कब से शुरू 2022 में श्राद्ध? जानिए किस तिथि में कौन सा श्राद्ध

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कब से शुरू 2022 में श्राद्ध? जानिए किस तिथि में कौन सा श्राद्ध

श्राद्ध साधारण शब्दों में श्राद्ध का अर्थ अपने कुल देवताओं, पितरों, अथवा अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है। हिंदू पंचाग के अनुसार वर्ष में पंद्रह दिन की एक विशेष अवधि है जिसमें श्राद्ध कर्म किये जाते हैं इन्हीं दिनों को श्राद्ध पक्ष, पितृपक्ष और महालय के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों में तमाम पूर्वज़ जो शशरीर परिजनों के बीच मौजूद नहीं हैं वे सभी पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं और उनके नाम से किये जाने वाले तर्पण को स्वीकार करते हैं।

2022 में सभी पितृ पक्ष दिनों की सूची उनकी तिथियों और समय

10 सितंबर 2022 - पूर्णिमा श्राद्ध या प्रतिपदा श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक (अवधि - 50 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:49 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक (अवधि - 50 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:38 अपराह्न से 04:07 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 29 मिनट)

  • प्रतिपदा तिथि 10 सितंबर 2022 को दोपहर 03:28 बजे शुरू होगी

  • प्रतिपदा तिथि 11 सितंबर 2022 को दोपहर 01:14 बजे समाप्त होगी

11 सितंबर 2022 - द्वितीया श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक अवधि - 50 मिनट

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:48 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक अवधि - 50 मिनट

  • अपर्णा काल - 01:38 अपराह्न से 04:06 अपराह्न अवधि - 02 घंटे 29 मिनट

  • द्वितीया तिथि 11 सितंबर 2022 को दोपहर 01:14 बजे शुरू होगी

  • द्वितीया तिथि 12 सितंबर 2022 को सुबह 11:35 बजे समाप्त होगी

12 सितंबर 2022 - तृतीया श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - 11:58 पूर्वाह्न से 12:48 अपराह्न (अवधि - 49 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:48 बजे से दोपहर 01:37 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:37 अपराह्न से 04:05 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 28 मिनट)

  • तृतीया तिथि 12 सितंबर 2022 को सुबह 11:35 बजे शुरू हो रही है

  • तृतीया तिथि 13 सितंबर 2022 को सुबह 10:37 बजे समाप्त हो रही है

13 सितंबर 2022 - चतुर्थी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:47 बजे से दोपहर 01:37 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:37 अपराह्न से 04:05 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 28 मिनट)

  • चतुर्थी तिथि 13 सितंबर 2022 को सुबह 10:37 बजे शुरू हो रही है

  • चतुर्थी तिथि 14 सितंबर 2022 को सुबह 10:25 बजे समाप्त होगी

14 सितंबर 2022 - पंचमी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:47 बजे से दोपहर 01:36 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:36 अपराह्न से 04:04 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 28 मिनट)

  • पंचमी तिथि 14 सितंबर 2022 को सुबह 10:25 बजे शुरू होगी

  • पंचमी तिथि 15 सितंबर 2022 को पूर्वाह्न 11:00 बजे समाप्त होगी

15 सितंबर 2022 - षष्ठी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:47 बजे से दोपहर 01:36 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:36 अपराह्न से 04:03 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 27 मिनट)

  • षष्ठी तिथि 15 सितंबर 2022 को सुबह 11:00 बजे से शुरू हो रही है

  • षष्ठी तिथि 16 सितंबर, 2022 को दोपहर 12:19 बजे समाप्त होगी

16 सितंबर 2022 - सप्तमी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:46 बजे से दोपहर 01:35 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:35 अपराह्न से 04:02 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 27 मिनट)

  • सप्तमी तिथि 16 सितंबर 2022 को दोपहर 12:19 बजे शुरू होगी

  • सप्तमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 02:14 बजे समाप्त होगी

18 सितंबर 2022 - अष्टमी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:45 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:34 अपराह्न से 04:01 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 27 मिनट)

  • अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 02:14 बजे शुरू होगी

  • अष्टमी तिथि 18 सितंबर 2022 को शाम 04:32 बजे समाप्त होगी

 19 सितंबर 2022 - नवमी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक (अवधि - 49 मिनट .)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:45 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:34 अपराह्न से 04:00 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 26 मिनट .)

  • नवमी तिथि 18 सितंबर 2022 को शाम 04:32 बजे शुरू होगी

  • नवमी तिथि 19 सितंबर 2022 को शाम 07:01 बजे समाप्त होगी

20 सितंबर 2022 - दशमी श्राद्ध 

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक (अवधि - 49 मिनट ) 

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:45 बजे से दोपहर 01:33 बजे तक (अवधि - 49 मिनट) 

  • अपर्णा काल - 01:33 अपराह्न से 03:59 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 26 मिनट)

  •  दशमी तिथि 19 सितंबर 2022 को शाम 07:01 बजे शुरू होगी

  • दशमी तिथि 20 सितंबर 2022 को रात 09:26 बजे समाप्त होगी 

21 सितंबर 2022 - एकादशी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक (अवधि - 49 मिनट .)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:44 बजे से दोपहर 01:33 बजे तक (अवधि - 49 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:33 अपराह्न से 03:59 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 26 मिनट) 

  • एकादशी तिथि 20 सितंबर 2022 को रात 09:26 बजे से शुरू हो रही है

  • एकादशी तिथि 21 सितंबर 2022 को रात 11:34 बजे समाप्त होगी

22 सितंबर 2022 - द्वादशी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक (अवधि - 49 मिनट.)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:44 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक (अवधि - 49 मिनट.)

  • अपर्णा काल - 01:32 अपराह्न से 03:58 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 26 मिनट.)

  •  द्वादशी तिथि 21 सितंबर, 2022 को रात 11:34 बजे शुरू होगी

  • द्वादशी तिथि 23 सितंबर 2022 को पूर्वाह्न 01:17 बजे समाप्त होगी

23 सितंबर 2022 - त्रयोदशी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:43 बजे तक (अवधि - 00 घंटे 48 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:43 बजे से दोपहर 01:32 बजे तक (अवधि - 00 घंटे और 48 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:32 अपराह्न से 03:57 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 25 मिनट पर)

  • त्रयोदशी तिथि 23 सितंबर 2022 को प्रातः 01:17 बजे शुरू होगी

  • त्रयोदशी तिथि 24 सितंबर 2022 को प्रातः 02:30 बजे समाप्त होगी 

24 सितंबर 2022 - चतुर्दशी श्राद्ध

  • कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:43 बजे तक (अवधि - 48 मिनट)

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:43 बजे से दोपहर 01:31 बजे तक (अवधि - 48 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:31 अपराह्न से 03:56 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 25 मिनट)

  • चतुर्दशी तिथि 24 सितंबर 2022 से शुरू हो रही है। 02:30 पूर्वाह्न

  • चतुर्दशी तिथि 25 सितंबर 2022 को प्रातः 03:12 बजे समाप्त होगी

25 सितंबर 2022 - अमावस्या श्राद्ध या सर्व पितृ अमावस्या

  • कुटुप मुहूर्त - 11:54 पूर्वाह्न से 12:43 अपराह्न तक (अवधि - 48 मिनट) 

  • रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:43 बजे से दोपहर 01:31 बजे तक (अवधि - 48 मिनट)

  • अपर्णा काल - 01:31 अपराह्न से 03:56 अपराह्न (अवधि - 02 घंटे 25 मिनट) 

  • अमावस्या तिथि 25 सितंबर 2022 को सुबह 03:12 बजे से शुरू हो रही है

  • अमावस्या तिथि 26 सितंबर 2022 को सुबह 03:23 बजे समाप्त होगी

कौन होते हैं पितर?

परिवार के दिवंगत सदस्य चाहे वह विवाहित हों या अविवाहित, बुजूर्ग हों या बच्चे, महिला हों या पुरुष जो भी अपना शरीर छोड़ चुके होते हैं उन्हें पितर कहा जाता है। मान्यता है कि यदि पितरों की आत्मा को शांति मिलती है तो घर में भी सुख शांति बनी रहती है और पितर बिगड़ते कामों को बनाने में आपकी मदद करते हैं लेकिन यदि आप उनकी अनदेखी करते हैं तो फिर पितर भी आपके खिलाफ हो जाते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी आपके बनते हुए काम बिगड़ने लग जाते हैं।

श्राद्ध व तर्पण कैसे करें? इसकी विधि क्या होती है इसके लिये विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें। एस्ट्रोयोगी पर आप देश भर के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से परामर्श ले सकते हैं। श्राद्ध पक्ष में कैसे मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति गाइडेंस लें इंडिया के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से 

कब होता है पितृपक्ष?

पंडितजी के अनुसार हिन्दूओं के धार्मिक ग्रंथों में पितृपक्ष के महत्व पर बहुत सामग्री मौजूद हैं। इन ग्रंथों के अनुसार पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से ही शुरु होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। दरअसल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा को उन्हीं का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो। कुछ ग्रंथों में भाद्रपद पूर्णिमा को देहत्यागने वालों का तर्पण आश्विन अमावस्या को करने की सलाह दी जाती है। शास्त्रों में वर्ष के किसी भी पक्ष (कृष्ण-शुक्ल) में, जिस तिथि को स्वजन का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म पितृपक्ष की उसी तिथि को करना चाहिये।

जब याद न हो श्राद्ध की तिथि

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि वर्तमान में भागदौड़ की जिंदगी और अंग्रेजी कैलेंडर ने बहुत कुछ विस्मृत कर दिया है। तिथि तो दूर लोग अपने पूर्वजों तक को भूल जाते हैं। फिर भी जिसे अपनी गलती का अहसास हो वह पश्चाताप जरुर करता है और इसे जानना भी चाहता है कि अपने पूर्वजों के प्रति किये गये अपने इस अपराधबोध से वह कैसे मुक्त हो?  तो ऐसी स्थिति में भी धार्मिक ग्रंथ हमारे सहायक होते हैं। शास्त्रों में यह विधान दिया गया है कि यदि किसी को अपने पितरों, पूर्वजों के देहावसान की तिथि ज्ञात नहीं है तो ऐसी स्थिति में आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है। इसलिये इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा यदि किसी परिजन की अकाल मृत्यु हुई हो यानि यदि वे किसी दुर्घटना का शिकार हुए हों या फिर उन्होंनें आत्महत्या की हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। ऐसे ही पिता का श्राद्ध अष्टमी एवं माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करने की मान्यता है।

संबंधित लेख : पितृ-पक्ष 2022 । पितृपक्ष में ये उपाय करने से होते हैं पितर शांत | श्राद्ध पक्ष में पितरों की शांति के लिये कैसे होता है श्राद्ध कर्म | सर्वपितृ अमावस्या 2022

✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी

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