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पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला शहर कोलकाता (Kolkata) कई ऐतिहासिक गाथाएं अपने आप में संजोये हुए है। एक समय में देश की आर्थिक राजधानी रहे कोलकाता का धार्मिक महत्व भी है। यहां 52 शक्तिपीठों में से एक मां काली का भव्य मंदिर है जिसे कालीपीठ के नाम से जाना जाता है। आगे हम कोलकाता में स्थित दर्शनीय स्थलों के बारे में संक्षिप्त रूप से जानेंगे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष द्वारा शिव का अनादर किये जाने पर माता सती ने हवन कुंड में अपनी आहूती दे दी थी। जिसके बाद शिव क्रोधित होकर वीरभद्र को आदेश देते हैं कि प्रजापति दक्ष को मृत्यु दंड दे दो। जिसके बाद भगवान शिव सती के शव को लेकर तांडव करने लगे। तांडव से सृष्टी असंतुलीत होने लगी। जिसके बाद सभी देव विष्णु से आग्रह करते हैं कि कुछ करिए प्रभु नहीं तो संसार का विनाश हो जाएगा। तब भागवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव को छिन्न- भिन्न कर दिया। उस समय सती के दाहिने पैर का अंगूठा कोलकाता में गिरा था। इसी के चलते 52 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ यहां स्थापित हुआ। कालीघाट की काली की खासियत है उनकी सोने की विशाल जीभ जो उनकी जीवंतता का प्रमाण है। जय काली कलकत्तेवाली तेरा वचन न जाए खाली और कोलकाता (Kolkata) में काली की दया से आदमी भूखा नहीं सोता जैसे मुहावरे और मान्यताएं शक्ति की देवी की इसी सोने की जीभ के कारण ही पैदा हुए हैं।
कोलकाता में कालीघाट शक्तिपीठ के अलावा कई दर्शनीय स्थान हैं जो धार्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक तौर पर बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसमें काली मंदिर, फोर्ट विलियम (किला), विक्टोरिया मेमोरियल, बेलूर मठ और मदर टेरेसा होम्स शामिल हैं।
कालीघाट शक्तिपीठ
कोलकाता के एक इलाके का नाम ही 52 शक्तिपीठों में एक कालीघाट शक्तिपीठ के नाम पर है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी ने की थी। शक्तिपीठ बनने का मुख्य कारण मां सती के दाएं पैर की चार अंगुलियों का इसी स्थान पर गिराना है। वर्तमान में यह स्थान काली भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा प्रचंड रूप में है। माता की जिव्हा (जीभ) सोने की है जो की बाहर तक निकली हुई है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुंडो की माला है उनके हाथ में कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं।
मां काली मंदिर
मां काली का यह मंदिर हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है, एक समय में इस मंदिर के पुजारी श्री रामकृष्ण परमहंस हुआ करते थे। कहा जाता है कि यहीं उन्हें सभी धर्मों में एकता लाने की अनुभूति हुई थी। मंदिर में मां काली की प्रतिमा स्थापित है। पुराणों के मुताबिक काली, भगवान शिव की अर्धांगिनी, पार्वती का ही एक रूप बताया गया है। पुराने मंदिर के स्थान पर ही वर्तमान मंदिर को सन 1809 में बनाया गया था।
बेलूर मठ
बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है। इसकी स्थापना सन 1899 में स्वामी विवेकानंद ने की थी। यहां के भवनों में हिंदू, मुस्लिम और इसाई शिल्प शैलियों का मिश्रण है। जो देखने पर सर्व धर्म सम भाव की भावना को जागृत करते हैं।
फोर्ट विलियम
फोर्ट विलियम हुगली नदी के समीप है। यह भारत के सबसे बड़े पार्कों में से एक है। यह मैदान 3 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है और मैदान के पश्चिम में फोर्ट विलियम किला है। चूंकि फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना अपने उपयोग में लाती है इसलिए यहां प्रवेश करने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।
विक्टोरिया मेमोरियल
विक्टोरिया मेमोरियल का निर्माण सन 1906-21 के बीच में किया गया था। यह स्मारक रानी विक्टोरिया को समर्पित है। यह स्मारक शिल्पकला का एक सुंदर नमूना है। स्मारक के मुगल शैली के गुंबदों में सारसेनिक और पुनर्जागरण काल की शैलियां दिखाई पड़ती हैं। मेमोरियल में एक शानदार संग्रहालय भी है जहां रानी के पियानो सहित अन्य वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
कैसे पहुंचे कोलकाता
पर्यटक यहां तीनों मार्ग से पहुंच सकते हैं।
वायु मार्ग
देश का दूसरा महानगर कोलकाता वायु सेवा के माध्यम से बंगलोर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए आप देश के प्रमुख हवाई अड्डों से उड़ान भर सकते हैं।
रेल मार्ग
कोलकाता में मुख्य तौर पर दो सियालदह तथा हावड़ा रेलवे स्टेशन हैं। कोलकाता (Kolkata) रेलमार्ग के जरिए सभी प्रमुख बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। जिनमें दिल्ली, मुंबई और चेन्नई प्रमुख हैं।
सड़क मार्ग
देश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए कोलकाता जाया जा सकता है। दिल्ली से कोलकाता जाने के लिए एनएच 34, 509, 731, 19 और 24 का उपयोग किया जा सकता है।