उगादी का पर्व दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व है जिसे नव वर्ष का आरम्भ माना गया है। साल 2022 में कब है उगादी? किस मुहूर्त और किस तिथि से होगा आरम्भ? जानने के लिए आगे पढ़ें।
उगादी का त्यौहार हिन्दू नववर्ष के आरम्भ की ख़ुशी में हर्षोल्लास से मनाया जाता है जो उगाड़ी या युगाडी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को मुख्य रूप से तेलुगु और कन्नड़ समाज के लोगों द्वारा चंद्र नववर्ष दिवस के रूप में मनाने का विधान है। ’युगादि शब्द की उत्पति दो शब्दों से मिलकर हुई है जिसमे युग’ का अर्थ युग है और "आरि" ’शब्द का तात्पर्य "शुरुआत" से है। इस प्रकार उगाड़ी का पर्व एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक माना गया है।
दक्षिण भारत में उगादी के पर्व को एक विशेष स्थान प्राप्त है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, उगादी का त्यौहार सामान्यरूप से हर साल मार्च या अप्रैल के महीने में आता है। उगाड़ी पर्व पर अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं। पंचांग के अनुसार, हिंदू वर्ष के चैत्र माह के प्रथम दिन को उगाड़ी के रूप में मनाया जाता है।
यह त्यौहार देश भर में अत्यंत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है जो विभिन्न संस्कृतियों में अनेक नामों से जाना जाता है, जैसे पंजाब में बैसाखी, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, सिंधियों में चैती चण्ड, राजस्थान में थापना और तमिलनाडु में पुथंडु आदि शामिल हैं।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ: 01 अप्रैल 2022 को दोपहर 03:23 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 02 अप्रैल 2022 को दोपहर 03:28 बजे
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वर्ष 2022 के तेलुगू संवत्सर का नाम राक्षस 2079 है और नव संवत्सर के प्रथम दिन के स्वामी को ही नव वर्ष का राजा या स्वामी कहा जाता है। इस हिन्दू नववर्ष 2079 के पहले दिन शनिवार पड़ रहा है और इस दिन के स्वामी शनि हैं, अतः इस प्रकार नववर्ष के राजा भगवान शनि होंगे।
उगादी से जुड़ीं पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस विशेष अवसर पर भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करना शुरू कर दिया था, जिसे उगाड़ी दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इसके पश्चात ब्रह्मा जी ने समय की भविष्यवाणी करने के उद्देश्य से दिन, सप्ताह, महीने तथा वर्ष का निर्माण किया। यही वजह है कि उगाड़ी का दिन प्राथमिक दिन के रूप में माना गया है जब ब्रह्मांड के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
एक हफ्ते पूर्व से ही उगादी पर्व का आरम्भ हो जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते है,साथ ही नए कपड़ों सहित त्यौहार से जुड़ीं सभी आवश्यक वस्तुओं की ख़रीदारी करते हैं। उगादी के अवसर पर लोग प्रातः काल उठकर सूर्योदय से पूर्व स्नानादि नित्य कर्म करते हैं। अपने घर के दरवाज़ों को आम के पत्तों से बने तोरण से सजाते हैं। यहां हम जानेंगे कि आख़िरकर आम के पत्तों से ही घर के प्रवेश द्वार की सजावट क्यों की जाती हैं?
ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर, देवी पार्वती और उनके दोनों पुत्र कार्तिकेय व गणेश को आम काफी पसंद थे। देव कार्तिकेय ने सर्वसाधारण लोगों से कहा कि वे सभी अपने घर के द्वार पर आम के पत्ते लगाएं, ऐसा करने से आपके परिवार में सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी और अच्छी फ़सल की पैदावार होगी,उस समय से ही यह परंपरा का आरंभ हुआ।
उगादी के पावन अवसर पर लोग अपने घर के आँगन में गाय के गोबर से मिश्रित जल का छिड़काव करके सुंदर रंगोली बनाते हैं। इस दिन लोग अपने इष्टदेवों की पूजा और मंगलकामना करते हैं। दक्षिण भारत का प्रमुख त्यौहार होने के कारण दक्षिण भारतीय लोग उगादी को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। लोग अपने रिश्तेदारों के साथ एकत्रित होते हैं और स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लेते हैं।
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कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और कोंकणी समुदाय के लोग इसे युगादी के नाम से पुकारते हैं, वहीं तमिलनाडु के लोग इसे उगादी और युगादी दोनों नामों से संबोधित करते हैं। इस त्यौहार को महाराष्ट्र के अधिकतर लोग गुड़ी पड़वा के नाम से जानते हैं।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उगादी के त्यौहार को अनेक नामों से जाना जाता है जो इस प्रकार हैं:
लेखक की दृष्टि से:
उगादी का पर्व दक्षिण भारत सहित पूरे भारत में बेहद श्रद्धाभाव से मनाया जाता है जो अनेकता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है। यदि आपके मन में उगादी से सम्बंधित कोई प्रश्न है या इस त्यौहार के बारे में कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप एस्ट्रोयोगी के वैदिक ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते है।
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी