कई बार आप अपने जीवन में ऐसा महसूस करते हैं कि आपके साथ कुछ अशुभ हो रहा है। मसलन आपकी आमदनी का जरिया एकाएक छिन जाता है, या फिर पानी सबंधी दिक्कतें आपको झेलनी पड़ रही हैं, आप अनिष्ट की शंकाओं से घिरे रहते हैं, मन में घबराहट, एक अंजाना भय आपको सताता रहता है, आपकी यादाश्त भी बहुत कमजोर हो जाती है, यहां तक हो सकता है आपके मन में दुनिया छोड़ने तक विचार आते हों। क्या आप जानते हैं आपके साथ ऐसा क्यों होता है? ज्योतिषशास्त्र के नज़रिये से देखा जाये तो इन सबका कारक आपका मन होता है और मन चंद्रमा से प्रभावित होता है। यदि आपके साथ ऐसा कुछ घट रहा है तो समझ लिजिये की आपका चंद्रमा कमजोर है या फिर आप चंद्र दोष का शिकार हैं। अपने इस लेख में हम आपको चंद्र दोष के बारे में ही बतायेंगें और साथ ही बात करेंगें इसे दूर करने के उपाय के बारे में भी।
एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्य के अनुसार जब चंद्रमा के साथ राहू की युक्ति हो रही हो तो ऐसी अवस्था को चंद्र दोष माना जाता है। इसी अवस्था को चंद्र ग्रहण भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस अवस्था में चंद्रमा पीड़ित जाता है और चंद्रमा चूंकि मन का कारक है इसलिये मन में भी विकार पैदा होने लगते हैं। इसके अलावा भी कुछ और अवस्थाएं हैं जिनमें चंद्र दोष होता है।
जब चंद्रमा पर राहू की दृष्टि पड़ रही हो तो यह भी चंद्र दोष कहलाता है या फिर चंद्रमा केतु के साथ युक्ति संबंध कर रहा हो तो उसे भी चंद्र दोष माना जाता है। चंद्रमा यदि नीच राशि का हो या फिर नीच ग्रह, अशुभ ग्रह या कहें पाप ग्रहों के साथ हो तो भी चंद्र दोष होता है। जब राहू और केतु के बीच में चंद्रमा हो तो इसे भी चंद्र दोष कहते हैं। चंद्रमा पर किसी भी क्रूर ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो उससे भी चंद्र दोष होता है। जब सूर्य और चंद्रमा एक साथ हों यानि अमावस्या को भी चंद्र दोष कहा जाता है। इसके अलावा चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश स्थान पर सूर्य, राहू और केतु के अलावा कोई भी ग्रह न हो तो यह भी चंद्रमा को पीड़ित करता है।
चंद्र दोष से जाने अंजाने में हर कोई किसी न किसी रुप में पीड़ित हो ही जाता है, और पीड़ित होने के बाद से ही जातक के जीवन में उथल-पुथल मचने लगती है। वह आशंकित रहने लगता है, भयभीत हो जाता है, लगातार हो रही हानियों से तनावग्रस्त हो जाता है यहां तक पारिवारिक जीवन भी असंतोष से भरने लगता है। कई बार तो जीवन साथी के साथ मतभेद इतने बढ़ जाते हैं कि अलगाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिये चंद्र दोष से बचाव के उपाय जरुर करने चाहिये।
चंद्र दोष से बचाव के लिये पीड़ित को चंद्रमा के अधिदेवता भगवान शिवशंकर की पूजा करनी चाहिये साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शिव कवच का पाठ भी चंद्र दोष को कम करने में सहायक होता है। इनके अलावा चंद्रमा का प्रत्याधिदेवता जल को माना गया है और जल तत्व के स्वामी भगवान श्री गणेश हैं इसलिये गणेशोपासना से भी चंद्र दोष दूर होता है विशेषकर तब जब चंद्रमां के साथ केतु युक्ति कर रहा हो। इनके अलावा दुर्गासप्तशती का पाठ, गौरी, काली, ललिता और भैरव की उपासना से भी राहत मिलती है। लेकिन कोई भी पूजा तभी फलदायी होती है जब उसे विधिवत रूप से किया जाये और पूजा को विधिवत रूप से करने के लिये विद्वान आचार्यों का मार्गदर्शन जरुरी है।
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