महाभारत काल में पांडवों के राज्य की राजधानी रहे इंद्रप्रस्थ को, वर्तमान में हम देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के नाम से जानते हैं। आज देश की बागडोर दिल्ली से ही चलती है। पर्यटन की दृष्टि से देश का यह मेट्रो शहर महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके अलावा आज भी इस नगरी का धार्मिक महत्व है। यहां कई धार्मिक स्थल हैं जहां देश व विदेश से लोग पहुंचते हैं। इस लेख में हम दिल्ली के पौराणिक इतिहास, दिल्ली के दर्शनीय स्थल जिनमें बिड़ला मंदिर, कालकाजी मंदिर, लोटस टेंपल, छतरपुर मन्दिर और अक्षरधाम मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थानों के बारे जानेंगे।
पवित्र यमुना नदी के तट पर स्थित इस नगर का पौराणिक इतिहास गौरवशाली है। इंद्रप्रस्थ (वर्तमान नाम दिल्ली) प्राचीन भारत के पुरातन नगरों में से एक है जो पांडवों के राज्य हस्तिनापुर की राजधानी थी। दरअसल इंद्रप्रस्थ नगर कौरवों की प्राचीन राजधानी खांडवप्रस्थ के स्थान पर पांडवों द्वारा बसाया गया था। जब धृतराष्ट्र पांडवों को आधा राज्य दे रहे थे, तब उस समय उन्हें कौरवों के प्राचीन नगर व राष्ट्र खांडवप्रस्थ को बांटकर, चारों वर्णों के सहयोग से एक नई राजधानी बनाने का आदेश दिया। तब पांडव श्रीकृष्ण के साथ खांडवप्रस्थ पहुंच कर इंद्र की सहायता से इंद्रप्रस्थ नामक नगर विश्वकर्मा द्वारा निर्मित करवाया। इस नगर के चारों ओर समुद्र की भांति जल से पूर्ण खाइयां बनी हुई थीं जो नगर की शोभा बढ़ाती थीं।
दिल्ली में कई धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं। जैसे बिरला मंदिर, झंडेवाला मंदिर, लोटस टेम्पल और अक्षरधाम मंदिर। इसके अलावा भी कुछ प्रसिद्ध धार्मिक स्थल यहां विद्धमान हैं।
बिड़ला मंदिर
दिल्ली के लक्ष्मी नारायण मंदिर को बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। बिड़ला मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1938 में हुआ था और इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। बिड़ला मंदिर जन्माष्टमी के उत्सव के लिए भी प्रसिद्ध है।
लोटस टेंपल
लोटस टेंपल को फरीबोर्ज साहबा ने डिजाइन किया था और यह दिल्ली (Delhi) में उपस्थित वास्तुकला के बेहतरीन नमूनों में से एक है। दक्षिण दिल्ली में स्थित लोटस टेंपल नई दिल्ली का बड़ा पर्यटन केंद्र माना जाता है। आधे खुले कमल के फूल के आकार वाले इस मंदिर को लोग बहाई टेंपल के तौर पर भी जानते हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि यह जगह बहाई समुदाय का पूजा स्थल है।
छतरपुर मंदिर
छतरपुर मंदिर दिल्ली के दक्षिण में स्थित है। इसका वास्तविक नाम श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर है। परंतु यह छतरपुर के नाम से विख्यात है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर परिसर माना जाता है और यह मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है। यहां एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागा और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
कालकाजी मंदिर
कालकाजी मंदिर के नाम पर दिल्ली मेट्रो का एक स्टेशन है। इस स्टेशन का नाम कालकाजी इसलिए पड़ा क्योंकि यह कालकाजी मंदिर के करीब है। मां काली को समर्पित श्री कालकाजी मंदिर को जयंती पीठ या मनोकामना सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है। मनोकामना का शाब्दिक अर्थ है इच्छा, सिद्ध का अर्थ है तृप्ति, और `पीठ 'का अर्थ है तीर्थ। जो यह पवित्र मंदिर को माना जाता है। जहां हर किसी को अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मां कालिका देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अक्षरधाम मंदिर
नई दिल्ली में बना यह स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर एक अनोखा तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। मंदिर परिसर 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मंदिर परिसर होने के चलते इसे 26 दिसम्बर 2006 को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया।
झंडेवाला मंदिर
झंडेवाला मंदिर दिल्ली के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। नवरात्रि में माता के दर्शन हेतु यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। दिल्ली के केन्द्र में स्थित होने के कारण यहां पहुंचना कठिन नहीं है। आप अपनी गाड़ी से या मेट्रो से आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं।
कैसे पहुंचे दिल्ली
देश के किसी भी कोने से दिल्ली आसानी से पहुंचा जा सकता है। यात्रा के लिए कई साधन उपलब्ध हैं।
वायु मार्ग
इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम कोण पर स्थित है और यहीं से अन्तर्देशीय और अन्तर्राष्ट्रीय वायु-यात्रियों के लिए शहर का मुख्य द्वार खुलता है। देश के हर राज्य से दिल्ली के लिए फ्लाइट्स उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
दिल्ली भारतीय रेल का एक प्रधान जंक्शन है। दिल्ली में उत्तर रेलवे का मुख्यालय भी स्थित है। यहां के चार मुख्य रेलवे स्टेशन, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, दिल्ली जंक्शन, सराय रोहिल्ला और हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन है। जहां के लिए देश के कई हिस्सों से रेल सेवाएं उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली अन्य सभी मुख्य शहरों और महानगरों से कई राजमार्गों व एक्सप्रेस वे द्वारा जुड़ा हुआ है। निजी अथवा सरकारी साधन से पर्यटक दिल्ली पहुंच सकते हैं।