव की उपस्थिति का अनुभव होता है। आगे हम शनि शिंगणापुर की कथा, महिमा व महत्व के बारे में जानेंगे।

 

शनि शिंगणापुर की पौराणिक कथा

एक समय की बात है शिंगणापुर गांव में मुसलाधार बारिश हुई। जिसके कारण गांव डूबने लगा। सभी गांव वाले एक ऊंचे स्थान पर चले गए। तभी एक व्यक्ति ने देखा की एक दैवीय शिला पानी में बह रही है। जब बाढ़ का पानी कुछ कम हुआ तो व्यक्ति ने एक पेड़ के पास दोबारा यह पत्थर देखा। पत्थर देख उसके मन में लालच आया कि इसे बचकर वो अच्छी कमाई कर सकता है। जिसके चलते वह इस दैवीय पत्थर को तोड़ने के लिए प्रहार करता है, जैसे ही व्यक्ति इस पत्थर पर प्रहार करता है शिला से खून निकलने लगता है। जिसे देख व्यक्ति भयभीत हो जाता है और अपने गांव पहुंच कर इस घटना के बारे में सबको बताता है। इसके बाद सभी ग्रामवासी उस जगह पर पहुंचते हैं जहां वह पत्थर था। सभी गांव वाले व्यक्ति की बात पर विश्वास करने के लिए एक बार फिर से व्यक्ति को पत्थर पर प्रहार करने के लिए कहते हैं, जैसे ही व्यक्ति ने प्रहार किया शिला ले रक्त निकलने लगा, यह देखकर सभी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। अब किसी को समझ नहीं आ रहा था कि इस पत्थर का क्या किया जाए, सभी सोच में पड़ गए। तब सब ने निश्चय किया कि अभी यहां से गांव चलाते हैं। कल आकर देखेगें कि इस पत्थर का क्या करना है। सभी लोग गांव लौट गए। उसी रात व्यक्ति के सपने में घोड़े पर सवार होकर शनि देव आएं और बोले कि मैं शनि देव हूं। जो पत्थर आज तुम्हें मिला उसे अपने गांव लाकर स्थापित करो। जिससे तुम्हारें गांव में हमेशा खुशहाली रहेगी। दूसरे दिन वह इस सपने के बारे में सभी गांव वालों को बताता है। गांव वाले उस पत्थर के पास दोबारा गए और उसे उठाने की कोशिश करने लगे, लेकिन वह शिला तस से मस न हुई। दिनभर लगे रहने के बाद सभी थक हार कर घर वापस आ जाते हैं। रात में उसी व्यक्ति के सपने में फिर से शनि देव आएं और शिला को गांव कैसे लेकर आना है इस बारे में बाताकर चले गए। अगले दिन व्यक्ति ने शनि देव के बताये योजना के तहत सभी गांव वालों के साथ मिलकर उस शिला को अपने गांव लाकर स्थापित करता है। जिसके बाद सभी गांव वाले मिलकर उस शिला की पूजा करने लगते हैं। कहा जाता है कि तब से फिर कभी गांव पर कोई विपत्ति नहीं आई।

 

शनि शिंगणापुर में दर्शनीय स्थान

शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) को शनि मंदिर के वजह से जाना जाता है आगे हम शनि मंदिर के बारे में जानेंगे।

 

शनि मंदिर

शिंगणापुर के शनिदेव अपने आप में एक अद्भुद मंदिर है। यह ऐसा इकलौता मंदिर है जहां प्रतिमा नहीं एक शिला खुले आसमान के नीचे स्थापित है। मंदिर में कोई भी छत नहीं है। शनि देव की शिला लगभग 5 फीट 9 इंच लंबी व 1 फीट 6 इंच चौड़ी है। इस मंदिर में जाने के लिए भक्तों को नियमों का पालन करना पड़ता है। इस मंदिर में शनि देव को तेल चढ़ाने के लिए पुरुषों को केसरिया रंग का वस्त्र धारण करना पड़ता है साथ ही इन्हीं कपड़ों में स्नान करने के बाद तेल चढ़ाने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति का केवल शरीर ही नहीं बल्कि मन भी शुद्ध हो जाता है। जिससे व्यक्ति के मन में चल रही कोई भी गलत बात समाप्त हो जाती है।

 

शिंगणापुर की खासियत

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजौरी नहीं है। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है शनि महाराज उसकी सजा उसे स्वयं देते हैं। गांव वालों पर शनिदेव की कृपा है।

 

शनि देव की महिमा

आमतौर पर शनिदेव को लेकर हमारे मन में कई धारणाएं हैं। जैसे कि शनिदेव बहु‍त अधिक कष्ट देने वाले देवता हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। यदि शनिदेव की आराधना विधिवत की जाए तो शनिदेव से उत्तम देव कोई नहीं। शनि की जिस पर कृपा होती है उस व्यक्ति के लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं। जब शनि की शुभ दृष्टि किसी पर पड़ती है, तो उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। जैसे कुंभार मिट्टी के घड़े को तपाकर उसे उपयोग हेतु बना देता है, वैसे ही शनि भी विभिन्न परिस्थितियों के ताप में तपाकर मनुष्य को उन्नति के पथ पर बढ़ने के लिए सामर्थ्य एवं लक्ष्य प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराते हैं।

 

कैसे पहुंचे शनि शिंगणापुर

शनि धाम आप वायु, रेल और सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।

वायु मार्ग

वैसे तो शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) में कोई एयपोर्ट नहीं है लेकिन यात्री हेलीकॉप्टर से अहमदनगर पहुंच सकते हैं। यहां तीन हेलीपैड बने हैं।

रेल मार्ग

शनि धाम जाने के लिए आपको नासिक रेलवे स्टेशन उतरना होगा। यहां से 150 किमी की सड़क यात्रा कर शनि शिंगणापुर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा रेल मार्ग से शिरडी पहुंच कर 77 किमी का रास्ता तय कर शनि धाम पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग

शनि शिंगणापुर राजमार्ग 60 से जुड़ा हुआ है। जिसे पूना-अहमदनगर-औरंगाबाद राजमार्ग कहा जाता है। यहां आप कहीं से भी पहुंच सकते हैं।

Talk to astrologer
Talk to astrologer
एस्ट्रो लेख
Sarkari Naukri Pane Ke Upaay:  जानें लाल किताब के सरकारी नौकरी पाने के ज्योतिषीय उपाय

Sarkari Naukri Pane Ke Upaay: जानें लाल किताब के सरकारी नौकरी पाने के ज्योतिषीय उपाय

Vehicle purchase Muhurat 2025: जानें 2025 में नए वाहन खरीद के लिए शुभ मुहूर्त।

Shubh Muhurat 2025: जानें 2025 में नए वाहन खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त।

Griha Pravesh Muhurat 2025: जानें 2025 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त की तिथियां।

Shubh Muhurat 2025 for Grih Pravesh: जानें साल 2025 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त की तिथियां।

Navmansh Kundali: नवमांश कुंडली क्या होती है, ज्योतिष के नजरिए से क्या है इसका महत्व?

Navmansh Kundali: जानें नवमांश कुंडली का महत्व और ज्योतिषीय उपयोग