प्रयागराज

प्रयागराज

प्रयागराज (Prayagraj) गंगा, यमुना तथा सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित एक धार्मिक नगर है। यह नगर प्रचीनकाल से आध्यात्म का केंद्र रहा है। जिसके कारण यह तीर्थ यात्रियों और धार्मिक लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। यह नगर पौराणिक और आध्यात्मिक ज्ञान से भरा हुआ है। प्रयागराज में पवित्रता, धर्म, परंपराओं और वास्तुकला का उत्तम मिश्रण है जो ऐतिहासिक व धार्मिक अनुभव प्रदान करता है। प्रयागराज उन स्थलों में से एक है जहां कुंभ मेले का आयोजन होता है और भारी संख्या में श्रद्धालुओं यहां एकत्र होते हैं। आगे हम प्रयागराज की पौराणिक मान्यता और यहां के दर्शनीय स्थानों के बारे में जानेंगे।

 

प्रयागराज की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्रयागराज (Prayagraj) में जगत पिता ब्रह्मा ने सृष्टि सृजन का कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। कहा जाता है कि इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग शब्द से मिलकर प्रयाग बना। इसी के बाद इस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा, जहां ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ संपन्न किया था। इस पावन नगरी के देखभाल स्वयं भगवान श्रीहरि विष्णु करते हैं और यहां सृष्टि के पालनकर्ता माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहां बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इस स्थान का एक और पौराणिक महत्व है। समुद्र मंथन के दौरान अमृत के लिए असुरों और देवताओं में विवाद हुआ। जिसमें दोनों पक्ष छीना-झपटी करने लगते हैं, तभी अमृत कलश से अमृत छलक धरती पर चार जगह गिरता है। जिनमें से एक प्रयाग है। इसी के चलते प्रयाग सबसे बड़े हिंदू सम्मेलन कुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं।

 

प्रयागराज में दर्शनीय स्थल

प्रयागराज में कई दर्शनीय स्थान हैं जिसमें से सबसे महत्वपूर्ण स्थान संगम है। इसके अतिरिक्त यहां के दर्शनीय स्थलों में हनुमान मंदिर, सरस्वती घाट और मनकामेश्वर मंदिर शामिल है।

 

संगम

प्रयागराज (Prayagraj) में हिंदू धर्म की पवित्र नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती आकर मिलती हैं। चूंकि यहां तीन नदियां आकर आपस में मिलती हैं। इन्हीं तीनों नदियों के पवित्र संगम के कारण ही इसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। हिंदू धर्म के पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां अमृत की बूंदें गिरी थीं। इसीलिए इसे तीर्थराज कहा जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि संगम में स्नान करने मात्र से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। संगम में सानातन हिंदू धर्म को मानने वाले अपने प्रियजनों की मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष प्रदान करने के लिए उनकी अस्थियां विसर्जित करते हैं। हमेशा घाट भक्तों से भरा रहता है। पास में सरस्वती और नेहरू घाट हैं जहां शाम को गंगा आरती होती है।

 

हनुमान मंदिर

संगम के कुछ ही दूरी पर स्थित यह संकट मोचन हनुमान का एक अद्भुत एवं अपने आप में अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी की 20 फिट लंबी लेटी हुई प्रतिमा है। पवन सुत के दर्शन के लिए भक्तगणों को सीढियों से उतर कर नीचे जाना पड़ता हैं। यह प्रतिमा विशाल एवं भव्य है। भक्तों का ऐसा मानना हैं कि अंग्रेजी शासन ने इस मंदिर को यहां से हटवाने का आदेश दिया, लेकिन जैसे ही मूर्ति को हटाने के लिए खुदाई शुरू की गई तो मूर्ति बाहर आने के बजाय अंदर धसती चली गयी। यही कारण हैं कि यह मंदिर गड्ढे में हैं। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना मुगल शासक अकबर ने करवाया था।

 

मनकामेश्वर मंदिर

यह मंदिर यमुना के तट पर स्थित है। इस मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। मंदिर के चबूतरे से यमुना का नजारा अत्यंत ही मनोहर है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि प्रतिदिन भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है और यहां दिव्य आरती होती है। जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल होते हैं।

 

सरस्वती घाट

यमुना के तट पर स्थित सरस्वती घाट का निर्माण हालही में हुआ है। तीन ओर से सीढ़ियां यमुना के हरे जल तक उतरती हैं और ऊपर एक बगीचा है जो सदैव हरी घास से ढका रहता है। यहां पर बोटिंग करने की भी सुविधा उपलब्ध है। यहां से आप नाव के जरिए संगम तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

 

प्रयागराज कैसे पहुंचे

यदि आप प्रयागराज जाने की योजना बना रहे हैं तो हम आपको बता दें कि आप प्रयागराज तीनों मार्गों से जा सकते हैं।

वायु मार्ग

इलाहाबाद एयरपोर्ट या बमरौली एयरपोर्ट इलाहाबाद में स्थित है। यह शहर से 12 किमी की दूरी पर स्थित है और यहां से घरेलू उड़ानें भरी जाती हैं। यहां के लिए देश के दिल्ली, मुंबई समेत अन्य एयरपोर्टों से उड़ान भरा जा सकता है।

रेल मार्ग

प्रयागराज उत्तर-मध्य रेलवे खंड का मुख्यालय है। यहां पर 10 रेलवे स्टेशन हैं जो भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, भुवनेश्वर आदि से जुड़े हुए हैं।

सड़क मार्ग

प्रयागराज (Prayagraj) राजमार्ग के जरिए देश के सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। आप राजस्थान, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा से सीधे प्रयागराज आराम से पहुंच सकते हैं।

Talk to astrologer
Talk to astrologer
एस्ट्रो लेख
Panchak 2026 Dates: कब है पंचक? जानें सभी तिथियां और प्रभाव

Panchak 2026 Dates: कब है पंचक? जानें सभी तिथियां और प्रभाव

Shradh 2025 Kab Hai: पितृपक्ष की शुरुआत, तिथियां और सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Shradh 2025 Kab Hai: पितृपक्ष की शुरुआत, तिथियां और सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी कब है? कैसे करें बप्पा की स्थापना और पूजा?

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी कब है? कैसे करें बप्पा की स्थापना और पूजा?

गणेश जी के 12 नाम: जीवन से रुकावटें हटाएं और सफलता पाएं

गणेश भगवान के 12 नाम: हर तंगी से दिलाएंगे राहत, हर काम में मिलेगी सफलता