हिंदू पंचांग के मुताबिक पितृपक्ष अंत होने के अगले ही दिन से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाती है। शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। लेकिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक इसको सितंबर या अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। वहीं साल 2021 में अधिकमास होने की वजह से इस बार शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही हैं। कहा जाता है कि पितृपक्ष और अधिकमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है वहीं नवरात्रि में सभी शुभ कार्य करना उत्तम माना जाता है। वहीं इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक चलेंगी।
एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्य के मुताबिक खास बात यह है कि इस बार नवरात्रि में 2 सौभाग्य योग, 1 वैधृति योग और 5 रवियोग बन रहे हैं। जिसके चलते नवरात्रि के 9 दिन शुभ कार्यों, गाड़ी, घर, फर्नीचर खरीदने के लिए शुभ माने जा रहे हैं।
7 अक्टूबर 2021, गुरूवार, मां शैलपुत्री, वैधृति योग
8 अक्टूबर 2021, शुक्रवार, मां ब्रह्मचारिणी, रवि योग
9 अक्टूबर 2021, शनिवार, मां चंद्रघंटा, रवि योग
10 अक्टूबर 2021, रविवार, मां कुष्मांडा, सौभाग्य और रवि योग
11 अक्टूबर 2021, सोमवार, मां स्कंदमाता, रवि और सौभाग्य योग
12 अक्टूबर 2021, मंगलवार, मां कात्यायनी, शोभन और रवि योग
13 अक्टूबर 2021, बुधवार, मां कालरात्रि, सुकर्मा योग
14 अक्टूबर 2021, गुरूवार, मां महागौरी, रवि योग
15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार, मां सिद्धिदात्री, रवि योग
हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं देवीभागवत पुराण के मुताबिक नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा जिस वाहन से सवार होकर धरती पर आती हैं उसे भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में माना जाता है। यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार को शुरू होती है तो मां हाथी पर सवार होकर आती हैं। यदि शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार के दिन देवी दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं। केवल बुधवार के दिन मां दुर्गा नाव पर सवार हो कर आती हैं। वहीं इस साल शारदीय नवरात्रि शनिवार से प्रारंभ हो रही हैं इसके अनुसार देवी मां डोली में विराजकर कैलाश से धरती पर आ रही हैं।
देवीभागवत पुराण के मुताबिक, डोली में आने से यह संकेत मिलते हैं कि आपके पड़ोसी देश से अच्छे संबंध बनेंगे, आंधी-तूफान से छुटकारा मिलेगा। वहीं 15 अक्टूबर को माता डोली में बैठकर कैलाश की ओर प्रस्थान करेंगी जिसके मुताबिक आने वाले साल में भारी बारिश का संकेत मिल रहा है। वहीं इस बार दुर्गानवमी और दशहरा एक ही दिन पड़ रहा है।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दौरान तुला राशि का चंद्रमा, चित्रा नक्षत्र, करण किस्तुन रहेगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। घट स्थापना के लिए आपके पास 7 तरह के अनाज, मिट्टी का बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र और लाल पुष्प होने चाहिए।
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