Ekadashi 2025: साल 2025 में कब-कब है एकादशी व्रत? जानें तिथियां

Tue, Jan 14, 2025
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Tue, Jan 14, 2025
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Ekadashi 2025: साल 2025 में कब-कब है एकादशी व्रत? जानें तिथियां

Ekadashi Vrat 2025: एकादशी व्रत को हिंदु धर्म में में बहुत खास माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं। इस प्रकार एक महीने में दो एकादशी तिथि आती हैं। एक एकादशी शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है। एकादशी चंद्र कैलेण्डर के अनुसार, ग्यारहवें दिन आती है। प्रत्येक एकादशी अपना एक अलग महत्व रखती है। एकादशी उपवास विशेष रूप से भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और कठोर व्रत का पालन भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग पूरे विधि-विधान के साथ एकादशी का व्रत (Ekadashi) रखते हैं उन पर सदैव श्री हरि की कृपा बनी रहती है। 

यहां आप एकादशी उपवास, कथा, नियम और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे और एकादशी व्रत लिस्ट 2025 के माध्यम से एकादशी तिथियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे।

एकादशी व्रत की पूजा विधि

नहाना और स्नान: इस दिन व्रति को ताजे पानी से स्नान करना चाहिए।

मंत्र जाप: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप विशेष रूप से किया जाता है।

व्रत का पालन: इस दिन सिर्फ फलाहार करना चाहिए और किसी प्रकार का अन्य भोजन नहीं करना चाहिए।

भगवान विष्णु की पूजा: एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी के पत्तों से अर्पित करें।

दूसरे दिन पारण: एकादशी का उपवासी व्रत समाप्त करने के बाद द्वादशी के दिन पारण करें और सामान्य भोजन करें।

एकादशी व्रत के नियम 

सभी उपवासों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत को पूर्ण करने के लिए कठोर नियमों का पालन किया जाता है। तो चलिए एकादशी व्रत के नियम-

  • अगर आप एकादशी व्रत (ekadashi) का संकल्प लेने वाले हैं तो आपको दशमी तिथि से ही प्याज़, लहसुन, मास, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • एक दिन पहले आपको किसी भी तरह के भोग विलास से दूर रहना चाहिए। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। 

  • इस दौरान आपको बिलकुल सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए। टूथपेस्ट के स्थान पर नीम के दातून से अपने दांत साफ़ करने चाहिए।

  • किसी वृक्ष की पत्तियों को तोड़ने या उसे नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।

  • एकादशी के दौरान भूलकर भी चावल का सेवन न करें।

  • किसी को अपशब्द बोलने या क्रोध प्रकट करने से भी खुद को रोकना चाहिए। मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को शांत रखना चाहिए। 

  • आपको एकादशी पर बाल, नाखून और दाढ़ी काटने से भी थोड़ा बचना चाहिए। 

  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग-प्रसाद जरूर लगाएं।

एकादशी पर करें इस मंत्र का जाप 

एकादशी का दिन भगवान विष्णु से संबंधित होता है। यही कारण है कि एकादशी पर विष्णु जी से जुड़े मन्त्रों का जाप किया जाता है। यह विशेष मंत्रों का जाप करने से भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ये मंत्र आपके ध्यान को केंद्रित रखते हैं और एकादशी उपवास के दौरान आपको मानसिक शांति प्रदान करते हैं। एकादशी मंत्र है:"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

इस मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मन की शांति बढ़ती है। हिंदू धर्म में इस मन्त्र को मुक्ति का मन्त्र बताया गया है। इसके साथ ही, यह मंत्र जीवन में सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने में मदद करता है। जो भी भक्त एकादशी के दिन उपवास रखते हैं उन्हें इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इससे आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपके मन में भक्ति व श्रद्धा का भाव बढ़ता है।

एकादशी व्रत का महत्व क्या है?

पूरे साल में लगभग 24 एकादशी आती हैं। एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान होता है। हिंदू धार्मिक शास्त्रों और पुराणों में बताया गया है कि एकादशी हरि दिन और हरी वासर के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी की तिथि विष्णु जी को अत्यंत प्रिय होती है। यही कारण है जो लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करते हैं उन पर भगवान हरि की विशेष कृपा होती है। अगर आप कोई धार्मिक कार्य या अन्य कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं तो एकादशी की तिथि पर इसे आयोजित करना बहुत शुभ माना जाता है। एकादशी का व्रत पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और उनकी शांति के लिए भी किया जाता है।  

एकादशी व्रत से भक्त भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन उपवास करने से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, एकादशी व्रत का पालन करने से ग्रहों की स्थिति को संतुलित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह व्यक्ति की इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण पाने में सहायक होता है। एकादशी के दिन उपवास और विशेष पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, एकादशी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक साधन है।

यह भी पढ़ें: अमावस्या 2025 | पूर्णिमा 2025

एकादशी व्रत में करें ये भोजन 

वैसे तो जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें कुछ कठोर नियमों का पालन करता है। हालांकि फिर भी आप कुछ ऐसी चीजों का सेवन कर सकते हैं जिन्हें व्रत में उचित माना जाता है। जैसे ताजे फल, मेवा, चीनी, कुट्टू, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि. आप व्रत के दौरान इन सभी चीजों का या इनसे बने पकवानों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि इसमें एक अपवाद भी है। एकादशी की तिथियों में एक एकादशी ऐसी भी होती है जिसमें लोग निर्जला उपवास करते हैं, इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है।

क्या आप जानना चाहते हैं कि साल 2025 आपके लिए कैसा रहने वाला है? अगर हां तो अभी पढ़ें एस्ट्रोयोगी का राशिफल 2025 

एकादशी उपवास तिथि लिस्ट 2025 (Ekadashi Tithi List 2025)

साल 2025 में एकादशी का उपवास, अलग-अलग तारीख पर पड़ने वाला है तो आइए जानते हैं कि किस महीने में कौन-सी एकादशी तिथि (ekadashi 2025 list ) होगी।   

एकादशी का नाम एकादशी उपवास के दिन
प्रारम्भ समय समाप्ति समय
पौष पुत्रदा एकादशी  10 जनवरी 2025,शुक्रवार 09 जनवरी, दोपहर 12:22 बजे 10 जनवरी, सुबह 10:19 बजे
षटतिला एकादशी 25 जनवरी 2025, शनिवार 24 जनवरी, शाम 07:25 बजे 25 जनवरी, रात 08:31 बजे
जया एकादशी 8 फ़रवरी 2025, शनिवार 07 फरवरी, रात 09:26 बजे 08 फ़रवरी, रात 08:15 बजे
विजया एकादशी 24 फ़रवरी 2025, सोमवार दोपहर 01:55 बजे (फरवरी 23) दोपहर 01:44 बजे (फरवरी 24)
आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025, सोमवार सुबह 07:45 बजे (मार्च 09) सुबह 07:44 बजे (मार्च 10)
पापमोचिनी एकादशी 25 मार्च 2025, मंगलवार 25 मार्च, सुबह 05:05 बजे 26 मार्च, रात 03:45 बजे
वैष्णव पापमोचिनी एकादशी 26 मार्च 2025, बुधवार 25 मार्च, सुबह 05:05 बजे 26 मार्च, रात 03:45 बजे
कामदा एकादशी 8 अप्रैल 2025, मंगलवार  07 अप्रैल, रात 08:00 बजे 08 अप्रैल, रात 09:12 बजे
वरूथिनी एकादशी 24 अप्रैल 2025, गुरुवार 23 अप्रैल, शाम 04:43 बजे 24 अप्रैल, दोपहर 02:32 बजे
मोहिनी एकादशी 8 मई 2025, गुरुवार 07 मई, सुबह 10:19 बजे 08 मई, दोपहर 12:29 बजे
अपरा एकादशी 23 मई 2025, शुक्रवार 23 मई, रात 01:12 बजे 23 मई, रात 10:29 बजे
निर्जला एकादशी 6 जून 2025, शुक्रवार 06 जून, रात 02:15 बजे 07 जून, सुबह 04:47 बजे
वैष्णव निर्जला एकादशी 7 जून 2025, शनिवार 06 जून, रात 02:15 बजे 07 जून, सुबह 04:47 बजे
योगिनी एकादशी 21 जून 2025, शनिवार 21 जून, सुबह 07:18 बजे  22 जून, सुबह 04:27 बजे
वैष्णव योगिनी एकादशी  22 जून 2025, रविवार 21 जून, सुबह 07:18 बजे 22 जून, सुबह 04:27 बजे
देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025, रविवार 05 जुलाई, शाम 06:58 बजे 06 जुलाई, रात 09:14 बजे
कामिका एकादशी 21 जुलाई 2025, सोमवार 20 जुलाई, दोपहर 12:12 बजे 21 जुलाई, सुबह 09:38 बजे
श्रावण पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त 2025, मंगलवार 04 अगस्त, सुबह 11:41 बजे 05 अगस्त, दोपहर 01:12 बजे
अजा एकादशी 19 अगस्त 2025, मंगलवार 18 अगस्त, शाम 05:22 बजे 19 अगस्त, दोपहर 03:32 बजे
परिवर्तिनी एकादशी 3 सितम्बर 2025, बुधवार 03 सितंबर, रात 03:53 बजे 04 सितंबर, सुबह 04:21 बजे
इन्दिरा एकादशी 17 सितम्बर 2025, बुधवार 17 सितंबर, रात 12:21 बजे 17 सितंबर, रात 11:39 बजे
पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार 02 अक्टूबर, रात 07:10 बजे 03 अक्टूबर, शाम 06:32 बजे
रमा एकादशी अक्टूबर 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार 16 अक्टूबर, सुबह 10:35 बजे 17 अक्टूबर, सुबह 11:12 बजे
देवुत्थान एकादशी 1 नवंबर 2025, शनिवार 01 नवंबर, सुबह 09:11 बजे 02 नवंबर, सुबह 07:31 बजे
वैष्णव देवुत्थान  2 नवंबर 2025, रविवार 01 नवंबर, सुबह 09:11 बजे 02 नवंबर, सुबह 07:31 बजे
उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025, शनिवार, 15 नवंबर, रात 12:49 बजे 16 नवंबर, रात 02:37 बजे
मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर 2025, सोमवार 30 नवंबर, रात 09:29 बजे 01 दिसंबर, शाम 07:01 बजे
सफला एकादशी 15 दिसंबर 2025, सोमवार 14 दिसंबर, शाम 06:49 बजे 15 दिसंबर, रात 09:19 बजे
पौष पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर 2025, मंगलवार 30 दिसंबर, सुबह 07:50 बजे 31 दिसंबर, सुबह 05:00 बजे
वैष्णव पौष पुत्रदा  31 दिसंबर 2025, बुधवार 30 दिसंबर, सुबह 07:50 बजे 31 दिसंबर, सुबह 05:00 बजे

यहां दी गई एकादशी तिथि लिस्ट के आधार पर आप अपने एकादशी व्रत का पालन कर सकते हैं।

एकादशी व्रत की कथा

एकादशी व्रत की कथा से जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है, जो राजा युधिष्ठिर और भगवान श्री कृष्ण के संवाद से संबंधित है। एक दिन राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा, "हे भगवान! क्या कोई ऐसा व्रत है, जिससे समस्त पापों का नाश हो जाए और जीवन में सुख-समृद्धि आए?"

तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें उत्तर दिया, "हां, एक व्रत है, जिसका पालन करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। वह व्रत एकादशी है।"

भगवान ने युधिष्ठिर को एकादशी के महत्व के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और उपवासी रहकर किया जाता है। भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों के लिए एकादशी का व्रत अत्यधिक पुण्यकारी है। जो व्यक्ति इस दिन उपवासी रहते हुए भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अगर आप एकादशी व्रत से जुड़ी अन्य ज्योतिषीय जानकारी जानना चाहते हैं या अपनी व्यक्तिगत कुंडली के आधार पर कोई सलाह प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। 

article tag
Vedic astrology
article tag
Vedic astrology
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!