Daridra Yog : आज महंगाई के जमाने में आप चाहे जितना पैसा कमा लो हमेशा कम ही पड़ता है। आज के युग में जहां पैसा कमाना काफी टेढ़ी खीर है वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की चाल बिगड़ जाए तो उसकी कुंडली में दरिद्र योग बना सकता है। इस योग के नाम से ही साफ है कि यह जातक को कंगाल कर सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जन्मपत्रिका में 11 वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6ठें, 8वें और 12वें घर में स्थित हो जाता है तो ऐसी स्थिति में दरिद्र योग का निर्माण होता है। यह योग जातक के व्यवसाय और आर्थिक स्थिति को खराब कर देता है।
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आपको बता दें कि दरिद्र योग दुनियाभर के हर किसी चौथे व्यक्ति की कुंडली में होता है। इस वजह से ही लोग निर्धन, अपराधी, चोर, ठग, जेबकतरे और धोखा देने वाले बन जाते हैं। वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक का जन्म इस योग में होता है तो ऐसे लोग अवैध और अनैतिक कार्यों के माध्यम से धन कमाते हैं। ये लोग व्यसनी, कटुभाषी और धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। ये दूसरे का काम बिगाड़ने में जरा संकोच नहीं करते हैं। दरिद्र योग का निर्माण तब भी होता है जब शुभ ग्रह किसी अशुभ ग्रह के संपर्क में आ जाते हैं। इसलिए जब भी आप विवाह के लिए कुंडली मिलान करें तो कुंडली में दरिद्र योग जरूर देख लें ताकि विवाह के बाद दंपत्ति को इस योग की वजह से कलह और अशांति का सामना न करना पड़े।
कब-कब बनता है दरिद्र योग?
यदि किसी जन्मपत्रिका में 11 वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6ठें, 8वें और 12वें घर में स्थित हो जाता है तो दरिद्र योग बनता है ।
जब किसी जातक की कुंडली में लग्नेश कमजोर, धनेश नीच या केंद्र में पाप ग्रह( सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु) हो तो व्यक्ति निर्धन होता है।
यदि किसी की जन्मपत्रिका में अष्टमेश से नवमेश ज्यादा बलवान होता है तो जातक को धन कमाने में रुचि कम होती है।
यदि कुंडली में गुरु लग्नेश होकर केंद्र में न हो और धनेश निर्बल या नीच का हो तो जातक को आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है।
यदि जन्मपत्रिका में वित्तभाव का स्वामी किसी त्रिकभाव में हो या किसी पापग्रह से प्रभावित हो तो जातक को हमेशा धनी की कमी बनी रहती है।
यदि कुंडली में शुक्र, गुरु, चंद्रमा और मंगल क्रम से पहले दसवें, नवें, सातवें या पंचम भाव में नीच का हो तो व्यक्ति निर्धन होता है।
यदि गुरु छठे भाव या 12वें भाव में स्थित हो लेकिन स्वराशि में न हो तो व्यक्ति गरीब होता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में धन कारक गुरु से कोई नीच ग्रह दूसरे, चौथे और पांचवें भाव में हो तो व्यक्ति को वित्त संबंधी समस्या हमेशा बनी रहती है।
यदि किसी कन्या की कुंडली में सूर्य और चंद्रमा दोनों कुंभ राशि में विराजित हो और बाकी ग्रह निर्बल हो तो शादी के बाद धन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यदि शुभ ग्रह केंद्र में स्थित हो और नीचग्रह धनभाव में स्थित हो तो दरिद्र योग बनता है।
यदि चंद्रमा से चौथे स्थान पर सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु हो तो जातक निर्धन बना रहता है।
यदि आपकी कुंडली में दरिद्र योग है तो आपको प्रतिदिन धन की देवी लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। इससे धन की कमी दूर होती है।
प्रत्येक शुक्रवार को मां लक्ष्मी का पूजन करें वो भी भगवान विष्णु के साथ ताकि आपको आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े।
यदि आप धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रसन्न करें। इसके लिए एकादशी के दिन व्रत रखे और द्वादशी के दिन चावल का दान करें।
यदि कुंडली में दरिद्र योग है तो प्रत्येक माह की पूर्णिमा के दिन गरीबों को दान करें और विधिवत पूजा-अर्चना करें।
यंत्रों में आप श्रीयंत्र में मोती जड़वाकर उसे पेडेंट के रूप में धारण कर सकते हैं। इससे दरिद्र योग कम होने लगता है।
दरिद्र योग से छुटकारा पाने के लिए रविवार और गुरुवार को अन्न का दान करें।
दरिद्र योग निवारण के लिए रोजाना संध्या के समय दीपक जलाएं और भगवान की संध्या आरती करें।
यदि आपको व्यवसाय में हानि हो रही है तो अपने गल्ले पर कुबेर यंत्र स्थापित करें।
यदि आपको इस योग से मुक्ति चाहिए तो आप धन की देवी लक्ष्मी और धन का देवता कुबेर का पूजन और हवन भी करा सकते हैं।
दरिद्र योग निवारण के उपाय सामान्य आकलन पर आधारित हैं यदि आप राशिनुसार उपाय करना चाहते हैं तो एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रॉलोजर से संपर्क करें।