मौनी अमावस्या 2022 - माघी अमवास्या को गंगाजल बनता है अमृत

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मौनी अमावस्या 2022 -  माघी अमवास्या को गंगाजल बनता है अमृत

माघ के महीने को हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत पवित्र माना जाता है। इस मास के हर दिन को स्नान-दानादि के लिये बहुत ही शुभ माना जाता है। लेकिन माघ मास के ठीक मध्य में अमावस्या के दिन का तो बहुत विशेष महत्व माना जाता है। दरअसल मान्यता यह है कि इस दिन पवित्र नदी और मां का दर्जा रखने वाली गंगा मैया का जल अमृत बन जाता है। इसलिये माघ स्नान के लिये माघी अमावस्या यानि मौनी अमावस्या को बहुत ही खास बताया है। क्योंकि इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिन भर मुनियों सा आचरण करना पड़ता है इसी कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार वर्ष 2022 में मौनी अमावस्या का यह त्यौहार 01 फरवरी को मंगलवार के दिन है।

 

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मौनी अमावस्या 2022 तिथि व मुहूर्त

मौनी अमावस्या मंगलवार, 01 फरवरी 2022

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 21 जनवरी 2022 को दोपहर 14 बजकर 18 मिनट से 
अमावस्या तिथि समाप्त - 01 फरवरी 2022 को सुबह 11 बजकर 15 मिनट तक 

 

मौनी अमावस्या का महत्व

साधु, संत, ऋषि, महात्मा सभी प्राचीन समय से प्रवचन सुनाते रहे हैं कि मन पर नियंत्रण रखना चाहिये। मन बहुत तेज गति से दौड़ता है, यदि मन के अनुसार चलते रहें तो यह हानिकारक भी हो सकता है। इसलिये अपने मन रूपी घोड़े की लगाम को हमेशा कस कर रखना चाहिये। मौनी अमावस्या का भी यही संदेश है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित किया जाये। मन ही मन ईश्वर के नाम का स्मरण किया जाये उनका जाप किया जाये। यह एक प्रकार से मन को साधने की यौगिक क्रिया भी है।

 

टैरो रीडर । अंक ज्योतिषी । वास्तु सलाहकार । फेंगशुई एक्सपर्ट । करियर एस्ट्रोलॉजर । लव एस्ट्रोलॉजर । फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजर । मैरिज एस्ट्रोलॉजर । मनी एस्ट्रोलॉजर । स्पेशलिस्ट एस्ट्रोलॉजर 

 

मान्यता यह भी है कि यदि किसी के लिये मौन रहना संभव न हो तो वह अपने विचारों में किसी भी प्रकार की मलिनता न आने देने, किसी के प्रति कोई कटुवचन न निकले तो भी मौनी अमावस्या का व्रत उसके लिये सफल होता है। सच्चे मन से भगवान विष्णु व भगवान शिव की पूजा भी इस दिन करनी चाहिये। शास्त्रों में इस दिन दान-पुण्य करने के महत्व को बहुत ही अधिक फलदायी बताया है। तीर्थराज प्रयाग में स्नान किया जाये तो कहने ही क्या अन्यथा गंगा मैया का जल जहां भी हो वह तीर्थ के समान ही हो जाता है। पहले मन में धर कर गंगा मैया का ध्यान, स्वच्छ जल में गंगाजल के कुछ छींटे देकर फिर करें स्नान। एक मान्यता के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है जिसके कारण इस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।

 

मौनी अमावस्या कैसे करें व्रत

  • पंडितजी कहते हैं कि व्रत उपवास के लिये सबसे पहली और अहम जरूरत होती है तन मन का स्वच्छ होना, अपने तन मन की बाह्य और आंतरिक स्वच्छता, निर्मलता के लिये ही इस दिन मौन व्रत रखा जाता है व दिन भर प्रभु का नाम मन ही मन सुमिरन किया जाता है। साथ ही प्रात:काल पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान किया जाता है।
  • स्नान के बाद तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्रादि किसी गरीब ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान दिया जाता है।
  • मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करने से भी उन्हें शांति मिलती है।

 

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