आमतौर पर शादी एक साइकिल की तरह है जिसके पति और पत्नी रूपी दो पहिए होते हैं। यदि साइकिल का कोई भी पहिया कमजोर होता है तो साइकिल को चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। इसी तरह शादी रूपी साइकिल को चलाने के लिए सामंजस्य होना बहुत जरूरी है, लेकिन आजकल के दौर में पति-पत्नी के बीच तालमेल और विचारों का आदान-प्रदान कम होने लगा है जिसकी वजह से मतभेद होने लगे हैं और कई बार यह मतभेद मनभेद में परिवर्तित हो जाते हैं और तलाक तक लेने की स्थितियां पैदा हो जाती हैं। इसके अलावा लोग शादीशुदा होने के बावजूद भी अकेलापन महसूस करते हैं और वह किसी दूसरे की तलाश करने लगते हैं जो उन्हें इमोशनल सपोर्ट कर सकें और इस तरह के रिश्ते को एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का नाम दिया जाता है।
एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स को बढ़ावा देते हैं यह ग्रह-योग
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह के पश्चात आने वाली परेशानियों की वजह आपकी कुंडली में स्थित ग्रहों की बदलती चाल भी हो सकती है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र पुरुष की कुंडली में और गुरू स्त्री की कुंडली में दांपत्य का कारक है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र और बुध की युति दशम भाव या लग्न भाव में है तो यह अशुभ संकेत होता है और यह बहुविवाह की ओर इशार करता है। इसके अलावा मंगल और शुक्र की युति सप्तम भाव में हो तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जातक शादी के बाद भी विवाहेत्तर संबंधों को दर्शाता है। वहीं कुंडली के दशम भाव में वृष या तुला राशि हो और शुक्र, शनि और बुध ग्रह उसी भाव में हो तो यह भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के योग बनाता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि वे कौन से ग्रह है जिनकी चाल बदलने से आपके दांपत्य जीवन में आ जाता है भूचाल?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश व्यय भाव में हो तो यह जीवनसाथी के होते हुए भी विवाहेत्तर संबंध स्थापित करने का योग बनाता है। इसके अलावा यदि कुंडली में सप्तमेश पंचम भाव में हो तो जातक कभी भी अपनी शादी से संतुष्ट नहीं रहता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तमभाव में चंद्र और शनि युति हो तो यह शुभ संकेत नहीं होता। इसका अर्थ होता है कि जातक एक से अधिक विवाह करेगा।
ज्योतिषशास्त्र कहता है कि यदि कुंडली के नवम भाव में शुक्र और मंगल स्थान परिवर्तन योग में हो तो जातक विवाहेतर संबंध बनाता है। इसके अलावा यदि सप्तम भाव में सूर्य, शनि, शुक्र, मंगल और चंद्रमा के साथ हो और इस पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक अपने जीवनसाथी की स्वीकृति से एक्स्ट्रा मैरिटल अफयेर करता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल सातवें घर में या चौथे भाव में शुक्र और बुध युति में हो तो यह अशुभ संकेत देता है। इसका मतलब होता है कि जातक विवाह के बाद एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखेगा।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल अष्टम भाव के स्वामी के साथ अपनी नीच राशि कर्क में हो तो बहुविवाह का योग बनता है।
ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और शुक्र युति में हो तो यह शुभ संकेत नहीं है और यह जातक के एक से अधिक शादी के योग बनाता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र और बुध की युति दशमभाव में हो तो यह अशुभ संकेत देता है और यह बहुविवाह का संकेत देता है।