सबसे शक्तिशाली ग्रह गोचर कौन सा है? जानकर हो जाएंगे हैरान!

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सबसे शक्तिशाली ग्रह गोचर कौन सा है? जानकर हो जाएंगे हैरान!

वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों की चाल और प्रभाव के आधार पर भविष्यवाणियां तैयार की जाती हैं। लेकिन कभी-कभी यह सवाल भी उठता है कि इन 9 ग्रहों में से सबसे प्रभावित करने वाले ग्रह गोचर कौन-से हैं। आपको बता दें कि वैदिक ज्योतिष में कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जिनकी धीमी गति और गहरा प्रभाव उन्हें बाकि ग्रहों से अलग बनाता है। इन ग्रहों के गोचर आपके जीवन पर बहुत बड़े बदलाव लेकर आते हैं और आपके जीवन को एक दिशा देने का काम करते हैं। 

सबसे महत्वपूर्ण ग्रह गोचर की बात करें तो इसमें चार ग्रहों का नाम आता है, शनि, गुरु, राहु और केतु। यह कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जिनका एक राशि से दूसरी राशि में जाना, कई बड़े परिवर्तनों का सूचक माना जाता है। परंतु आखिर क्या कारण है कि यह ग्रह गोचर सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह जानने के लिए आपको आगे इससे जुड़ी पूरी जानकारी मिलेगी। 

तो चलिए जानते हैं ज्योतिष में प्रमुख ग्रह गोचर और शुभ परिणामों के लिए उनसे जुड़े कुछ खास उपाय।

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ज्योतिष में ग्रह गोचर का महत्व 

ज्योतिष में ग्रह गोचर का अर्थ किसी एक राशि से दूसरी राशि में ग्रहों की चाल से होता है। जैसे ही कोई ग्रह एक नई राशि में प्रवेश करता है, उसके साथ हालात, अवसर और चुनौतियों का माहौल भी बदलने लगता है। यही बदलाव कभी जीवन में नई उम्मीदें लाता है, तो कभी आपको थोड़ी परीक्षा से गुजरने पर मजबूर करता है।

वैसे तो सभी ग्रह जैसे सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र का गोचर अपने-अपने ढंग से प्रभावित करते हैं लेकिन धीरे चलने वाले ग्रहों की चाल कुंडली में अहम भूमिका निभाती है। यह अपनी धीमी गति के कारण लंबे समय तक एक राशि में रहते हैं इसलिए इनका प्रभाव भी अन्य ग्रहों की तुलना में ज्यादा होता है। यह ग्रह गोचर आपके जीवन के क्षेत्रों में लंबे समय तक बदलाव करते हैं। यही लंबा ठहराव इन ग्रहों के गोचर को अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।  

ज्योतिष में प्रमुख ग्रह और उनके गोचर का प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह का अपना महत्व है। हालांकि चार ग्रह ऐसे हैं जिनके गोचर को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। इनकी चाल लंबी होने के साथ-साथ जीवन के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रभावित करती है। 

बृहस्पति गोचर 

बृहस्पति का गोचर यानी गुरु को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग 12 से 13 महीने का समय लगता है। गुरु ग्रह को आमतौर पर बहुत शुभ माना जाता है। यह शुभ फल देने वाला ग्रह है जो व्यक्ति के जीवन में विकास, सौभाग्य, सीख और समृद्धि से जुड़ा होता है। गुरु का गोचर जब भी होता है तो वो एक नई शुरुआत का संकेत होता है। बात चाहें आपके रिश्तों को बेहतर करने की हो, ज्ञान बढ़ाने वाली हो या आर्थिक स्थिति में सुधार की हो, बृहस्पति की बदलती चाल ऐसे सभी सकारात्मक संकेत लेकर आ सकती है। 

बृहस्पति गोचर के सामान्य उपाय:

गुरु ज्ञान सौभाग्य, और सकारात्मकता का प्रतीक हैं। परन्तु कुछ हालातों में यह अशुभ फल भी दे सकता है। तो अगर आप इस ग्रह के शुभ फलों को दुगना करना चाहते हैं या अशुभ प्रभावों को कम करना चाहते हैं तो यहां बताए गए कुछ आसान उपायों का पालन कर सकते हैं-

  1. आप नियमित रूप से गुरु बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। 
  2. गुरुवार को हल्दी, पीली दाल या पीले कपड़े दान करने चाहिए। 
  3. भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की पूजा से बुद्धि और सौभाग्य में सुधार होता है।
  4. गाय को चारा खिलाना और ब्राह्मणों की सेवा करना कठिन गुरु गोचर में भी मदद करता है।

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शनि गोचर 

सभी ग्रहों में शनि ग्रह की गति सबसे धीमी मानी जाती है। शनि ग्रह जब एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं तो यह करीब ढाई से तीन साल तक रहते हैं। यही कारण है कि उसका असर बहुत गहरा होता है और लंबे समय तक उसका अनुभव महसूस होता है। शनि अनुशासन, कर्म और जीवन की महत्वपूर्ण सीखों का प्रतिनिधित्व करता है। शनि का गोचर लोगों के लिए कई बड़ी चुनौतियां लेकर आता है, जिससे जीवन के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में संघर्षों का सामना करना पड़ता है। शनि का गोचर आपको मजबूत और परिपक्व बनाता है। 

शनि गोचर के उपाय:

शनि का गोचर जीवन में कई चुनौतियाँ लेकर आ सकता है, इसलिए जरूरी है कि आप शनि के प्रभाव को कम करने और सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए कुछ खास उपायों की मदद लें-

  1. हर दिन शनि मंत्र का जाप करने से मन शांत रहता है और आप शनि को प्रसन्न कर पाते हैं।
  2. शनिवार को व्रत रखना और सरसों के तेल का दीपक जलाना शनि के भारी असर को कम करता है।
  3. गरीबों, दिव्यांगों की मदद करना या लोहे की वस्तुओं का दान करना शनि के कर्म संबंधी दबाव को हल्का करता है।
  4. आप नीलम रत्न भी धारण कर सकते हैं, यह शनि की ऊर्जा को संतुलित कर सकता है। इससे पहले ज्योतिषीय सलाह लेना याद रखें।

राहु-केतु गोचर 

वैसे तो राहु और केतु कोई भौतिक ग्रह नहीं हैं। इन्हें वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह का दर्जा दिया गया है। इन दोनों ग्रहों का राशि परिवर्तन लगभग 18 महीनों से लेकर दो साल के बीच होता है। राहु-केतु गोचर के प्रभाव से किसी के जीवन में अनपेक्षित घटनाएँ, सीख, भ्रम और आध्यात्मिक जागरूकता जैसी चीजें आती हैं। राहु जहां इच्छाओं, लालसाओं और अचानक मिले अवसरों की ओर संकेत करता है। वहीं केतु विरक्ति, भीतर की खोज, और संतुलन की ओर ले जाता है। इन दोनों ग्रहों का गोचर आपको एक नई दिशा दे सकता है।      

राहु-केतु गोचर के उपाय: 

राहु-केतु का नाम सुनकर अक्सर लोग भयभीत हो जाते हैं और अशुभ प्रभावों के कारण चिंता में आ जाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह ग्रह केवल अशुभ परिणाम लेकर आते हैं अगर आप चाहें तो इसके शुभ प्रभावों का अनुभव भी कर सकते हैं जिसके लिए आप यहां दिए गए उपायों का पालन कर सकते हैं- 

  1. राहु बीज मंत्र का नियमित जाप मन की उलझनें कम करने में सहायक होता है।
  2. भ्रम और अचानक बदलाव से बचने के लिए ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास बहुत प्रभावी होते हैं।
  3. केतु बीज मंत्र का जाप करना शुभ फल देता है।
  4. तिल, अगरबत्ती या ज़रूरतमंद जानवरों-पक्षियों की सहायता करना केतु के उपायों में शामिल है।

कुल मिलाकर, सभी 9 ग्रह कुंडली के प्रत्येक भाव पर कुछ न कुछ प्रभाव डालते हैं लेकिन यह चार ग्रह जो सबसे धीमी गति से चलते हैं उनका असर भी उतना ही प्रभावी और लंबा होता है। इसलिए इन ग्रहों की चाल के बारे में जानकारी रखना और समय पर उपाय करना बहुत जरूरी होता है। 

अगर आप अपनी कुंडली में ग्रहों की चाल या दशा समझना चाहते हैं या अन्य कोई ज्योतिषीय जानकारी जानना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल बिलकुल फ्री है! 

 

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