Durga Mata Story: माँ दुर्गा शेर पर क्यों सवार होती हैं?

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Durga Mata Story: माँ दुर्गा शेर पर क्यों सवार होती हैं?

Durga Mata Story: नवरात्रि पर मां के अलग-अलग स्वरूपों को पूजा जाता है। शक्ति के यह नौ स्वरुप अपने-अपने वाहनों के साथ दिखाई देते हैं। इन सभी का अपना विशेष महत्व होता है। आपने गौर किया होगा कि विभिन्न चित्रों में दुर्गा मां को हमेशा शेर के साथ दिखाया जाता है। भले ही मुद्राओं में भिन्नता हो, लेकिन शेर को उनके साथ ही दर्शाया जाता है। हालांकि इसके बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं कि मां दुर्गा शेर पर क्यों सवार होती हैं और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है। 

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने शेर पर सवार होकर ही अधर्म और अन्याय पर जीत हासिल की थी। तो चलिए जानते हैं कि दुर्गा माता की क्या कहानी (Durga Mata Story) है और दुर्गा माता हमेशा सिंह पर सवार क्यों दिखाई देती हैं?   

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सिंह क्यों बना मां गौरी का वाहन (Durga Mata Story)

पुराणों में एक रोचक कथा मिलती है, जो बताती है कि माँ दुर्गा का वाहन शेर क्यों बना। ऐसा कहा जाता है कि एक समय देवी पार्वती गहन तपस्या में लीन थीं। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि वर्षों तक वे भोजन और जल का त्याग कर केवल ध्यानमग्न रहीं।

इसी दौरान एक शेर वहां आ पहुंचा। उसके मन में विचार आया कि जैसे ही देवी की तपस्या पूर्ण होगी, वह उन्हें अपना भोजन बना लेगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, शेर ने देखा कि देवी लगातार तप में डूबी हुई हैं। वह शेर भी वहीं बैठा रहा न भूख मिटाई, न प्यास बुझाई, न ही कभी उन्हें बाधित किया। उसने अपने स्वभाव के विपरीत धैर्य और संयम दिखाया।

जब देवी की तपस्या पूरी हुई, तो भगवान शिव प्रकट हुए और देवी को अद्भुत आभा एवं गोरा रूप प्रदान किया। इसी के बाद वे माँ महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। उसी समय देवी ने उस शेर को देखा, जो इतने वर्षों तक भूखा-प्यासा रहकर भी उनकी रक्षा करता रहा। देवी ने उसके धैर्य और निष्ठा को देखकर प्रसन्न होकर उसे अपना वाहन बना लिया।

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जानें शेर का सही आध्यात्मिक महत्व 

देवी दुर्गा का वाहन सिंह केवल एक शाही जानवर नहीं है, बल्कि वह साहस, शक्ति और निडरता का प्रतीक है। सिंह जंगल का राजा है स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और अजेय। जब माँ दुर्गा उस पर सवार होती हैं, तो यह दृश्य दर्शाता है कि वे सिर्फ बाहरी शत्रुओं को ही नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपी नकारात्मक प्रवृत्तियों क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या और लोभ पर भी विजय प्राप्त करती हैं।

सिंह पर उनकी सवारी हमें यह सिखाती है कि सच्ची शक्ति वही है जो अपने गुस्से और अहंकार को साध सके। ठीक उसी तरह जैसे माँ ने सिंह को अपना साथी बना लिया, वैसे ही इंसान को भी अपनी प्रवृत्तियों पर काबू पाकर उन्हें सही दिशा में लगाना चाहिए।

क्या दर्शाती हैं शेर पर सवार मां दुर्गा ?

माँ दुर्गा और सिंह का मेल केवल बाहरी चित्रण नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक संदेश है। जब वे सिंह पर बैठती हैं, तो यह संकेत मिलता है कि धर्म और सत्य की रक्षा करने वाली शक्ति सदैव विजयी होती है। सिंह यहाँ धर्म का प्रतीक है जो स्वयं टिकाऊ और मजबूत है, और अन्याय के सामने कभी झुकता नहीं।

कहा जाता है कि माँ दुर्गा की गर्जना सिंह की दहाड़ के समान है, जो हमें जीवन की चुनौतियों के सामने डरने के बजाय दृढ़ होकर खड़े रहने की प्रेरणा देती है।

खासकर महिलाओं के लिए यह प्रतीक और भी महत्वपूर्ण है। माँ दुर्गा का सिंह पर सवार होना यह संदेश देता है कि स्त्री केवल करुणा और कोमलता की प्रतिमूर्ति ही नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और समानता की भी प्रतीक है।

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शेर और स्त्री शक्ति का पौराणिक संबंध 

हिंदू परंपरा के अलावा भी विश्व की कई प्राचीन सभ्यताओं में सिंह और स्त्री शक्ति का गहरा संबंध रहा है। मेसोपोटामिया की देवी इश्तर और रोमन देवी सिबेल को भी सिंह के साथ दर्शाया गया है। यह बताता है कि सिंह को प्राचीन संस्कृतियों में भी मातृशक्ति, सुरक्षा और निडरता का प्रतीक माना गया है।

इस तरह माँ दुर्गा का सिंह पर सवार होना न केवल भारतीय परंपरा का हिस्सा है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर स्त्री शक्ति और संरक्षण की पहचान भी बनता है।

नवरात्रि में नौ देवियों की अलग-अलग सवारी 

नवरात्रि में पूजित नौ देवियों की छवियाँ केवल उनके स्वरूप ही नहीं, बल्कि उनके वाहनों के कारण भी खास होती हैं। हर रूप हमें जीवन का एक अलग संदेश देता है। उदाहरण के लिए, जब हम माँ दुर्गा की बात करते हैं तो उनका स्वरूप हमेशा सिंह पर सवार दिखाई देता है। यह उनकी अजेय शक्ति और साहस का प्रतीक है।

वहीं माँ पार्वती को प्रायः बाघ पर सवार दिखाया जाता है। उनके पुत्र कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है, उनकी माता स्कंदमाता के रूप में सिंह पर आरूढ़ दिखाई देती हैं। इसी प्रकार, महिषासुर का संहार करने वाली कात्यायनी देवी का वाहन भी सिंह ही माना गया है। माँ कुष्मांडा और चंद्रघंटा की प्रतिमाओं में भी सिंह उनकी सवारी के रूप में दिखता है।

लेकिन केवल सिंह ही नहीं, अन्य देवियों के वाहन भी महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। जैसे नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर पूजित शैलपुत्री और अष्टमी के दिन पूजित महागौरी, दोनों को बैल की सवारी करते हुए दर्शाया गया है। कालरात्रि का वाहन गधा है, जबकि सिद्धिदात्री कमलासन पर विराजमान होती हैं।

इन विभिन्न वाहनों का अर्थ केवल बाहरी चित्रण भर नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि हर देवी अपने स्वरूप और शक्ति के अनुसार अलग-अलग जीवन मूल्यों को सामने लाती हैं। कहीं यह साहस और धर्म का संदेश देता है, तो कहीं विनम्रता और संतुलन का। यही विविधता नवरात्रि को और भी गहन और प्रेरणादायी बनाती है।

नवरात्रि आपको केवल उपवास या पूजा का अवसर नहीं देता, बल्कि यह हमें माँ दुर्गा की कथा और उनके प्रतीकात्मक संदेश को समझने का अवसर भी प्रदान करता है। सिंह पर सवार माँ हमें यह याद दिलाती हैं कि सच्ची शक्ति वही है जो अपने भीतर की कमजोरियों और नकारात्मकताओं पर विजय पा ले।

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