Hariyali Teej 2022: जानें क्यों खास होता है सुहागिनों के लिए हरियाली तीज का पर्व?

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Hariyali Teej 2022: जानें क्यों खास होता है सुहागिनों के लिए हरियाली तीज का पर्व?

हरियाली तीज का त्यौहार सावन माह में आने वाला सबसे लोकप्रिय पर्व है जिसका इंतज़ार महिलाओं को बेसब्री से रहता है। साल 2022 में कब है हरियाली तीज? कब एवं कैसे करें हरियाली तीज पर पूजन? जानने के लिए पढ़ें।  

हरियाली तीज हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध एवं पवित्र त्योहारों में से एक है जो हर साल बहुत ही प्रेम, भक्ति एवं श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। यह पर्व सावन के महीने में आता है और इस दौरान वातावरण में चारों तरफ हरियाली छाई होती है। हरियाली तीज उत्सव को अविवाहित और विवाहित स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है। हिंदू धर्म में तीज-त्योहार एक भव्य पर्व है जो प्रमुख रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है।      

हरियाली तीज 2022 तिथि एवं मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज को श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात तीसरे दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस पर्व को मुख्य रूप से जुलाई या अगस्त में आता है। भगवान शंकर के प्रिय माह सावन में आने वाली हरियाली तीज को सावन तीज, सिंधारा तीज, छोटी तीज, आखा तीज या कजरी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

हरियाली तीज की तिथि एवं पूजा मुहूर्त

  • हरियाली तीज की तिथि: 31 जुलाई 2022, रविवार
  • तृतीया तिथि का आरंभ: 31 जुलाई 2022 को रात्रि 02 बजकर 59 मिनट से
  • तृतीया तिथि की समाप्ति: 01 अगस्त 2022 को प्रातःकाल 04 बजकर 18 मिनट तक

क्यों है विशेष हरियाली तीज का त्योहार? 

  • सनातन धर्म में सावन माह की हरियाली तीज या श्रावणी तीज का विशेष महत्व है। यह त्योहार सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद ख़ास होता है क्योंकि इस दिन मुख्यतः विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत किया जाता है। 
  • हरियाली तीज से जुड़ीं पौराणिक मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सुहागिन स्त्रियों को अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  • एक अन्य मान्यता ये है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। सावन के महीने में चारों तरफ फैली हुई हरियाली के कारण ही तीज का नाम हरियाली तीज पड़ा। इस दिन सभी सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं बिल्कुल नववधू के समान। 
  • हरियाली तीज के अवसर पर सुहागिन महिलाओं को मायके से आए हुए वस्त्र ही धारण करने चाहिए, साथ ही मायके से आई हुई श्रृंगार की वस्तुओं का ही इस्तेमाल करना चाहिए। यह परंपरा हरियाली तीज की प्रमुख परंपरा है।

हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है? 

  1. हरियाली तीज का धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्व है क्योंकि इस दिन महिलाओं द्वारा किये जाने वाले व्रत को करवा चौथ के व्रत से भी अधिक कठिन माना गया है। 
  2. इस दिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए पूरे दिन निराहार व्रत का पालन किया जाता हैं। 
  3. हरियाली तीज पर माता पार्वती एवं भगवान शंकर की पूजा की जाती हैं। इस दिन विवाहित स्त्रियों के मायके से उनके ससुराल मिठाइयां एवं श्रृंगार का सामान भेजा जाता है। 
  4. प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानदि कार्यों से निवृत होकर महिलाओं द्वारा सुहाग के प्रतीक सोलह श्रृंगार करके हरियाली तीज के निर्जला व्रत का पालन किया जाता हैं।       
  5. भगवान शिव एवं माता पार्वती के पूजन के बाद कथा सुनी जाती है, साथ ही हरियाली तीज के दिन हरे रंग के वस्त्र, हरी चुनरी, हरी चूड़ियां, मेहँदी लगाने की भी परंपरा है। 

हरियाली तीज में सोलह श्रृंगार का महत्व?

हरियाली तीज का व्रत मुख्य रूप से सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है, इस व्रत में सभी महिलाएं देवी पार्वती को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाती हैं। इस व्रत की पूजा के दौरान स्त्रियाँ माता को सोलह श्रृंगार जैसे चूड़ियां, सिंदूर, कंगन, मेहँदी, साड़ी आदि वस्तुएं अर्पित करती हैं। हरियाली तीज का व्रत करने वाली महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। इस दिन लोकगीतों को गाते हुए झूला-झूलने की भी परंपरा है।   

हरियाली तीज में क्या है सिंधारा का महत्व?

हरियाली तीज की सबसे प्रमुख परंपराओं में से एक है सिंधारा जो कई प्रकार के उपहार होते है। यह सिंधारा विवाहित लड़की के माता-पिता द्वारा उनकी बेटी और उनके ससुराल वालों के घर भेज दिया जाता है। इसमें श्रृंगार का सामान जैसे चूड़ियाँ, हीना, घेवर आदि शामिल होती हैं। हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियों को दिया गया सिंधारा, सिंधारा तीज के रूप में भी जाना जाता है।

हरियाली तीज संबंधित पौराणिक मान्यता

सनातन धर्म में प्रत्येक पर्वों एवं त्योहारों का अपना अलग स्थान है, इसी प्रकार इस तीज को मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन मध्य प्रदेश,बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में महिलाएं बहुत खुशी और उत्साह के साथ व्रत करती हैं।

हरियाली तीज या सिंधारा तीज का पर्व माता पार्वती और शिव जी को समर्पित है। इस दिन शिव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त खुश करने के लिए भक्त पवित्र दिन पर उनका व्रत एवं पूजन करते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का पर्व है।

108 जन्मों के लंबे इंतज़ार के पश्चात भगवान शिव ने देवी पार्वती की कठोर तपस्या और प्रार्थनाओं की वजह से हरियाली तीज के शुभ तिथि पर अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था इसलिए हरियाली तीज को हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण दर्ज़ा प्राप्त है।

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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी

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