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फाल्गुन मास हिंदू पंचांग का आखिरी महीना होता है, जिसके बाद हिंदू नववर्ष (विक्रम संवत 2082) की शुरुआत होती है। हिंदू कैलेंडर में साल का पहला महीना चैत्र और अंतिम महीना फाल्गुन होता है। इसे आनंद और उल्लास से भरा महीना माना जाता है, क्योंकि इसी दौरान रंगों का उत्सव होली मनाया जाता है। इस महीने में विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जो त्योहारों की मिठास को बढ़ाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास फरवरी या मार्च में आता है। वर्ष 2025 में यह 13 फरवरी से 14 मार्च तक रहेगा।
यह समय बसंत ऋतु का समय होता है। इस समय प्रकृति की विविध छटाएं देखने को मिलती हैं असल में पूरे वातावरण में एक अलग सी मादकता छायी रहती है। हर तरफ नवजीवन का संचार देखने को मिलता है। सर्दी जा रही होती है और गर्मी आने की आहट होने लगती है यानि ना ही सर्दी और ना ही गर्मी। मौसन सुहाना हो जाता है। इस तरह का मौसम खासकर उत्तरी भारत में रहता है।
प्रकृति के नज़रिये से यह मास जितना महत्वपूर्ण है उतना ही धार्मिक नज़रिए से भी महत्वपूर्ण है। फाल्गुन मास में दो बड़े ही लोकप्रिय त्यौहार आते हैं जिन्हें देशभर में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ की आराधना का त्यौहार महाशिवरात्रि व रंगों का त्यौहार होली इसी महीने में मनाये जाते हैं। तो आइये जानते हैं इस मास के महत्व व इसमें आने वाले त्यौहारों के बारे में।
फागुन माह हिंदू धर्म में क्यों इतना महत्व रखता है। आइये इसके कुछ प्रमुख बिंदुओं पर नज़र डालें-
फागुन मास में महाशिवरात्रि व होली जैसे बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं इस कारण इस मास का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है।
एक और इसमें भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है तो वहीं भगवान द्वारा अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिये भी भगवान की पूजा करते हुए होलिका का दहन किया जाता है।
इसके अलावा देश भर के नर नारी इससे अगले दिन रंग वाली होली मनाते हैं। यह पर्व भेदभाव को भूलाकर हमारी सांस्कृतिक एकता के महत्व को भी दर्शाता है।
धार्मिक मान्यता है कि चंद्रमा की उत्पति अत्रि और अनुसूया से फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हुई थी इस कारण गाजे-बाजे के साथ नाचते -गाते चंद्रोदय की पूजा भी की जाती है। चूंकि यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है इस कारण अधिकरत धार्मिक वार्षिकोत्सव इसी महीने में आयोजित होते हैं।
दक्षिण भारत में उत्तिर नाम का मंदिरोत्सव फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। इतना ही नहीं फाल्गुन द्वादशी यदि श्रवण नक्षत्र युक्त हो तो इस दिन भगवान विष्णु का उपवास करने की मान्यता भी है।
फागुन मास में प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होता है, जिससे लोगों में भी उत्साह बढ़ जाता है। इस माह कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं। आइए जानते हैं फागुन महीने के प्रमुख व्रत और त्यौहारों के बारे में—
1. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (16 फरवरी 2025, रविवार): इस दिन बुद्धि और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस व्रत से व्यक्ति को गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और बुद्धि का विकास होता है।
2. जानकी जयंती (सीता अष्टमी) – 21 फरवरी 2025, शुक्रवार: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता सीता की जयंती मनाई जाती है। इसे जानकी जयंती या सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता सीता की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
3. विजया एकादशी – 24 फरवरी 2025, सोमवार: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और सफलता प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है।
4. महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025, बुधवार: महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने और व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
5. फागुन अमावस्या – 27 फरवरी 2025, गुरुवार: फाल्गुन अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इस दिन दान-पुण्य, पितरों का तर्पण और स्नान करना विशेष फलदायी माना जाता है। यह दिन पितृ शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम होता है।
6. फुलैरा दूज – 1 मार्च 2025, शनिवार: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाई जाती है। इसे शुभ कार्यों के लिए सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है, और इसे होली उत्सव की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है।
7. आमलकी एकादशी – 10 मार्च 2025, सोमवार: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और भगवान विष्णु का उपवास करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
8. होली – 13-14 मार्च 2025 (गुरुवार-शुक्रवार):
होलिका दहन से पहले माघ पूर्णिमा के दिन होली का डंडा गाड़ा जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा तक लकड़ियां इकट्ठी कर होलिका तैयार की जाती है। होलिका दहन के समय भक्त प्रह्लाद के प्रतीक रूप में डंडे को जलने से बचाया जाता है।
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फाल्गुन मास में आने वाले व्रत और त्यौहार धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह महीना शिव भक्ति, विष्णु उपासना और रंगों के त्योहार होली का शुभ समय होता है। इन पर्वों को श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाने से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।