ऋषिकेश

ऋषिकेश

उत्तराखण्ड में स्थित ऋषिकेश (Rishikesh) भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार कहा जाता है। माना जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीव जीवन-मरण के चक्र से  मुक्त हो जाता है। जिसके चलते यहां हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने आते हैं। यहां आने मात्र से ही व्यक्ति के मन को शान्ति मिलती है। ऋषिकेश में विदेशी पर्यटक भारी संख्या में आध्यात्मिक व मानसिक सुख की चाह लिए नियमित रूप से आते रहते हैं। आगे हम ऋषिकेश की पौराणिक महत्व और यहां के दर्शनीय स्थानों के बारे में जानेंगे।

 

ऋषिकेश से जुड़े पौराणिक कथा 

ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें से एक है, भगवान शिव का विषपान करना। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से सबसे पहले जल का विष निकला। उस विष की तीव्रता से सभी देवता तथा दैत्य मूर्क्षित होने लगे। देवताओं व दैत्यों ने मिलकर भगवान शंकर से प्रार्थना की। उनकी को प्रार्थना स्वीकार्य कर देवो के देव महादेव ने विष को अपनी हथेली पर रख कर उसे पी गए, लेकिन विष को भगवान शिव ने अपने कण्ठ से नीचे नहीं उतरने दिया। इस कालकूट विष के प्रभाव से भोलेनाथ का कण्ठ नीला पड़ गया। इसी कारण महादेव को नीलकण्ठ कहा जाता है। मान्यता है कि शिव जी ने जिस स्थान पर विषपान किया था, वह स्थान ऋषिकेश में है। उस स्थान पर वर्तमान में नीलकंठ महादेव मंदिर बना हुआ है।

एक अन्य कथा के अनुसार ऋषिकेश रामायण काल से संबंधित है। जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि, वनवास के दौरान भगवान राम ने यहां के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। इस बीच एक बार श्री राम के अनुज लक्ष्मण गंगा को पार करने के लिए जूट से एक झूले का निर्माण किया। मान्यता है कि जिस स्थान पर लक्ष्मण ने झूले का निर्माण किया था, वर्तमान में उसी स्थान पर एक पुल का निर्माण किया गया है जिसे लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है।

 

ऋषिकेश के दर्शनीय स्थान

ऋषिकेश की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो यहां के कुछ स्थानों के बारे में पहले जान लें जो आपके ऋषिकेश यात्रा के लिए सहायक सिद्ध होगा। तो आइए जानते हैं यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में-

 

लक्ष्मण झूला

गंगा नदी के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ता हुआ यह झूला ऋषिकेश की पहचान है। लिखित प्रमाण के अनुसार इस झूले को सन 1939 में बनवाया गया था। इस झूले की पौराणिक मान्यता है कि रामायण काल में गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनाया था। आज भी लोग इस झूले के बीच में पहुंचने पर इसे हिलता हुआ अनुभव करते हैं। 450 फीट लंबे इस झूले के समीप ही लक्ष्मण और रघुनाथ जी के मंदिर हैं। झूले पर खड़े होकर आसपास के सुंदर दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। लक्ष्मण झूले के समान ही राम झूला भी नजदीक में ही स्थित है। यह झूला शिवानंद और स्वर्ग आश्रम के बीच बना हुआ है। इसलिए इस झूले को शिवानंद झूला के नाम से भी जाना जाता है।

 

त्रिवेणी घाट

ऋषिकेश में स्नान करने का यह प्रमुख घाट है। यहां हिंदू धर्म की पवित्र नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती आपस में मिलती हैं। इसी के चलते इस स्थान को त्रिवेणी कहा जाता है। जहां प्रात: काल में अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। इसी स्थान से गंगा नदी दायीं ओर मुड़ जाती है। यहां शाम में होने वाली गंगा आरती का नजारा बेहद आकर्षक होता है।

 

नीलकंठ महादेव मंदिर

ऋषिकेश के स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर का बड़ा पौराणिक महत्व है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था। विषपान के बाद विष के प्रभाव के से उनका गला नीला पड़ गया था जिसके बाद उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया।

 

परमार्थ निकेतन घाट

इस आश्रम की स्थापना स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा की गई थी। यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्रचीन आश्रम माना जाता है। स्वामी विशुद्धानन्द जी को काली कमली वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता था। इस आश्रम में कई सुंदर मंदिर बने हुए हैं। जो दर्शनीय हैं।

 

कैसे जाएं ऋषिकेश

यहां परिवहन के तीन माध्यम से पहुंच सकते हैं।

वायु मार्ग

देहरादून शहर के निकट स्थित जॉली ग्रान्ट एयरपोर्ट ऋषिकेश का नजदीकी एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से ऋषिकेश की कुल दूरी 21 किलोमीटर है। यहां के लिए एयर इंडिया, जेट एवं स्पाइसजेट की फ्लाइटें दिल्ली एयरपोर्ट से उड़ान भरती हैं।

रेल मार्ग

ऋषिकेश का नजदीकी रलवे स्टेशन ऋषिकेश में ही है, जो शहर से 5 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।

Talk to astrologer
Talk to astrologer
एस्ट्रो लेख
Parivrtini Ekadashi 2025: जानें परिवर्तिनी एकादशी व्रत की तिथि, पूजा विधि और व्रत कथा

Parivartini Ekadashi 2025: जानें परिवर्तिनी एकादशी का व्रत, पूजा विधि और व्रत कथा

Ganesh Mantra: क्या करियर में मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिल रही? गणेश मंत्र से पाएं सफलता!

Ganesh Mantra: करियर में सफलता पाने के लिए भगवान गणेश के इन मंत्रों का करें जाप

Ganesh Ji Sund Disha: गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए, दाईं या बाईं ? इनमें से कौन सी दिशा अधिक शुभ?

Ganesh Ji Sund Disha: गणेश जी की सूंड किस दिशा में होनी चाहिए? जानिए शुभ-अशुभ संकेत

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी कब है? कैसे करें बप्पा की स्थापना और पूजा?

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी कब है? कैसे करें बप्पा की स्थापना और पूजा?