कन्याकुमारी

कन्याकुमारी

कन्याकुमारी (Kanyakumari) का जितना महत्व पर्यटन की दृष्टि है उससे ज्यादा महत्व धार्मिक रूप से है। भारत के तमिलनाडु राज्य के दक्षिण तट पर बसा कन्याकुमारी शहर प्राचीन काल से कला, संस्कृति, सभ्यता और अध्यात्म का केंद्र रहा है। कन्याकुमारी के दर्शनीय स्थलों में सबसे पहला स्थान भगवती अम्मन मंदिर का है तो वहीं दूसरा स्थान पर विवेकानंद रॉक मेमोरियल का है। इसके अलावा कवि तिरूवल्लुवर की मूर्ति और थानुमलायन मंदिर भी दर्शनीय स्थान हैं। माना जाता है कि यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा बहुत ही आकर्षक है। आगे हम कन्याकुमारी के पौराणिक व धार्मिक महत्व रखने वाले दर्शनीय स्थलों के बारे में जानेंगे।

 

कन्याकुमारी का पौराणिक महत्व

कन्‍याकुमारी (Kanyakumari) का कन्याकुमारी नाम क्यों और कैसे पड़ा इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। लोक मान्यता है कि बहुत समय पहले बानासुरन नाम का दैत्य हुआ था। उसने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु कुंवारी कन्या के अलावा किसी से न हो। शिव ने बानासुरन को मनोवांछित वरदान दे दिया। जिसके बाद बानासुरन का अत्याचार बढ़ता गया। उस समय भारत पर शासन करने वाले राजा भरत को आठ पुत्री व एक पुत्र था। राजा भरत ने अपना साम्राज्य नौ बराबर भागों में बांट कर अपनी संतानों को दे दिया। दक्षिण का हिस्सा उनकी पुत्री कुमारी को मिला। जिन्हें देवी शक्ति का अवतार माना जाता था। कुमारी की ईच्‍छा थी कि वे शिव से विवाह करेंगी। इसके लिए वे शिव की पूजा करती थी। कुंवारी की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव विवाह के लिए राजी हो गए और विवाह की तैयारियां होने लगीं। लेकिन नारद मुनी चाहते थे कि बानासुरन का वध कुमारी के हाथों हो। जिसके कारण शिव और देवी कुमारी का विवाह न हो सका। इस बीच जब बानासुरन को कुमारी की सुंदरता के बारे में पता चला तो उसने कुमारी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। जिसके जवाब में कुमारी ने भी शादी के लिए एक शर्त रख दी। शर्त यह थी कि यदि बानासुरन कुमारी को युद्ध में हरा देगा तो कुमारी उससे विवाह कर लेंगी। दोनों के बीच युद्ध हुआ और बानासुरन काल के गाल में समा गया। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद कुमारी के सम्मान में ही दक्षिण भारत के इस स्थान का नाम कन्याकुमारी पड़ा।

 

दर्शनीय स्थल

कन्याकुमारी के दर्शनीय स्थलों में शामिल हैं...

 

कन्याकुमारी अम्मन मंदिर

कन्याकुमारी अम्मन मंदिर हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के संगम स्थल पर बना है। यह मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है। श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने से पहले त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं। जो मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार को हमेशा बंद रखा जाता है क्योंकि मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति के रत्न जड़ित आभूषणों से निकलने वाली रोशनी को समुद्री जहाज लाइटहाउस समझने की भूल कर बैठते हैं और जहाज को किनारे करने के चक्‍कर में दुर्घटनाग्रस्‍त हो जाते हैं।

 

विवेकानंद रॉक मेमोरियल

विवेकानंद रॉक मेमोरियल को लोग स्वामी विवेकानंद मंदिर के तौर पर भी जानते हैं। समुद्र में बने इस स्थान पर बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। इस स्थान को विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने सन 1970 में स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बनवाया था। इस स्मारक के विवेकानंद मंडपम और श्रीपद मंडपम नामक के दो प्रमुख भाग हैं। माना जाता है कि इसी स्थान पर स्वामी विवेकानंद ने गहन ध्यान लगाया था। इस स्थल को श्रीपद पराई के नाम से भी जाना जाता है।

 

तिरूवल्लुवर मूर्ति

प्राचीन मुक्तक काव्य तिरुक्कुरुल की रचना करने वाले तमिल कवि तिरूवल्लुवर की प्रतिमा पर्यटकों को खूब लुभाती है। यह प्रतिमा 38 फीट ऊंचे आधार पर बनी है। प्रतिमा की ऊंचाई 95 फीट है। इस प्रतिमा की कुल उंचाई 133 फीट है और इसका वजन 2000 टन है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस प्रतिमा को बनाने में कुल 1283 पत्थर के टुकड़ों का उपयोग किया गया है।

 

थानुमलायन मंदिर

कन्याकुमारी से 12 किमी दूर स्थित सुचिन्द्रम एक छोटा सा गांव है जहां संकटमोचन हनुमान का थानुमलायन मंदिर स्थित है जो काफी प्रसिद्ध है। मंदिर में स्‍थापित हनुमान जी की प्रतिमा बहुत ही आकर्षक है और इस मूर्ति की ऊंचाई छह मीटर है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश की मूर्तियां स्‍थापित हैं।

 

कन्याकुमारी कब और कैसे जाएं

यह एक तटीय शहर है जहां मानसून का काफी प्रभाव रहता है। कन्याकुमारी जाने के लिए जून मध्य से सितंबर मध्य तक मौसम बिगड़ा रहता है जिसके कारण इस समय पर्यटक व श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रहती है। बाकी समय में यहां अच्छे खासे सैलानी व श्रद्धालु देखे जा सकते हैं।

 

रेल मार्ग

कन्याकुमारी रेल मार्ग द्वारा जम्मू, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, मदुरै, तिरुअनंतपुरम और एरनाकुलम से जुड़ा है। जहां से श्रद्धालु कन्याकुमारी बड़ी ही सुगमता से पहुंच सकते हैं। तिरुवनंतपुरम से कन्याकुमारी की यात्रा ढाई घंटे की है। लेकिन अन्य शहर मुंबई, दिल्ली, चेन्नई से कन्याकुमारी की यात्रा में 48 से 60 घंटे तक का समय लग सकता है।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग से भी भक्तगण व पर्यटक कन्याकुमारी जा सकते हैं। यदि आपकी अपनी गाड़ी है तो आप बड़े आराम से सभी दर्शनीय स्थल घूम सकते हैं। इसके अलावा कन्याकुमारी के लिए तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, मदुरै, रामेश्वरम आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

वायु मार्ग

कन्याकुमारी से सबसे निकटतम हवाई अड्डा तिरुवनंतपुरम में है। हवाई अड्डे से कन्याकुमारी की दूरी 105 किमी है। तिरुवनंतपुरम के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई से सीधी उड़ाने उपलब्ध हैं।

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