क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का पर्व? जानें

Fri, Apr 01, 2022
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Fri, Apr 01, 2022
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का पर्व? जानें

भारत एक विविध सभ्यताओं एवं संस्कृतियों वाला देश है जहां अनेक धर्मों के त्यौहार और पर्वों को अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे ही विशिष्ट पर्वों में से एक गुड़ी पड़वा है, जिसे लोग बहुत ही आस्था एवं श्रद्धाभाव से मनाते है। गुड़ी पड़वा मराठी और कोंकणी समाज के हिन्दुओं का पांरपरिक पर्व है। गुड़ी पड़वा का त्यौहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है अतः ये कहा जा सकता है ये पर्व अपना विशेष महत्व रखता है।

गुड़ी पड़वा 2022 तिथि एवं महत्व 

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष चैत्र माह के प्रथम दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जब किसान रबी फसलों की कटाई करते हैं, तो इसे हिंदू नववर्ष का आरम्भ माना जाता हैं। गुड़ी पड़वा को चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है।

गुड़ी पड़वा की तिथि: 02 अप्रैल 2022 (शनिवार)

मराठी शक सम्वत 1944 प्रारम्भ

प्रतिपदा तिथि का आरम्भ: 01 अप्रैल 2022 को दोपहर 03:23 बजे

प्रतिपदा तिथि की समाप्ति: 02 अप्रैल 2022 को दोपहर 03:28 बजे

 

यह भी पढ़ें:👉 2022 में कब से है चैत्र नवरात्रि का आरंभ? कब और कैसे करें कलशस्थापना? जानें

 

गुड़ी पड़वा का महत्व:

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, गुड़ी पड़वा के पर्व को महाराष्ट्रीयन नववर्ष के उत्सव का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को दक्षिण भारतीय राज्यों में फसल दिवस के रूप में मनाने का प्रचलन है जो वसंत ऋतु के शुरुआत को दर्शाता है। इस दिन अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किये जाते हैं जिसका प्रारम्भ सूर्योदय के साथ ही हो जाता है और ये पूरे दिन निरंतर चलते हैं।

गुड़ी पड़वा के दिन का अपना विशेष धार्मिक महत्व है और इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा-अर्चना करने का विधान हैं, जिन्हें सृष्टि के परम रचियता माना गया हैं। शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्मांड का निर्माण किया था। महाराष्ट्र राज्य में गुड़ी पड़वा की अलग ही भव्यता, उत्साह और रौनक देखने को मिलती है। 

इस त्यौहार के संबंध में माना जाता है कि गुड़ी पड़वा मनुष्य जीवन से समस्त बुराईयों को दूर करता है, साथ ही सौभाग्य एवं समृद्धि को भी बढ़ावा देता है। इस पर्व को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में उगाड़ी के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा को शुभ दिन माना गया है जिसका आरम्भ चैत्र नवरात्रि से होता है।

गुड़ी पड़वा तिथि का निर्धारण कैसे करें?

  • हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष में जिस तिथि पर सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन ही नव संवत्सर की शुरुआत होती है।
  • अगर प्रतिपदा तिथि दो दिन सूर्योदय के समय पड़ रही है, तो प्रथम दिन ही गुड़ी पड़वा मनाई जाती हैं।
  • यदि सूर्योदय के समय किसी भी दिन प्रतिपदा तिथि नहीं पड़ रही हो, तो उस दिन नववर्ष मनाया जाता हैं जब प्रतिपदा का प्रारम्भ एवं समाप्ति हो।

आगामी पर्व :👉  नवरात्र | रामनवमी | उगादी

अधिक मास होने पर गुड़ी पड़वा सम्बंधित नियम:

साल में हर 32 मास, 16 दिन तथा 8 घटाें के बाद अधिक मास जोड़ा जाता है। अधिक मास लगने की स्थिति के बावजूद प्रतिपदा के दिन ही नव संवत्सर का आरंभ माना जाता है। इसके पीछे मुख्य कारण है कि अधिक मास को भी मुख्य महीने का ही अभिन्न अंग माना जाता है इसलिए चैत्र के अलावा अधिक मास को भी नव संवत्सर का भाग मानते हैं।

गुड़ी पड़वा से जुड़ें धार्मिक अनुष्ठान:

  • गुड़ी पड़वा के अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान सूर्योदय से पूर्व ही शुरू हो जाते हैं। इस दिन भक्त प्रातः काल उठते हैं और अपने शरीर पर तेल लगाकर पवित्र स्नान करते हैं।  
  • परिवार की स्त्रियां घर के मुख्य द्वार को आम के पत्तों एवं पुष्पों से सजाती हैं। इस दिन जातक ब्रह्मा जी की विशेष रूप से आराधना करते हैं और इसके उपरांत गुड़ी फहराई जाती हैं। 
  • ऐसी मान्यता है कि गुड़ी फहराने के साथ-साथ लोगों द्वारा श्रीहरि विष्णु का आह्वान भी किया जाता हैं। अब जातकों द्वारा देवता की पूजा की जाती हैं, साथ ही समृद्धि एवं सुरक्षा की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की जाती हैं। 
  • गुड़ी को पीले रंग के रेशमी कपड़े के एक टुकड़े, आम के पत्तों तथा लाल रंग के फूलों की माला से सजाते है। गुड़ी के आसपास सुंदर गुड़ी पड़वा रंगोली का भी निर्माण किया जाता हैं।

गुड़ी पड़वा से जुड़ें विशेष कार्य

गुड़ी पड़वा के दिन निम्नलिखित अनुष्ठानों को किया जाता है जो इस प्रकार हैं–

  • नववर्ष का भविष्यफल जानना या सुनना
  • तेल से स्नान
  • नीम के पत्ते का सेवन
  • ध्वज फहराना 
  • चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ
  • घटस्थापना

गुड़ी पड़वा से जुड़ीं मान्यता

गुड़ी पड़वा एक अत्यंत शुभ अवसर है जो शाकास पर हूणों की विजय को दर्शाता है। गुड़ी पड़वा से जुड़ीं पौराणिक मान्यता और शालिवाहन शक के अनुसार, गुड़ी पड़वा के दिन राजा शालिवाहन ने हूणों को पराजित किया था। ऐसा कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा ही वह दिन है जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की और इस प्रकार इस दिन से ही सतयुग की शुरुआत हुई।

✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी

article tag
Hindu Astrology
Vedic astrology
Navratri
Festival
article tag
Hindu Astrology
Vedic astrology
Navratri
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!