खाटू श्याम

खाटू श्याम

भारत में कई मंदिर हैं जो अपनी विशेषता के चलते प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक मंदिर खाटू श्याम जी(Khatu Shyam) भी है। यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है। इस मंदिर में भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की पूजा श्याम रुप में पूजा की जाती है| मंदिर को लेकर भक्तों में ऐसी मान्यता है कि जो भी मंदिर में श्यामजी के आगे शीश झुकाता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं| साथ ही यहां आने वाले श्रधालुओं का कहना है कि बाबा खाटू श्यामजी हर बार अलग दिखाई देते हैं। उनकी शारीरिक बनावट हो या चेहरे की भाव भंगिमाएं हर बार देखने पर पिछली बार से अलग प्रतीत होती हैं| आइए जानते हैं खाटू श्यामजी की पौराणिक मान्यता क्या है? और यहां कौन- कौन से स्थान दर्शनीय हैं।

 

खाटू श्याम पौराणिक कथा

यह घटना महाभारत काल की है। महाभारत युद्ध कौरवों और पांडवों के मध्य होना तय हो गया। यह समाचार सुन बर्बरीक की भी युद्ध में शामिल होने की इच्छा हुई। इसके लिए जब वे अपनी मां से आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचे तो माता ने प्रश्न किया कि वे युद्ध में किसकी ओर से लड़ेंगे?, तब बर्बरीक ने मां को हारे हुए पक्ष का साथ देने का वचन दिया। माता का आशीर्वाद प्राप्त कर बर्बरीक अपने नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर तीन बाण और धनुष के साथ कुरूक्षेत्र की रणभूमि की ओर चल पड़े। श्री कृष्ण ने उन्हें आते हुए देखा तो ब्राह्मण भेष धारण कर बर्बरीक की योजना के बारे में जानने के लिए उन्हें रोक कर उनसे प्रश्न किया कि कहां जा रहे हो?, यहां महाभारत युद्ध की शुरूआत होने वाली है। इस पर बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे युद्ध में शामिल होने आए हैं। यह जानकर ब्राह्मण रूप धरे श्री कृष्ण जी ने उनकी खिल्ली उड़ायी कि वह मात्र तीन बाण से युद्ध में सम्मिलित होने आया है। यह सुनकर बर्बरीक ने उत्तर दिया कि मात्र एक बाण पूरी शत्रु सेना को परास्त करने के लिए पर्याप्त है और ऐसा करने के बाद बाण वापस तूणीर (तरकश) में आ जाएगा। यह जानकर भगवान कृष्ण ने उन्हें चुनौती दी कि इस वृक्ष के सभी पत्तों को वेधकर दिखलाओ। उस समय दोनों एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े थे। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार कर अपनी तूणीर से एक बाण निकाला और ईश्वर का स्मरण कर बाण पेड़ के पत्तों की ओर चला दिया। बाण ने क्षणभर में पेड़ के सभी पत्तों को वेध दिया और श्री कृष्ण के पैर के आस-पास घूमने लगा, क्योंकि एक पत्ता उन्होंने अपने पैर के नीचे छुपा लिया था। बर्बरीक ने कहा कि आप अपने पैर को हटा लीजिए नहीं तो ये बाण आपके पैर को भी वेध देगा। जिसके बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि युद्ध में तुम किस की ओर से सम्मिलित होगे। बर्बरीक ने अपनी मां को दिये वचन को दोहराया और कहा युद्ध में जो पक्ष निर्बल और हार रहा होगा, मैं उसी का साथ दूंगा। श्री कृष्ण जानते थे कि युद्ध में हार तो कौरवों की होनी है और इस कारण अगर बर्बरीक ने उनका साथ दे दिया तो परिणाम बहुत गंभीर होगा। ब्राह्मणरूपी श्री कृष्ण ने वीर बर्बरीक से दान की इच्छा जाहिर की। बर्बरीक ने उन्हें वचन दिया और दान मांगने को कहा, ब्राह्मण ने उनसे शीश का दान मांगा। बर्बरीक क्षण भर के लिए चौंक गए, लेकिन अपने वचन को पूरा करते हुए, बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया। ब्राह्मण रूप धरे श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ गये और बलिदान से प्रसन्न होकर बर्बरीक को युद्ध में सर्वश्रेष्ठ वीर की उपाधि से अलंकृत करते हुए वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम नाम से जाने व पूजे जाओगे। जो तुम्हारी भक्ति सच्चे दिल से करेगा। उसकी हर मनोकामना पूर्ण होगी।

 

खाटू श्यामजी में दर्शनीय स्थान

खाटू श्यामजी मंदिर के अलावा दर्शनीय स्थान की बात करे तो श्याम कुंड, श्याम बगीचा और गौरीशंकर मंदिर दर्शनीय हैं।

श्याम कुंड

श्याम कुंड वह स्थान है जहां से श्री खाटू श्यामजी (Khatu Shyam) का शीश धरती से अवतरित हुआ था। माना जाता है की इस कुंड में श्रद्धालु यदि सच्चे मन से एक डुबकी लगा ले तो वो अपनी बुराइयों से छुटकारा पा जाता है और अच्छे स्वास्थ्य का धनि होता है। श्याम कुंड को दो भागों में बांटा गया है। जो महिला श्याम कुंड और एक पुरुष श्याम कुंड के नाम से जाने जाते हैं।

 

श्याम बगीचा

श्री खाटू श्यामजी के मंदिर के बाई तरफ श्याम बगीची स्थित है। कहां जाता है श्री खाटू श्यामजी के परम भक्त आलू सिंह इसी बगीचे के फूलों से श्याम बाबा का नित श्रींगार किया करते थे। इसी बगीची में आलू सिंह की मूर्ति लगी हुई है। जहां पर सभी श्याम भक्त अपना शीश झुकाने और दर्शन करने पहुंचते हैं।

 

गौरीशंकर मंदिर

यह मंदिर भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित है। गौरीशंकर मंदिर खाटू श्यामजी मंदिर के करीब है। मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है कहा जाता है कि औरंगजेब के शासनकाल में एक बार इस मंदिर को तोड़ने के की कोशिश की गई। जब इस मंदिर के शिव लिंग को खंडित करने के उद्देश्य से प्रहार किया गया तो शिव लिंग में से खून का फव्वारा निकलने लगा। यह देख कर औरंगजेब की सेना डर गई और यहां से भाग खड़ी हुई।

 

कैसे पहुंचे खाटू श्यामजी

भक्तगण यहां बड़ी सरलता से पहुंच सकते हैं। यहां जाने के लिए आप वायु, रेल तथा सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं।

वायु मार्ग

खाटू श्यामजी से सबसे करीबी एयरपोर्ट जयपुर का है जो 95 किलो मीटर दूर स्थित है। जयपुर एयरपोर्ट के लिए कई फ्लाईट्स देश के प्रमुख हावाई अड्डों से उड़ान भरती हैं। जयपुर से सड़क मार्ग के जरिए खाटू श्यामजी पहुंचा जा सकता है। एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी 95 किमी है।

रेल मार्ग

खाटू श्यामजी का नजदीकी रेलवे स्टेशन पलसाना हैं। जो 16 किमी दूर स्थित है। सीकर से खाटू श्यामजी की दूरी 50 किमी है। फिर भी सीकर से ही खाटू श्यामजी पहुंचने में सुविधा होगी। सीकर जंक्शन है जो देश के कई राज्यों से रेल मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है। यहां से खाटू श्यामजी के लिए बस व टेक्सी सेवा उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग के जरिए खाटू श्यामजी देश के कई से राज्यों बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है। खाटू श्यामजी मंदिर के करीब से ही एनएच 52 निकलता है। इसके अलावा यहां से अजमेर – दिल्ली एक्सप्रेस वे भी गुजरता है। जो देश के कई शहरों को खाटू श्यामजी से जोड़ता है।

Talk to astrologer
Talk to astrologer
एस्ट्रो लेख
Yogini Ekadashi 2025 - जानें योगिनी एकादशी व्रत के इस शुभ दिन का महत्व।

Yogini Ekadashi 2025 – सांसारिक सुख के साथ मोक्षदात्री है यह योगिनी एकादशी 2025

Vehicle Purchase Muhurat 2026: जानें 2026 में नए वाहन खरीद के लिए शुभ मुहूर्त।

Shubh Vahan Muhurat 2026: जानें 2026 में नए वाहन खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त।

Dev Uthani Ekadashi 2025: जानिए कब है देवउठनी एकादशी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

Dev Uthani Ekadashi 2025: कब है देवोत्थान एकादशी पूजा मुहूर्त?

Jyotirlinga in shravan: श्रावण मास में 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग, जानें इसके महत्व, कथा और पूजा के लाभ

Jyotirlinga in shravan: श्रावण मास में 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग, जानें इसके महत्व, कथा और पूजा के लाभ