कब और कैसे करें मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत

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कब और कैसे करें मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत

हिंदू धर्म के मुताबिक, हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गाष्टमी होती है। इस तिथि को मां दुर्गा के लिए समर्पित किया जाता है और इस दिन को उनकी पूजा करके मनाया जाता है। इसके साथ ही दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के लिए व्रत भी रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां के भक्त पूरे दिन उनके नाम का उपवास करते हैं और इसका उन्हें काफी शुभ फल मिलता है। 

 

मां दुर्गा की पूजा से तन-मन-धन का लाभ

 

ज्योतिषी के अनुसार, अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की अराधना और दुर्गा मंत्रों का पाठ करने वाले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि मिलती है। कहते हैं कि इस पूजा के दौरान दुर्गा मां की आरती और भजन गाना चाहिए। वैसे तो हर महीने मासिक दुर्गाष्टमी की तिथि आती है, हालांकि, मुख्य दुर्गाष्टमी अश्विन महीने में पड़ती है। शारदीय नवरात्रि उत्सव के नौ दिन के दौरान मुख्य दुर्गाष्टमी मनाई जाती है, जिसे महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, माघ मास की दुर्गाअष्टमी 20 फरवरी 2021 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। 

 

दुर्गाष्टमी की पूजा की खास विधि

  • मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि काफी खास होती है। भक्तों को पूजा के दिन प्रात:काल उठना और सभी नित्यकर्मो को जल्द से जल्द पूरा करके स्नान करना चाहिए। नहाने के बाद पूजा से पहले स्वच्छ वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं, खुद को साफ करने के बाद पूजास्थल की भी सफाई जरूरी है। इसलिए, जिस जगह पर पूजा करनी है उसे गंगाजल डालकर अच्छे से शुद्ध करना चाहिए।
  • पूजा के लिए लकड़ी का पाट पूजास्थल पर रखें। इसके बाद वहां लाल वस्त्र बिछाकर और उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर (पोस्टर या चित्र जो भी उपलब्ध हो)  स्थापित करें।
  • इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा पर अक्षत, सिन्दूर और लाल फूल अर्पित करें। इसके साथ ही, मां दुर्गा को फल, मिठाई का भोग लगाएं। फिर, धूप और दीपक जलाकर मां की आरती करें। सबसे आखिरी में दुर्गा मां की चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इस व्रत के दौरान भक्तों को दिनभर फलहार करना चाहिए। शाम के वक्त मां दुर्गा की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। पूजा संपन्न करने के बाद आप पारण कर सकते हैं या फिर अगले दिन स्नान करने के बाद पारण कर सकते हैं।

 

मां दुर्गा की कृपा से दूर होते हैं कष्ट

 

ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा की पूजा करनेवाले के सद्गृहस्थ जीवन में अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं। उनको धन, ऐश्वर्य, अच्छा जीवनसाथी, पुत्र, पौत्र का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही अच्छे स्वास्थ्य के साथ पूरा जीवन गुजरता है। इसके फलस्वरूप इंसान अंतिम लक्ष्य मोक्ष की भी सहज प्राप्ति कर पाता है। यही नहीं, मां दुर्गा की अराधना से बीमारियां तो दूर होती ही हैं, इसके अलावा, महामारी, बाढ़, सूखा जैसे प्राकृतिक उपद्रव भी दूर होते हैं। वहीं, शत्रु से घिरे हुए किसी व्यक्ति या राज्य, देश और संपूर्ण विश्व को भी मां भगवती की आराधना से परम कल्याणकारी फल प्राप्त होता है।

दुर्गाष्टमी से जुड़ी कथा

पौराणिक मान्यताओं की मानें तो, सदियों पहले एक ऐसा सम आया जब पृथ्वी पर असुरों की शक्ति बहुत बढ़ गई थी। इसके घमंड में वे अब स्वर्ग पर चढ़ाई करने आगे बढ़ने लगे। इसके रास्ते में आ रहे कई देवताओं की असुरों ने हत्या करनी शुरू कर दी। और देखते ही देखते स्वर्ग में तबाही मच गई। असुरों के गुट में सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था, जिसकी अगुवाई में ये तबाही जारी था। इसके बाद भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने मिलकर शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा की रचना की। वहीं, देवी दुर्गा को हर देवता ने विशेष हथियार भी प्रदान किया। इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का अंत किया। मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना और उसका भी नरसंहार किया। इसी दिन से दुर्गा अष्टमी की शुरुआत हुई थी।

2021 मासिक दुर्गाष्टमी व्रत तिथि

  • 21 जनवरी 2021, गुरुवार (पौष मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 20 जनवरी दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से, 21 जनवरी शाम 3 बजकर 50 मिनट तक

  • 20 फरवरी 2021 शनिवार, (माघ मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 19 फरवरी सुबह 10 बजकर 58 मिनट से, 20 फरवरी दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक

  • 22 मार्च 2021 सोमवार,  (फाल्गुन मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 21 मार्च सुबह 7 बजकर 09 मिनट से, 22 मार्च सुबह 09 बजे तक

  • 20 अप्रैल 2021 मंगलवार, (चैत्र मास, शुक्ल अष्टमी)  

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 20 अप्रैल मध्यरात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 21 अप्रैल मध्यरात्रि 12 बजकर 43 मिनट तक

  • 20 मई 2021 गुरुवार,  (बैशाख मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 19 मई दोपहर 12 बजकर 50 मिनट से 20 मई दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक

  • 18 जून 2021 शुक्रवार, ( ज्येष्ठ मास, शुक्ल अष्टमी)  

अष्टमी तिथि प्रारंभ  - 17 जून रात्रि 09 बजकर 59 मिनट से 18 जून रात्रि 08 बजकर 39 मिनट तक

  • 17 जुलाई 2021 शनिवार, ( आषाढ़ मास, शुक्ल अष्टमी) 

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 17 जुलाई सुबह 04 बजकर 34 मिनट से 18 जुलाई मध्यरात्रि 02 बजकर 41 मिनट तक

  • 15 अगस्त 2021 रविवार, (श्रावण मास, शुक्ल अष्टमी) 

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 15 अगस्त सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 16 अगस्त सुबह 07 बजकर 45 मिनट तक

  • 14 सितंबर 2021 मंगलवार, (भाद्रपद मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 13 सितंबर दोपहर 03 बजकर 10 मिनट से 14 सितंबर दोपहर 01 बजकर 09 मिनट तक

  • 13 अक्टूबर 2021 बुधवार, ( अश्विन मास, शुक्ल अष्टमी) 

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 12 अक्टूबर रात्रि 09 बजकर 47 मिनट से 13 अक्टूबर रात्रि 08 बजकर 07 मिनट तक

  • 11 नवंबर 2021 गुरुवार,  (कार्तिक मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 11 नवंबर सुबह 06 बजकर 49 मिनट से 12 नवंबर सुबह 05 बजकर 51 मिनट तक

  • 11 दिसंबर 2021 शनिवार,  (मार्गशीर्ष मास, शुक्ल अष्टमी)

अष्टमी तिथि प्रारंभ -  10 दिसंबर शाम 07 बजकर 09 मिनट से 11 दिसंबर शाम 07 बजकर 12 मिनट तक 

 

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मां दुर्गा चालीसा मां दुर्गा आरतीश्री दुर्गा यंत्रदुर्गा स्त्रोत 
 

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