कृष्णमूर्ति पद्धति से जानें भविष्य के राज़

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कृष्णमूर्ति पद्धति से जानें भविष्य के राज़

दुनिया समय के साथ बदलती है और ज्योतिष भी इससे अछूता नहीं है। नई-नई तकनीकों और विधियों का विकास समय के साथ होता रहा है। ज्योतिष में कई अलग-अलग विधाएं हैं, जैसे नाड़ी ज्योतिष, भृगु संहिता, कृष्णमूर्ति पद्धति, और लाल किताब। आम आदमी के लिए यह समझना कठिन हो जाता है कि ये सब क्या हैं और इनके क्या लाभ हो सकते हैं। आइए जानते हैं के पी सिस्टम के बारें में!

कृष्णमूर्ति पद्धति का परिचय

कृष्णमूर्ति पद्धति, जिसे "केपी सिस्टम" के नाम से भी जाना जाता है, ज्योतिष की एक अनूठी और सटीक विधा है। इस पद्धति का आविष्कार श्री के. एस. कृष्णमूर्ति ने किया था, जिन्होंने पारंपरिक और विदेशी ज्योतिष की विभिन्न शाखाओं का गहन अध्ययन किया। पारंपरिक ज्योतिष की जटिलता और भ्रम को देखते हुए उन्होंने एक सरल और अधिक प्रभावी पद्धति विकसित की। पारंपरिक ज्योतिष में कई विवादित सिद्धांत और लाखों श्लोक होते हैं जिन्हें याद रखना आम आदमी के लिए कठिन होता है। इसके साथ ही, जब दो अलग-अलग ज्योतिषियों से परामर्श लिया जाता है, तो वे अक्सर विरोधाभासी बातें बताते हैं। इस सब कारणों से ज्योतिष सही भविष्यवाणी नहीं कर पाता और जनता भ्रमित होती है। कृष्णमूर्ति पद्धति ने इन समस्याओं का समाधान प्रदान किया है, जिससे ज्योतिष की भविष्यवाणियाँ अधिक सटीक और विश्वसनीय हो गई हैं। यह पद्धति बताती है कि कोई घटना ठीक कितने बजे घटित होगी, यहां तक कि सेकंडों के स्तर तक भविष्यवाणी कर सकती है। इस प्रकार, कृष्णमूर्ति पद्धति ने ज्योतिष को एक नया और सटीक दृष्टिकोण प्रदान किया है, जिससे लोग अधिक आत्मविश्वास के साथ ज्योतिष पर भरोसा कर सकते हैं।

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कृष्णमूर्ति पद्धति की विशेषता

कृष्णमूर्ति पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सटीकता है। यह पद्धति न केवल यह बता सकती है कि कोई घटना कब घटित होगी, बल्कि सेकंडों के स्तर तक समय की भविष्यवाणी भी कर सकती है। उदाहरण के लिए, यह पद्धति यह बता सकती है कि कोई हवाई जहाज कब उतरेगा, बिजली कब आएगी, या खोई हुई वस्तु कब मिलेगी। केपी की सटीक भविष्यवाणियाँ इसे ज्योतिष की दुनिया में विशेष स्थान दिलाती हैं। इस पद्धति के सिद्धांत स्पष्ट और सीधे होते हैं, जिससे ज्योतिषी सटीक और सूक्ष्म भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं। केपी पद्धति के इस सटीकता ने इसे न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय बना दिया है। इस पद्धति का उपयोग आज के समय में ज्योतिषियों द्वारा बहुतायत से किया जाता है। इसका सरल और सटीक सिद्धांत इसे ज्योतिषियों और आम जनता दोनों के बीच लोकप्रिय बना रहा है। कृष्णमूर्ति पद्धति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण और इसके सिद्धांतों की स्पष्टता ज्योतिष को एक विज्ञान की तरह प्रस्तुत करती है, जिससे यह पद्धति और भी विश्वसनीय बन जाती है।

केपी पद्धति की सरलता

केपी पद्धति को सीखना और प्रयोग में लाना बहुत आसान है। पारंपरिक पद्धति के विपरीत, यह सुनियोजित और सटीक होती है, जिससे दो केपी ज्योतिषी विरोधाभासी भविष्यवाणियाँ नहीं करेंगे। इसके सिद्धांत स्पष्ट और सीधे होते हैं, जिससे एक साधारण व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ सकता है। इसके लिए विभिन्न पुस्तकें, ऑनलाइन कोर्स, और कार्यशालाएँ उपलब्ध हैं, जिनसे व्यक्ति इस पद्धति को सीख सकता है। कृष्णमूर्ति पद्धति ने ज्योतिष को अधिक पहुँच योग्य बना दिया है, जिससे आम जनता भी इसे समझने और उपयोग करने में सक्षम हो रही है। यह पद्धति न केवल सटीक भविष्यवाणी करती है, बल्कि इसे सीखना भी सरल है। इसके सिद्धांतों की स्पष्टता और सटीकता ने इसे न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय बना दिया है। इस प्रकार, केपी पद्धति ने ज्योतिष को एक नया और सटीक दृष्टिकोण प्रदान किया है, जिससे लोग अधिक आत्मविश्वास के साथ ज्योतिष पर भरोसा कर सकते हैं।

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पारंपरिक पद्धति और केपी में अंतर

पारंपरिक पद्धति और कृष्णमूर्ति पद्धति में मुख्य अंतर यह है कि केपी में हर नक्षत्र के नौ विभाजन किए जाते हैं, जिन्हें उप-नक्षत्र या "सब" कहा जाता है। कुल मिलाकर 249 उपनक्षत्र होते हैं, जो ज्योतिष की भविष्यवाणी की सूक्ष्मता को बढ़ाते हैं। इस वजह से केपी में दिन, घंटे, मिनट और सेकंड की सूक्ष्मता से भी भविष्यवाणी की जा सकती है। पारंपरिक पद्धति में, भविष्यवाणी करने के लिए ज्योतिषी को लाखों श्लोकों को याद रखना पड़ता है और विभिन्न विवादित सिद्धांतों को समझना पड़ता है, जो कि एक साधारण व्यक्ति के लिए कठिन होता है। इसके विपरीत, केपी पद्धति के सिद्धांत सरल और स्पष्ट होते हैं, जिससे ज्योतिषी सटीक और सूक्ष्म भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं। इसके अलावा, केपी पद्धति ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और गणितीय आधार पर भविष्यवाणी के सिद्धांतों को स्थापित किया है, जिससे यह पद्धति और भी विश्वसनीय बन गई है। पारंपरिक और केपी पद्धति के इस अंतर ने ज्योतिष की दुनिया में एक नया और सटीक दृष्टिकोण प्रदान किया है, जिससे लोग अधिक आत्मविश्वास के साथ ज्योतिष पर भरोसा कर सकते हैं।

केपी पद्धति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कृष्णमूर्ति पद्धति ज्योतिष को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखती है और भविष्यवाणी के सिद्धांतों को गणितीय और खगोलीय आधार पर स्थापित करती है। इसके सिद्धांतों की सटीकता और स्पष्टता ज्योतिष को एक विज्ञान की तरह प्रस्तुत करती है, जिससे यह पद्धति और भी विश्वसनीय बन जाती है। इस पद्धति में हर नक्षत्र को नौ उप-नक्षत्रों में विभाजित किया जाता है, जिससे भविष्यवाणी की सूक्ष्मता बढ़ जाती है। यह पद्धति ज्योतिष की परंपरागत जटिलताओं को सरल करती है और इसे आम आदमी के लिए समझने योग्य बनाती है। कृष्णमूर्ति पद्धति के वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने ज्योतिष की सटीकता को बढ़ाया है और इसे एक नया और विश्वसनीय दृष्टिकोण प्रदान किया है। इस पद्धति के सिद्धांत स्पष्ट और सीधे होते हैं, जिससे ज्योतिषी सटीक और सूक्ष्म भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं। इसके सिद्धांतों की सटीकता और स्पष्टता ज्योतिष को एक विज्ञान की तरह प्रस्तुत करती है, जिससे यह पद्धति और भी विश्वसनीय बन जाती है।

केपी पद्धति का उपयोग

कृष्णमूर्ति पद्धति का उपयोग आज के समय में ज्योतिषियों द्वारा बहुतायत से किया जाता है। यह पद्धति न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। इसके सरल और सटीक सिद्धांत इसे ज्योतिषियों और आम जनता दोनों के बीच लोकप्रिय बना रहे हैं। इस पद्धति का उपयोग विभिन्न जीवन स्थितियों में किया जा सकता है, जैसे कि विवाह, नौकरी, स्वास्थ्य, और धन से संबंधित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए। केपी पद्धति की सटीकता और सरलता ने इसे न केवल ज्योतिषियों के बीच बल्कि आम जनता के बीच भी लोकप्रिय बना दिया है। इस पद्धति के सिद्धांत स्पष्ट और सीधे होते हैं, जिससे ज्योतिषी सटीक और सूक्ष्म भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं। इसके सिद्धांतों की सटीकता और स्पष्टता ज्योतिष को एक विज्ञान की तरह प्रस्तुत करती है, जिससे यह पद्धति और भी विश्वसनीय बन जाती है।

केपी पद्धति का सीखना

कृष्णमूर्ति पद्धति को सीखना बहुत ही सरल है। इसके सिद्धांत स्पष्ट और सीधे होते हैं, जिससे एक साधारण व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ सकता है। इसके लिए विभिन्न पुस्तकें, ऑनलाइन कोर्स, और कार्यशालाएँ उपलब्ध हैं, जिनसे व्यक्ति इस पद्धति को सीख सकता है। केपी पद्धति ने ज्योतिष को अधिक पहुँच योग्य बना दिया है, जिससे आम जनता भी इसे समझने और उपयोग करने में सक्षम हो रही है। यह पद्धति न केवल सटीक भविष्यवाणी करती है, बल्कि इसे सीखना भी सरल है। इसके सिद्धांतों की स्पष्टता और सटीकता ने इसे न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय बना दिया है। इस प्रकार, केपी पद्धति ने ज्योतिष को एक नया और सटीक दृष्टिकोण प्रदान किया है, जिससे लोग अधिक आत्मविश्वास के साथ ज्योतिष पर भरोसा कर सकते हैं।

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केपी पद्धति के फायदे

कृष्णमूर्ति पद्धति के कई फायदे हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह पद्धति सटीक और सूक्ष्म भविष्यवाणी करती है। इसके सिद्धांत स्पष्ट और सीधे होते हैं, जिससे ज्योतिषी सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं। इसके अलावा, इस पद्धति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण और गणितीय आधार इसे और भी विश्वसनीय बनाते हैं। इस पद्धति का उपयोग विभिन्न जीवन स्थितियों में किया जा सकता है, जैसे कि विवाह, नौकरी, स्वास्थ्य, और धन से संबंधित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए। केपी पद्धति की सटीकता और सरलता ने इसे न केवल ज्योतिषियों के बीच बल्कि आम जनता के बीच भी लोकप्रिय बना दिया है। इसके सिद्धांतों की सटीकता और स्पष्टता ज्योतिष को एक विज्ञान की तरह प्रस्तुत करती है, जिससे यह पद्धति और भी विश्वसनीय बन जाती है।

केपी पद्धति का भविष्य

कृष्णमूर्ति पद्धति का भविष्य उज्ज्वल है। यह पद्धति आज के समय में ज्योतिषियों द्वारा बहुतायत से उपयोग की जा रही है और यह लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। इसके सरल और सटीक सिद्धांत इसे ज्योतिषियों और आम जनता दोनों के बीच लोकप्रिय बना रहे हैं।

कृष्णमूर्ति पद्धति 21वीं सदी के ज्योतिषियों के लिए बनाई गई पद्धति है, जो किसी व्यक्ति के जीवन के छोटे-से-छोटे पहलू का भी सटीक भविष्यवाणी करती है। इसकी सरलता, सूक्ष्मता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण इसे ज्योतिष की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाते हैं। यदि आप भी अपने भविष्य के बारे में जानने के इच्छुक हैं और सटीक भविष्यवाणी चाहते हैं, तो कृष्णमूर्ति पद्धति एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। अभी सम्पर्क करें एस्ट्रोयोगी के एक्सपर्ट कृष्णमूर्ति पद्धति के जानकारों से।

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