Dhanteras Puja Vidhi 2025: इस विधि से करें धनतेरस पूजा, ज़रूर बरसेगी सुख-समृद्धि।

Wed, Oct 15, 2025
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Dhanteras Puja Vidhi 2025: इस विधि से करें धनतेरस पूजा, ज़रूर बरसेगी सुख-समृद्धि।

Dhanteras Puja Vidhi 2025: दीपावली के उत्सव की शुरूआत धनतेरस के त्योहार से मानी जाती है। धनतेरस दो शब्दों के मेल से बना है। धन यानी समृद्धि और तेरस यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि। यह दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से घर में धन-समृद्धि की कोई कमी नहीं होती। इसके अलावा इस दिन सोना चांदी, नए बर्तन और अन्य शुभ वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है, इससे घर में सौभाग्य आता है।    

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कब मनाया जाएगा धनतेरस 2025 ? (Dhanteras Puja Muhurat 2025)

साल 2025 में धनतेरस का पावन पर्व 18 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल माना जाता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्य अस्त होने के बाद का संध्या समय चलता है, और यह धनतेरस पूजा के लिए अत्यंत मंगलमय माना जाता है। 

Dhanteras 2025 Muhurat: इस वर्ष पूजा का शुभ मुहूर्त लगभग शाम 7:16 बजे से 8:20 बजे तक रहेगा। 

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धनतेरस के लिए पूजा सामग्री (Dhanteras Puja Samagri)

  • भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की मूर्तियाँ या चित्र

  • गंगाजल और साफ पानी

  • हल्दी, कुमकुम, चंदन, इत्र

  • ताजे फूल और फूलों की माला

  • कलावा (मौली) और जनेऊ

  • पूजा चौकी और लाल/पीले रंग का कपड़ा

  • कलश, आम के पत्ते, नारियल

  • फल, खील, बताशे, मिठाई और मेवे

  • अक्षत (चावल), साबुत धनिया और दालें

  • 13 मिट्टी के दीपक, गाय का घी, कपूर, अगरबत्ती

  • सोने/चांदी के सिक्के या नई धातु की वस्तुएँ

  • नई झाड़ू (मां लक्ष्मी का स्वागत)

  • रंगोली पाउडर (सजावट के लिए)

  • पूजा विधि की किताब (सही मार्गदर्शन के लिए)

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धनतेरस 2025 पूजा विधि और तैयारी (Dhanteras Ki Puja Kaise Karen)

धनतेरस की पूजा करने के लिए सबसे पहले मंत्रमुग्ध और शुभ वातावरण तैयार करना जरूरी होता है। 

1. इस दिन पूजा में मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि, कुबेर और गणेश जी की मूर्तियाँ या चित्र रखे जाते हैं। पूजा चौकी या किसी लकड़ी/धातु की थाली पर लाल या पीला नया कपड़ा फैलाकर इसे सजाना शुभ माना जाता है।

2. पूजा की शुरुआत शुद्धिकरण से होती है, जिसके लिए गंगाजल और साफ पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद हल्दी, कुमकुम, चंदन और इत्र का प्रयोग करके देवी-देवताओं को भव्य रूप से सजाया जाता है। पूजा को और अधिक पवित्र बनाने के लिए ताजे फूल और फूलों की माला भी अर्पित की जाती है।

3. धर्मिक परंपरा के अनुसार, कलावा (मौली) और जनेऊ जैसी पवित्र वस्तुएँ भी पूजा में शामिल की जाती हैं। 

4. कलश स्थापना के लिए एक कलश लिया जाता है, उसमें आम के पत्ते और नारियल रखकर इसे तैयार किया जाता है।

5. भोग और प्रसाद में फल जैसे केले, सेब, अनार, मिठाई जैसे लड्डू, पेड़ा, बर्फी, खील, बताशे और मेवे शामिल होते हैं। पूजा में अक्षत, साबुत धनिया और दालें अर्पित की जाती हैं। 

6. पूजा की दिव्यता बनाए रखने के लिए 13 मिट्टी के दीपक, घी, कपूर, अगरबत्ती और धूप जलाए जाते हैं।

7. धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में सोने/चांदी के सिक्के या नई धातु की वस्तुएँ, साथ ही मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए नई झाड़ू रखी जाती है। अन्य पूजा सामग्री में पान, सुपारी, तुलसी के पत्ते, शहद, केसर, शंख, घंटी, नारियल का तेल, लौंग और इलायची शामिल होते हैं।

8. पूजा के दौरान सही विधि के लिए धनतेरस पूजा विधि की किताब लाभकारी होती है। इस दिन लाल या पीले रंग के नए वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

अंत में, नए बर्तन, चाहे वो चांदी, पीतल, तांबा या स्टील के हों, उन्हें चावल या दाल से भरकर पूजा में रखा जाता है, ताकि घर में समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

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धनतेरस पर पूजा करने के चमत्कारी लाभ 

धनतेरस केवल धन-संपत्ति का त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा पावन अवसर है जो जीवन में आध्यात्मिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और सुरक्षा चारों स्तरों पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का स्थायी वास माना जाता है।

धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की आराधना से घर में धन, ऐश्वर्य और स्थिरता आती है। यह पूजा व्यापार, नौकरी और निवेश में सफलता के द्वार खोलती है। इस दिन सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह नए आरंभ और निरंतर आर्थिक वृद्धि का प्रतीक होता है।

स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए भी धनतेरस अत्यंत फलदायी मानी जाती है। भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता हैं, की पूजा करने से रोगों से रक्षा होती है और शरीर में स्फूर्ति व संतुलन बना रहता है। यह पूजा मानसिक शांति और सकारात्मक सोच को भी बढ़ाती है।

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धनतेरस की रात 13 दीपक (यम दीप) जलाने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहा जाता है कि इससे घर में नकारात्मक शक्तियाँ प्रवेश नहीं करतीं और परिवार पर असमय मृत्यु या दुर्भाग्य की छाया नहीं पड़ती। यह दीपक सुरक्षा और शांति का प्रतीक माने जाते हैं, जो घर के चारों ओर एक आध्यात्मिक कवच बनाते हैं।

धनतेरस न केवल धन-संपत्ति प्राप्ति का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक सोच, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

यदि आप जानना चाहते हैं कि इस धनतेरस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा कैसे प्राप्त करें या कौन-सा उपाय आपके राशिफल के अनुसार सबसे शुभ रहेगा, तो आज ही बात करें एस्ट्रोयोगी के अनुभवी ज्योतिषियों से।

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