
Kuber Chalisa: क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे जीवन में धन और समृद्धि की रक्षा कौन करता है? हिंदू धर्म में जैसे मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है, वैसे ही भगवान कुबेर को ‘धन के स्वामी’ कहा जाता है। वे संपत्ति, वैभव और ऐश्वर्य के अधिपति माने जाते हैं।
कुबेर देव सिर्फ धन के प्रतीक नहीं, बल्कि वे जीवन में सुख-सुविधाओं और स्थिरता के दाता भी हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा से कुबेर चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है, व्यापार में उन्नति होती है और घर में सदा खुशहाली बनी रहती है।
॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय,और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो,धन माया के ढ़ेर॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी।धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी।पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी।सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी।सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं।युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं।भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता।पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता।विभीषण भगत आपके भ्राता॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया।घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया।अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में।देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में।बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं।त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं।गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं।ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं।यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं।देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं।यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं।पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं।वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला।गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला।दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे।सदा विजय हो कभी न हारे॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे।अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं।कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं।कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे।क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं।दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं।अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं।कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे।कुबेर गिरे को पुनः उठा दे॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे।कुबेर भूले को राह बता दे॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे।भूखे की भूख कुबेर मिटा दे॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे।दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे।कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे।चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै।जो कुबेर को मन में ध्यावै॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं।मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई।उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई।उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावै।उसका बेड़ा पार लगावै॥
उजड़े घर को पुनः बसावै।शत्रु को भी मित्र बनावै॥
सहस्र पुस्तक जो दान कराई।सब सुख भोग पदार्थ पाई॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई।मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब,जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी,दया की दृष्टि फेर॥
॥ इति श्री कुबेर चालीसा समाप्त ॥
कुबेर चालीसा एक पवित्र स्तुति है जिसमें भगवान कुबेर की महिमा, उनके कार्यों और उनके प्रति श्रद्धा का वर्णन किया गया है। जैसे हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय और संकट दूर होते हैं, वैसे ही कुबेर चालीसा के नियमित पाठ से आर्थिक संकट, कर्ज़ और दरिद्रता समाप्त होती है।
धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से शुक्रवार या दीपावली के दिन कुबेर चालीसा का पाठ करता है, तो उसके जीवन में धन का प्रवाह कभी नहीं रुकता। यह चालीसा न केवल भौतिक संपन्नता प्रदान करती है, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति भी देती है।
कुबेर चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ सरल नियमों का पालन करना चाहिए। यह न केवल आपकी भक्ति को और गहरा बनाता है, बल्कि पूजा का फल भी बढ़ाता है।
1. पूजा स्थल की तैयारी: घर के उत्तर दिशा में एक साफ स्थान चुनें क्योंकि यह दिशा भगवान कुबेर की मानी जाती है।
2. पूजन सामग्री: कुबेर देव की मूर्ति या चित्र, धूप-दीप, चंदन, कुंकुम, फूल, अक्षत, जल से भरा कलश और पीले वस्त्र का प्रयोग करें।
3. पूजन विधि: पहले भगवान गणेश का आह्वान करें, फिर मां लक्ष्मी और अंत में भगवान कुबेर की पूजा करें। इसके बाद कुबेर चालीसा का पाठ करें।
4. समय: शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन कुबेर चालीसा पाठ के लिए सबसे शुभ माना गया है। दीपावली, धनतेरस या अक्षय तृतीया के दिन इसका विशेष फल मिलता है।
कुबेर चालीसा का पाठ केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि एक ऊर्जा साधना भी है। इससे व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आते हैं—
आर्थिक समृद्धि: धन के देवता की कृपा से धन वृद्धि होती है।
व्यापार में उन्नति: व्यापार और नौकरी में अड़चनें दूर होती हैं।
कर्ज़ मुक्ति: नियमित पाठ से ऋणों से मुक्ति मिलती है।
घर में सुख-शांति: परिवार में विवाद कम होकर आपसी प्रेम बढ़ता है।
मान-सम्मान की प्राप्ति: समाज में प्रतिष्ठा और आदर में वृद्धि होती है।
धनतेरस: इस दिन कुबेर और लक्ष्मी जी की संयुक्त पूजा का विधान है।
दीपावली: भगवान कुबेर की आराधना से घर में वर्षभर धन और सौभाग्य बना रहता है।
अक्षय तृतीया: यह दिन आर्थिक उन्नति और नए कार्यों के शुभारंभ के लिए श्रेष्ठ है।
शुक्रवार: लक्ष्मी-कुबेर की कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है।
कुबेर यंत्र की स्थापना करें – इसे घर के उत्तर दिशा में रखें।
कुबेर कलश बनाएं – उसमें चावल, सिक्के और रत्न रखें और दीपक जलाएं।
सकारात्मक सोच रखें – धन का आदर करें और सदुपयोग करें।
दान करें – जरूरतमंदों की सहायता करना कुबेर कृपा पाने का श्रेष्ठ तरीका है।
कुबेर चालीसा केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन और समृद्धि का मार्गदर्शन भी है। यह हमें सिखाती है कि धन तभी शुभ होता है जब उसमें दया, धर्म और सद्भाव का समावेश हो। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमितता के साथ कुबेर चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में न केवल आर्थिक सुख आता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक आनंद भी प्राप्त होता है।
इस दीपावली या किसी भी शुभ अवसर पर कुबेर देव की आराधना करें, कुबेर चालीसा का पाठ करें और अपने जीवन में धन, समृद्धि और सकारात्मकता का स्वागत करें।