सभी चाहते है कि हमें अपने जीवन में हर वो चीज़ मिले जिसे हम पाना चाहते है, चाहे वो अच्छी नौकरी हो, धन-दौलत हो, मनचाहा जीवनसाथी हो। और ये सब पाने के लिए हम बहुत कुछ करते हैं, लेकिन हमें नहीं पाता होता है कि जो उपाय हम कर रहे हैं, वह कितना कारगर है। कौन सा ग्रह या योग हमको अच्छा परिणाम देगा और कौन सा अशुभ।
भले ही विज्ञान ग्रहों को सिर्फ सौर परिवार का हिस्सा मानता हो, लेकिन ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से ये सिर्फ सौर परिवार का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि समस्त चराचर जगत की गतिविधियां इनसे प्रभावित होती हैं। तमाम अच्छे-बुरे प्रभावों के लिये ग्रह की दशा जिम्मेदार होती है। मनुष्य के जन्म के समय ग्रहों की दशा से ही जातक के स्वभाव का पता लगाया जाता है। जन्म कुंडली में ग्रहों के योग से ही जातक के मंगल और अमंगल भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जाता है तो उसकी वर्ष कुंडली बताती है कि आने वाले साल का समय उसके लिये कैसा रहेगा? कई बार जातक की कुंडली में ग्रह कुछ अशुभ योग बनाते हैं जिनके योग से जातक पर जन्म से ही विपदाओं का पहाड़ टूटने लगता है। लेकिन कुछ ऐसे शुभ योग भी होते हैं कि जातक को तकलीफ नाम की चीज का रत्ती भर भी भान नहीं होता। आइये आपको बताते हैं कुंडली के कुछ ऐसे ही योग जो बदल देते हैं आपकी जिंदगी और जिनके होने से आप करते हैं तरक्की दिन दुगनी रात चौगुनी।
महालक्ष्मी योग
जातक के भाग्य में धन और ऐश्वर्य का प्रदाता महालक्ष्मी योग होता है। जातक की कुंडली में यह धन कारक योग तब बनता है जब द्वितीय स्थान का स्वामी जिसे धन भाव का स्वामी भी माना जाता है यानी गुरु ग्रह बृहस्पति एकादश भाव में बैठकर द्वितीय भाव पर दृष्टि डाल रहा हो। यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इससे जातक की दरिद्रता दूर होती है और समृद्धि उसका स्वागत करती है। लेकिन यह योग भी तभी फलीभूत होते हैं जब जातक योग्य कर्म भी करते हैं।
सरस्वती योग
कला, संगीत, लेखन एवं शिक्षा के क्षेत्र में आप ख्याति प्राप्त कर रहे हैं तो इसका एक कारक आपकी कुंडली में इस योग का होना हो सकता है। सरस्वती जैसा महान योग जातक की कुंडली में तब बनता है जब शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह एक दूसरे के साथ में हों या फिर केंद्र में बैठकर युति या फिर दृष्टि किसी भी प्रकार से एक दूसरे से संबंध बना रहे हों। यह योग जिस जातक की कुंडली में होता है उस पर मां सरस्वती मेहरबान होती हैं और वे रचनात्मक क्षेत्रों में विशेषकर कला एवं ज्ञान के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाते हैं।
नृप योग
इस योग के नाम से ही ज्ञात हो जाता है कि जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उस जातक का जीवन राजा की तरह व्यतीत होता है। जातक की कुंडली में यह योग तभी बनता है जब तीन या तीन से अधिक ग्रह उच्च स्थिति में रहते हों। राजनीति में शिखर तक व्यक्ति इस योग के सहारे भी पहुंचते हैं।
अमला योग
यह योग भी शुभ योगों में से एक माना जाता है। जब जातक की जन्म पत्रिका में चंद्रमा से दसवें स्थान पर कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो यह योग बनता है। अमला योग भी व्यक्ति के जीवन में धन और यश प्रदान करता है।
गजकेसरी योग
बहुत ही भाग्यशाली जातक होता है वह जिसकी जन्म कुंडली में यह योग बनता है। इसे असाधारण योग की श्रेणी में रखा जाता है। इस योग वाला जातक कभी भी अभाव में जीवन व्यतीत नहीं करता। सफलता अपने आप उसके पास दौड़ी चली आती है। बात रही इसके बनने की तो जब कुंडली में देव गुरु बृहस्पति और चंद्रमा पूर्ण कारक प्रभाव के साथ होते हैं तो इस योग का सृजन करते हैं। पत्रिका के लग्न स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक के होने पर यह कारक प्रभाव माना जाता है। हालांकि यदि यह योग पूरी तरह से कारक न भी हो तो भी इसे अच्छा फल देने वाला माना जाता है लेकिन ऐसे में अपेक्षानुसार कम फल मिलता है। जब चंद्रमा से केंद्र स्थान में पहले, चौथे, सातवें या दसवें स्थान में बृहस्पति हो तो इस योग को गजकेसरी योग कहते हैं। इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति का साथ हो तब भी यही योग बनता है।
पारिजात योग
खरगोश और कछुए वाली कहानी तो आपने सुनी होगी जिसमें खरगोश तेज दौड़ता है लेकिन अति आत्मविश्वास और अपने अहंकार के कारण हार जाता है और कछुआ शांत स्वभाव से धीरे-धीरे ही सही लेकिन बिना रुके अपनी दौड़ पूरी करता है और जीत जाता है पारिजात योग की कहानी भी कुछ-कुछ ऐसी ही है इस योग वाले जातक अपने जीवन में कामयाब होते हैं और सफलता के शिखर पर भी पहुंचते हैं लेकिन इनकी रफ्तार धीमी रहती है। लगभग आधा जीवन बीत जाने के बाद इस योग के प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। कुंडली के अनुसार लग्नेश जिस राशि में हो उस राशि का स्वामी यदि कुंडली में उच्च स्थान या फिर अपने ही घर में हो तो ऐसी दशा में पारिजात योग बनता है।
छत्र योग
जब जातक अपने जीवन में निरंतर प्रगति करते हुए उन्नति करता रहता है और उच्च पदस्थ होता है ऐसा छत्र योग के कारण भी संभव होता है। छत्र योग भगवान की छत्रछाया यानी प्रभु की कृपा वाला योग माना जाता है। यह योग तब बनता है जब जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव से दशम भाव तक सभी ग्रह मौजूद हों। इसी तरह आपकी कुंडली में और भी बहुत से शुभ योग होते हैं, जिनके कारण हमारा जीवन सुखदायी होता है। लेकिन आपकी कुंडली में कौन सा योग है, यह तो विद्वान ज्योतिषाचार्य ही आपकी कुंडली के अध्ययन के पश्चात बता सकते हैं और देशभर के विद्वान ज्योतिषाचार्य अब आपसे एक क्लिक पर दूर रहते हैं
यदि किसी काम को करने या न करने को लेकर किसी प्रकार की शंका आपके दिमाग में घर कर गई है तो हमारे ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेकर उनका उपाय जानें।