क्यों करते हैं मुंडन संस्कार? जानें 2023 के मुंडन संस्कार मुहूर्त

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क्यों करते हैं मुंडन संस्कार? जानें 2023 के मुंडन संस्कार मुहूर्त

सनातन धर्म में किसी मनुष्य के पूरे जीवनकाल में 16 संस्कारों को सम्पन्न किया जाता है। इन्ही सोलह संस्कारों जैसे विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन आदि में से एक संस्कार होता है मुंडन संस्कार। यह सोलह संस्कारों में से आठवां संस्कार है और हिन्दू धर्म में मुंडन संस्कार का विशेष महत्व है। मुंडन की परंपरा पुरातनकाल से चली आ रही है। नवजात शिशु का मुंडन संस्कार कराने के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी माना गया है। इस विशेष संस्कार को बालपन में ही संपन्न किया जाता है और हर बच्चे के लिए अनिवार्य होता है। सभी सोलह संस्कारों के क्रम और महत्व में शिशु के मुंडन संस्कार को एक आवश्यक संस्कार माना जाता है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए। मुंडन संस्कार से सम्बंधित किसी भी जानकारी के लिए एस्ट्रोयोगी पर देश के शीर्ष ज्योतिषियों से संपर्क करें!

क्या होता है मुंडन संस्कार?

भारतीय परंपरा में मुंडन संस्कार को महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 84 लाख योनियों के बाद मानव जीवन की प्राप्ति होती है। माता के गर्भ से नवजात शिशु के जन्म लेने के बाद शिशु के सिर के बाल उतारने को मुंडन संस्कार के नाम से जाना जाता है। सामान्यतौर पर, शिशु के जन्म लेने के बाद पहली बार बाल उतारे जाते है। मुंडन संस्कार को चौल कर्म भी कहा जाता है। 

कब करें मुंडन संस्कार?

जब सूर्य ग्रह मेष, वृषभ, मिथुन, मकर और कुंभ राशि में हो, तब मुंडन संस्कार को सम्पन्न करना शुभ माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, बालकों का मुंडन संस्कार सदैव तीसरे, पांचवे और सातवें आदि विषम वर्षों में करना चाहिए। इसके विपरीत, कन्याओं का चौल कर्म अर्थात मुण्डन संस्कार दूसरे, चौथे आदि सम वर्षों में करना चाहिए। किसी विशेष परंपरा के अनुसार, शिशु का मुंडन 1 वर्ष की आयु में भी करने का विधान है।

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आइये जानते हैं 2023 में मुंडन के लिए सभी शुभ मुहूर्त।

जनवरी 2023 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त  

  • 23 जनवरी 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 07:17 सुबह से 07:17 सुबह, 24 जनवरी 2023 तक (धनिष्ठा नक्षत्र में) 
  • 27 जनवरी 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 06:36 शाम से 07:15 सुबह, 28 जनवरी 2023 तक (अश्विनी नक्षत्र में)

फरवरी 2023 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त  

  • 03 फरवरी 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 06:18 सुबह से 06:58 शाम तक (पुनर्वसु नक्षत्र में) 
  • 10 फरवरी 2023 (मंगलवार), मुहूर्त- 07:58 सुबह से 07:06 सुबह, 11 फरवरी तक (हस्त नक्षत्र में)
  • 24 फरवरी 2023 (मंगलवार), मुहूर्त- 03:44 सुबह से 12:31 रात, 25 फरवरी तक (अश्विनी नक्षत्र में)

मार्च 2023 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त  

  • 01 मार्च 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 06:50 सुबह से 09:42 सुबह तक (मृगशीर्ष नक्षत्र में) 
  • 02 मार्च 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 12:43 दोपहर से 07:55 शाम तक (पुनर्वसु नक्षत्र में)
  • 09 मार्च 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 04:20 दोपहर से 09:21 सुबह तक 10 मार्च 2023 तक (हस्त नक्षत्र में) 
  • 18 मार्च 2023 (शनिवार), मुहूर्त- 02:46 रात से 06:31 सुबह तक (श्रवण नक्षत्र में)

अप्रैल 2023 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त 

  • 14 अप्रैल 2023 (शुक्रवार), मुहूर्त- 11:13 सुबह से 06:00 सुबह,15 अप्रैल 2023 तक (श्रवण नक्षत्र में) 
  • 24 अप्रैल 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 08:25 सुबह से 02:07 रात, 25 अप्रैल 2023 तक (मृगशीर्ष नक्षत्र में) 
  • 26 अप्रैल 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 11:28 सुबह से 01:39 दोपहर, 27 अप्रैल 2023 तक (पुनर्वसु नक्षत्र में) 

मई 2023 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त 

  • 03 मई 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 05:43 सुबह से 11:50 दोपहर तक (हस्त नक्षत्र में)
  • 08 मई 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 05:39 सुबह से 07:19 सुबह तक (ज्येष्ठ नक्षत्र में)
  • 11 मई 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 10:17 रात से 09:07 सुबह, 12 मई 2023 तक (श्रवण नक्षत्र में)
  • 17 मई 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 07:39 सुबह से 10:28 रात तक (अश्विनी नक्षत्र में)
  • 22 मई 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 05:31 सुबह से 10:37 सुबह तक (मृगशीर्ष नक्षत्र में)
  • 24 मई 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 05:30 सुबह से 03:01 रात, 25 मई 2023 तक (पुनर्वसु नक्षत्र में)
  • 30 मई 2023 (मंगलवार), मुहूर्त- 04:29 सुबह से 05:28 सुबह तक (हस्त नक्षत्र में)

जून 2023 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त 

  • 01 जून 2023 (गुरुवार), मुहूर्त- 01:39 दोपहर से 06:53 सुबह, 02 जून 2023 तक (स्वाति नक्षत्र में)
  • 07 जून 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 09:51 रात से 06:59 शाम, 08 जून 2023 तक (श्रवण नक्षत्र में)
  • 10 जून 2023 (रविवार), मुहूर्त- 03:09 सुबह से 05:26 सुबह तक (शतभिषा नक्षत्र में)
  • 14 जून 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 05:26 सुबह से 08:48 सुबह तक (अश्विनी नक्षत्र में)
  • 19 जून 2023 (सोमवार), मुहूर्त- 08:10 रात से 05:27 सुबह, 20 जून 2023 तक (पुनर्वसु नक्षत्र में) 
  • 21 जून 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 05:27 सुबह से 03:10 दोपहर तक (पुष्य नक्षत्र में)
  • 28 जून 2023 (बुधवार), मुहूर्त- 05:29 सुबह से 03:19 रात तक (चित्र नक्षत्र में)

मुंडन मुहूर्त के चयन के समय ध्यान रखने योग्य नियम

पंचांग के अनुसार, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ माह में बड़े बच्चे का मुंडन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, इन माह में जन्म लेने वाले बच्चे का मुंडन करने से बचें। मुंडन को आषाढ़ माह की एकादशी से पहले कर सकते है, साथ ही माघ एवं फाल्गुन माह में बच्चों का मुण्डन संस्कार करें। मुंडन संस्कार के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि को शुभ माना जाता है। सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार का दिन मुंडन के लिए शुभ माना गया हैं, लेकिन कन्याओं को मुंडन शुक्रवार के दिन नहीं करना चाहिए। मुंडन संस्कार के लिए अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्रों को शुभ माना जाता हैं। मान्यताओं के अनुसार,जन्म माह व जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन संस्कार करना वर्जित है।

मुंडन संस्कार की सही विधि?

  1. मुंडन संस्कार करवाते समय शुभ मुहूर्त को ध्यान में जरूर रखें।

  2. शुभ मुहूर्त पंडित या विशेषज्ञ के सुझाव पर निर्धारित किया जाना चाहिए। 

  3. आप इस संस्कार को घर या मंदिर कहीं भी आयोजित कर सकते हैं। 

  4. इस दौरान स्थल पर हवन का आयोजन किया जाता है।

  5. हवन के समय मां, बालक को अपनी गोद में लेकर बैठती हैं। 

  6. उसके मुख को हवन की अग्नि के पश्चिम दिशा की तरफ किया जाता है।

  7. सबसे पहले बच्चे के कुछ बालों को पंडित मंत्रों के उच्चारण के साथ काटते हैं।

  8. उसके बाद नाई, बच्चे के बचे हुए बालों को काटते हैं। 

  9. इस अवसर पर गणेश पूजा, हवन आदि को पंडित जी द्वारा संपन्न कराया जाता है।

  10. मुंडन समारोह के अंत में आरती की जाती है। 

  11. फिर नाई एवं पंडित को भोजन कराने के बाद दानदक्षिणा देकर विदा किया जाता है। 

कहां कर सकते हैं मुंडन संस्कार?

वैसे तो सभी लोग मुंडन संस्कार अपनी पारिवारिक परंपरा के अनुसार करते हैं। कुछ लोग अपने घर में पंडित को बुलाकर अपने बच्चे का मुंडन संस्कार करवा लेते हैं। तो कुछ लोग मंदिर या किसी धार्मिक स्थल पर जाकर करवाते हैं। हालांकि इसके अलावा मुंडन संस्कार को अधिकतर उत्तर भारत में गंगा किनारे, दुर्गा मंदिरों के आंगन में और दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर में संपन्न कराना अधिक शुभ माना जाता है। मुंडन होने के बाद बालों को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। 

मुंडन संस्कार का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, पूर्व जन्मों के समस्त ऋणों को उतारने और पिछले जन्मों के सभी पाप कर्मों से मुक्ति के उद्देश्य से शिशु के जन्मकालीन बाल को काटा जाता हैं और इस पूरी प्रक्रिया को मुंडन कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अतिरिक्त वैज्ञानिक दृष्टि के मुताबिक, जब शिशु माता के गर्भ में होता है तो उसके सिर के बालों में अनेक प्रकार के हानिकारक कीटाणु और बैक्टीरिया लग जाते हैं जो शिशु के जन्म के उपरांत बाल धोने से भी नहीं निकलते हैं। यही कारण है कि शिशु के जन्मे लेने के एक वर्ष के भीतर मुंडन अवश्य कराना चाहिए।

मुंडन संस्कार से होने वाले लाभ

यजुर्वेद में मुंडन संस्कार के बारे में कहा गया है कि, मुंडन संस्कार आयु, आरोग्य तेज, बल की वृद्धि और गर्भावस्था की अशुद्धियों को दूर करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है। मुंडन संस्कार सम्पन्न करने से बच्चों को दांत निकालते समय अधिक दर्द या परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। मुंडन संस्कार द्वारा बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य रहता है। ऐसा करने से उनका मस्तिष्क ठंडा रहता है और बच्चों को शारीरिक एवं स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न नहीं होती हैं। जन्मकालीन केश के उतारने के पश्चात सिर पर धूप पड़ने से बच्चे को विटामिन डी की प्राप्ति होती है जिससे कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह सुगमता से होता है।

अगर आप 2023 में शुभ मुंडन मुहूर्त से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से बात कर सकते हैं। 

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