फागुन मास हिंदू पंचाग का आखिरी महीना होता है। इसके बाद हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। हिंदू पंचाग के बारह महीनों में पहला महीना चैत्र का होता है तो वहीं आखिरी फाल्गुन। फागुन माह को मौज- मस्ती भरे महीने के तौर पर जाना जाता है। इसी माह में फगु्आ पर्व पड़ता है, जो पूरे माहौल को खुशनुमा बनाए रखता है। इस माह में तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इसके साथ अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह महीना फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस वर्ष यह मास 25 फरवरी 2024 से लेकर 25 मार्च 2024 तक रहेगा।
यह समय बसंत ऋतु का समय होता है। इस समय प्रकृति की विविध छटाएं देखने को मिलती हैं असल में पूरे वातावरण में एक अलग सी मादकता छायी रहती है। हर तरफ नवजीवन का संचार देखने को मिलता है। सर्दी जा रही होती है और गर्मी आने की आहट होने लगती है यानि ना ही सर्दी और ना ही गर्मी। मौसन सुहाना हो जाता है। इस तरह का मौसम खासकर उत्तरी भारत में रहता है।
प्रकृति के नज़रिये से यह मास जितना महत्वपूर्ण है उतना ही धार्मिक नज़रिए से भी महत्वपूर्ण है। फाल्गुन मास में दो बड़े ही लोकप्रिय त्यौहार आते हैं जिन्हें देशभर में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ की आराधना का त्यौहार महाशिवरात्रि व रंगों का त्यौहार होली इसी महीने में मनाये जाते हैं। तो आइये जानते हैं इस मास के महत्व व इसमें आने वाले त्यौहारों के बारे में।
फागुन माह हिंदू धर्म में क्यों इतना महत्व रखता है। आइये इसके कुछ प्रमुख बिंदुओं पर नज़र डालें-
फागुन मास में महाशिवरात्रि व होली जैसे बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं इस कारण इस मास का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है।
एक और इसमें भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है तो वहीं भगवान द्वारा अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिये भी भगवान की पूजा करते हुए होलिका का दहन किया जाता है।
इसके अलावा देश भर के नर नारी इससे अगले दिन रंग वाली होली मनाते हैं। यह पर्व भेदभाव को भूलाकर हमारी सांस्कृतिक एकता के महत्व को भी दर्शाता है।
धार्मिक मान्यता है कि चंद्रमा की उत्पति अत्रि और अनुसूया से फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हुई थी इस कारण गाजे-बाजे के साथ नाचते -गाते चंद्रोदय की पूजा भी की जाती है। चूंकि यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है इस कारण अधिकरत धार्मिक वार्षिकोत्सव इसी महीने में आयोजित होते हैं।
दक्षिण भारत में उत्तिर नाम का मंदिरोत्सव फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। इतना ही नहीं फाल्गुन द्वादशी यदि श्रवण नक्षत्र युक्त हो तो इस दिन भगवान विष्णु का उपवास करने की मान्यता भी है।
इस मास प्रकृति में उत्साह का संचार नजर आता है तो वही इस समय लोगों में भी एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा होता है। इसी उर्जा और उत्साह से लोग फाल्गुन में इन प्रमुख त्यौहारों को मनाते हैं-
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: इस वर्ष फागुन संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी 2024 (बुधवार) को है। इस संकष्टी को द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आप बुद्धि के देवता गणेश की आराधना कर सकते हैं। जिससे आपको उनकी कृपा प्राप्त होगी।
जानकी जयंती (सीता अष्टमी): फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता सीता की जयंती के रूप मनाया जाता है। इस अष्टमी को जानकी जयंती और सीता अष्टमी के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के मुताबिक यह पर्व 4 मार्च 2024 (सोमवार) को मनाया जाएगा।
विजया एकादशी: फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का अपना विशिष्ट महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार विजया एकादशी पर्व 7 मार्च 2024 (गुरुवार) को मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना का यह महापर्व मनाया जाता है। इस बार यह 8 मार्च 2024 (शुक्रवार) को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के बारे में विस्तार से जानने के लिये पढ़ें - देवों के देव महादेव की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि
फागुन अमावस्या: फाल्गुनी अमावस्या का भी धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। दान पुण्य तर्पण आदि के लिये अमावस्या के दिन को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। 10 मार्च 2024 (रविवार) को यह दिन मनाया जाएगा।
फुलैरा दूज: हर वर्ष फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 12 मार्च 2024 (मंगलवार) को मनाया जाना है। इसे फाल्गुन मास में सबसे पावन दिन माना जाता है। इस दिन कोई भी कार्य किया जा सकता है। फुलैरा दूज के दिन राधे श्याम की आराधना की जाती है।
आमलकी एकादशी: फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस उपवास करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सुख समृद्धि व मोक्ष की कामना हेतु इस दिन उपवास किया जाता है व भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। रात्रि को जागरण करते हुए द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस बार 20 मार्च 2024 (बुधवार) को यह व्रत रखा जाएगा।
होली: फाल्गुन पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है इस दिन होलिका पूजन कर सांय के समय होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 (रविवार) के दिन की जाएगी। होली दहन के अगले दिन 25 मार्च 2024 (सोमवार) रंग वाली होली खेली जाती है। होली का डंडा मघा पूर्णिमा के दिन गाड़ा जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा तक इसके इर्द-गिर्द झाड़ व लकड़ियां इकट्ठी कर होलिका बनाई जाती है। होलिका दहन के समय दहकती हुई होलि से भक्त प्रह्लाद के प्रतीक के रूप में डंडे को जलने से बचाया जाता है आम तौर पर डंडा एरंड या गूलर वृक्ष की टहनी का होता है।