शारदीय नवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है जो हर साल उत्साह के साथ मनाया जाता है। नौ दिनों तक निरंतर चलने वाले इस पर्व में अनेक प्रकार के रीति-रिवाज़ एवं धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं, इन्हीं में से एक है दुर्गा पूजा। हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध पर्व है दुर्गा पूजा जो आदिशक्ति माता दुर्गा को समर्पित होता है। माँ दुर्गा की उपासना का यह पर्व दुर्गा उत्सव के नाम से भी विख्यात है।
शरद नवरात्रि की तरह ही दुर्गा पूजा भी 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। अगर सही मायनों में देखा जाए तो दुर्गा पूजा का आरम्भ षष्ठी तिथि से होता है। नवरात्रि के दौरान चलने वाले दुर्गा पूजा उत्सव में षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी एवं विजयदशमी तिथि का अत्यंत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि बुराई के प्रतीक दुष्ट महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के रूप में दुर्गा पूजा का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। यही कारण है कि विजयदशमी की तरह ही दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है।
देशभर में माँ दुर्गा के उपासक दुर्गा पूजा का पर्व पूरे भक्तिभाव एवं श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार को विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, बिहार तथा झारखंड में बड़े ही हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा के समय स्वयं माता भगवती कैलाश पर्वत को छोड़ कर दस दिनों के लिए धरती पर अपने भक्तों के बीच रहने आती हैं। इस समय माँ दुर्गा अपने भक्तों की सभी समस्याओं का समाधान करती हैं। नवरात्रि के समय मां दुर्गा सहित माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, कार्तिकेय तथा गणेश भी धरती पर प्रकट होते हैं।
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वर्ष 2021 में दुर्गा पूजा की तिथियां इस प्रकार है: -
दिनांक | तिथि |
1 अक्टूबर 2022 (शनिवार ) | षष्ठी,कल्परम्भ |
2 अक्टूबर 2022, (रविवार ) | सप्तमी, नवपत्रिका पूजा |
3 अक्टूबर 2022 (सोमवार ) | अष्टमी, दुर्गा महा अष्टमी पूजा |
4 अक्टूबर 2022 (मंगलवार ) | नवमी, दुर्गा महानवमी पूजा |
5 अक्टूबर 2022 (बुधवार ) | दशमी,दशहरा |
5 अक्टूबर 2022 (बुधवार ) | दशमी, दुर्गा विसर्जन |
शारदीय नवरात्रि में आरम्भ होने वाली दुर्गा पूजा को शुभ माना जाता है। दुर्गा पूजा उत्सव की षष्ठी तिथि से शुरुआत होती है और इस दिन को महालय के नाम से भी जाना जाता है। महालय के दिन पितृों का श्राद्ध व तर्पण करने की परंपरा रही है। ऐसा कहा जाता है कि महालय के दिन ही देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ था और इस संग्राम में अनेक देव और ऋषि मृत्यु को प्राप्त हुए थे। इन्हीं देवताओं और ऋषियों का महालय के दिन तर्पण किया जाता है।
महाष्टमी पूजा को दुर्गा पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है जिसे महा दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता हैं। महाष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के पूजन का विधान महासप्तमी पूजन के समान ही होता है। इस दिन महास्नान करने के उपरांत देवी दुर्गा की षोडशोपचार पूजा की जाती हैं।
दुर्गा महाअष्टमी पूजा वर्ष 2022 में 3 अक्टूबर,बुधवार के दिन की जाएगी।
दुर्गा महाअष्टमी शुभ पूजा मुहूर्त
दुर्गा पूजा का अंतिम दिन होता है महानवमी। महाष्टमी की तरह ही महानवमी की शुरुआत भी महास्नान और षोडशोपचार पूजा से ही की जाती है। ऐसा माना जाता है कि महानवमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। महानवमी के दिन नवमी पूजा, नवमी हवन और दुर्गा बलिदान जैसी परम्पराएं की जाती हैं।
वर्ष 2022 में दुर्गा महा नवमी पूजा 4 अक्टूबर,गुरुवार के दिन की जाएगी।
दुर्गा महानवमी शुभ पूजा मुहूर्त
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी