
Dhanteras aarti in hindi: क्या आपने कभी सोचा है कि दीपावली की शुरुआत धनतेरस से ही क्यों होती है? क्योंकि यह दिन सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। कहा जाता है, इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धनवंतरि की पूजा करने से जीवन में सुख और सफलता का प्रकाश बढ़ता है।
क्या आपको पता है कि धनतेरस का संबंध सिर्फ धन से नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु से भी है? इस दिन भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। तभी से धनतेरस को स्वास्थ्य, धन और सौभाग्य का पर्व माना जाता है, जो हर घर में खुशहाली का संदेश लाता है।
तो क्या आप जानते हैं कि इस साल धनतेरस कब मनाई जाएगी? साल 2025 में यह शुभ दिन 18 अक्टूबर, शनिवार को पड़ेगा। इस पावन अवसर पर अगर आप धनतेरस आरती पूरे विधि-विधान से करें, तो मां लक्ष्मी और कुबेर देव की कृपा आपके घर में स्थायी रूप से वास करती है।
धनतेरस की आरती संध्या काल में प्रदोष काल में की जाती है। इस समय सूर्यास्त के बाद दीप जलाकर मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धनवंतरि देव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस साल 2025 में धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त:
तिथि आरंभ: 18 अक्टूबर 2025, सुबह 11:16 बजे
तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर 2025, सुबह 9:30 बजे
पूजा मुहूर्त: शाम 6:45 बजे से रात 8:20 बजे तक
धनतेरस आरती के श्लोक भगवान धन्वंतरि के गुणों का मधुर वर्णन करते हैं। आरती में उनकी महिमा गाई जाती है कि उन्होंने समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर आए और संसार को रोगमुक्ति का वरदान दिया। इसके कुछ मुख्य मंत्र इस प्रकार हैं:
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
धन्वंतरि जी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
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ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
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आरती केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह ऊर्जा का आह्वान है। जब परिवार एक साथ बैठकर आरती करता है, तो वातावरण में सकारात्मकता और शांति फैलती है। लक्ष्मी जी की आरती करने से न केवल आर्थिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता भी आती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि आरती के समय दीपक की लौ देवी लक्ष्मी का प्रतीक होती है। यह लौ हमारे जीवन में अंधकार मिटाकर उजाले का प्रवेश कराती है। धनतेरस पर आरती करना धन, स्वास्थ्य, और सौभाग्य तीनों की प्राप्ति का मार्ग खोलता है।
धनतेरस की आरती के समय कुछ विशेष उपाय करने से आरती का फल कई गुना बढ़ जाता है:
दीपदान करें: शाम के समय घर के बाहर और तुलसी के नीचे दीप जलाएं।
चांदी का सिक्का खरीदें: इसे पूजा में रखकर लक्ष्मी जी से आशीर्वाद लें।
कुबेर यंत्र की स्थापना करें: इससे घर में धन का प्रवाह बना रहता है।
‘श्री सूक्त’ का पाठ करें: यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय है।
गाय को गुड़-चना खिलाएं: यह शुभता और सौभाग्य का संकेत है।
धनतेरस आरती करने से व्यक्ति को केवल भौतिक सुख ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
धन-संपत्ति में वृद्धि: मां लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
रोगों से मुक्ति: भगवान धनवंतरि की आराधना से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
घर में स्थायी सुख-शांति: आरती से घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बनता है।
कर्ज मुक्ति: कुबेर देव की आरती करने से आर्थिक परेशानियां समाप्त होती हैं।
भाग्य वृद्धि: आरती के समय श्रद्धा और विश्वास से की गई प्रार्थना भाग्य को चमकाती है।
धनतेरस की रात को घर में पूरे कोनों में दीप जलाने की परंपरा है। इसे “यम दीपदान” कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि यमराज के नाम का दीप जलाया जाए, तो अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
यह दीप मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर जलाया जाता है। इसे मिट्टी के दीए में तिल के तेल से जलाना शुभ होता है।
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आरती करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
आरती दीप शुद्ध घी या तिल के तेल का होना चाहिए।
आरती हमेशा परिवार के सभी सदस्य मिलकर करें।
आरती के बाद प्रसाद में मिठाई, खील-बताशा या फल बांटें।
मां लक्ष्मी के चरणों में एक मुद्रा या चांदी का सिक्का अर्पित करें।
धनतेरस सिर्फ खरीदारी या सजावट का दिन नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और ऊर्जा के नवजीवन का पर्व है। आरती के हर शब्द में एक दिव्य शक्ति है जो हमारे जीवन के अंधकार को दूर करके नए उजाले की ओर ले जाती है।
इस धनतेरस, जब आप मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर देव की आरती करें, तो पूरे मन से, पूरी श्रद्धा से करें। विश्वास रखिए, यह आरती न केवल आपके घर में धन और समृद्धि का संचार करेगी, बल्कि आपके जीवन में सौभाग्य की नई रोशनी भी लाएगी।
यदि आप जानना चाहते हैं कि इस धनतेरस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा कैसे प्राप्त करें या कौन-सा उपाय आपके राशिफल के अनुसार सबसे शुभ रहेगा, तो आज ही बात करें एस्ट्रोयोगी के अनुभवी ज्योतिषियों से।