मां दुर्गा करती हैं संसार में शक्ति का संचार

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मां दुर्गा करती हैं संसार में शक्ति का संचार

मां दुर्गा जिन्हें मां पार्वती का ही एक रुप माना जाता है। इनके रुप अनेक हैं और इनकी महिमा भी अपरंपार है। मां दुर्गा ही हैं जिन्हें हिंदुओं का ही एक संप्रदाय (शाक्त संप्रदाय) देवताओं में सर्वोच्च मानता है और ईश्वर को देवी का ही रुप मानता है। हालांकि वेदों में मां दुर्गा का जिक्र नहीं मिलता लेकिन उपनिषदों में हिमालय की पुत्री उमा यानि उमा हैमवती के रुप में इनका वर्णन मिलता है। पुराण तो मां दुर्गा को आदिशक्ति मानते हैं। आइये आपको बतातें हैं मां दुर्गा की महिमा के बारे में और बताते हैं कैसे करती हैं मां दुर्गा संसार में शक्ति का संचार?

 

कौन हैं मां दुर्गा

मां दुर्गा को असल में भगवान शिव की पत्नी पार्वती का ही एक रुप माना जाता है। मान्यता है कि देवताओं की प्रार्थना पर राक्षसों के संहार के लिये मां दुर्गा की उत्पत्ति हुई, इसलिये इन्हें युद्ध की देवी कहा जाता है। इनके अनेक नाम, अनेक रुप हैं लेकिन इनका मुख्य रुप गौरी हैं जो बहुत ही सुंदर हैं शांत हैं और गोर वर्णीय हैं। वहीं उनका सबसे विकराल और भयंकर रुप काली का है। भारत से लेकर नेपाल तक कई मंदिर हैं जहां मां दुर्गा की पूजा की जाती है साथ ही कुछ मंदिरों में तो पशुबलि भी चढ़ाई जाती है हालांकि वर्तमान में कई स्थानों पर अब पशुबलि की प्रथा थम गई है। मां दुर्गा शेर की सवारी करती हैं।

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मां दुर्गा और उनके सोलह नाम

जैसे सोलह श्रृंगार होते हैं, सोलह संस्कार होते हैं, सोलह कलाएं होती हैं उसी प्रकार मां दुर्गा के सोलह नाम भी बताए गये हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में मां के इन सोलह नामों का वर्णन मिलता है। आइये जानते हैं मां दुर्गा के ये सोलह नाम कौनसे हैं और क्या उनका अर्थ है?

दुर्गा, नारायणी, ईशाना, विष्णुमाया, शिवा, सती, नित्या, सत्या, भगवती, सर्वाणी, सर्वमंगला, अंबिका, वैष्णवी, गौरी, पार्वती, और सनातनी ये मां दुर्गा के सोलह नाम हैं।

दुर्गा में दुर्ग शब्द दैत्य, महाविघ्न, सभी तरह के बंधनों दुख तकलीफों मृत्यु के भय, रोग आदि के अर्थ में हैं तो इसमें आ शब्द हन्ता यानि हरण करने का वाचक है अर्थात दुर्गा का अर्थ हुआ वह देवी जो दैत्य दानवों सहित तमाम दुख तकलीफों का हनन करती हैं। इसी प्रकार भगवान नारायण के समस्त गुणों को अपने में समाहित करने और भगवान नारायण की ही शक्ति होने के कारण मां दुर्गा नारायणी भी कही जाती हैं। ईशाना में ईशान तमाम सिद्धियों तो आ प्रदान करने वाली यानी दाताका का वाचक है इसका अर्थ हुआ जो समस्त सिद्धियों को देने वाली हैं वह देवी ईशाना हैं। सृष्टि की रचना के साथ भगवान विष्णु ने माया की सृष्टि भी की थी जिसने समस्त जगत को मोह लिया इस प्रकार भगवान विष्णु की ही माया शक्ति होने के कारण इन्हें विष्णुमाया कहा गया है।

 

मां दुर्गा को शिवा कहने पिछे दो कारण हैं एक तो वह माता पार्वती का ही रुप मानी जाती है इसलिये शिवप्रिया होने के कारण दूसरा शिव यानि कल्याण और आ यानि दाता अर्थात जो देवी कल्याण प्रदान करती हैं जो शिवदायिनी हैं इसलिये इन्हें शिवा कहा गया है। मां दुर्गा सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी तो हैं ही वे पतिव्रता और सुशीला भी हैं जो हर युग में विद्यमान रहती हैं इसलिये इनका एक नाम सती भी है। जिस प्रकार भगवान नित्य है उसी पर भगवती भी नित्या हैं प्राकृत प्रलय के समय भी वे अपनी माया से परमात्मा श्रीकृष्ण में तिरोहित रहती हैं इसलिये नित्या कहलाती हैं। जगत मिथ्या है लेकिन मां दुर्गा सत्यस्वरूपा हैं जिस प्रकार भगवान सत्य है उसी तरह मां दुर्गा भी सत्या कहलाती हैं। भगवती भी इनका एक नाम है इसमें भग शब्द सिद्ध और ऐश्वर्य के अर्थ में प्रयोग होता है संपूर्ण सिद्ध ऐश्वर्यादिरूप भग हर युग में जिस देवी के भीतर विद्यमान हैं वह देवी भगवती कहलायी हैं। जो समस्त चराचर जगत को जन्म-मृत्यु और व्याधियों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करती हैं वे देवी सर्वाणी कहलाती हैं।

 

इसी तरह देवी दुर्गा के नाम सर्वमंगला में मंगल शब्द हर्ष, संपत्ति और कल्याण के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है यानि जो सबका मंगल करती हैं वह देवी सर्वमंगला के नाम से जगत् प्रसिद्ध हैं। सबके द्वारा पूजित, वंदित और तीनों लोकों की जननी होने के कारण ही यह अंबिका कहलाती हैं। विष्णु की भक्त, विष्णुरूपा, विष्णुशक्ति और विष्णु द्वारा ही इनकी सृष्टि होने के कारण इन्हें वैष्णवी भी कहा जाता है। गौर शब्द निर्लिप्त, निर्मल परब्रह्म परमात्मा के अर्थ में प्रयुक्त होता है इन्ही परमात्मा की शक्ति होने के कारण इन्हें गौरी कहा गया है। भगवान शिव को सबका गुरु और देवी उनकी सती-साध्वी प्रिया शक्ति हैं इसलिये ये गौरी भी कही गयी हैं। देवी मां दुर्गा को पार्वती भी कहा जाता है वह इसलिये चूंकि एक वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं पर्वत पर प्रकट होने और पर्वत की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण भी ये पार्वती कहलाती हैं। पार्वती में पर्व शब्द तिथि, पर्व और कल्पभेद के अर्थ में भी प्रयुक्त होता है एवं ती शब्द का तात्पर्य ख्याति होता है अर्थ पर्व आदि में विख्यात होने से भी इन्हें दे पार्वती कहा जाता है। हमेशा विद्यमान रहने के कारण ये सनातनी कहलाती हैं।

इनके अलावा दुर्गा शप्तशती में भी ब्राह्मणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति, रक्तदन्तिका आदि नाम मां दुर्गा के बताये जाते हैं।

 

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