सोलह संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है अन्नप्राशन संस्कार जिसके अंतर्गत शिशु को पहली बार अन्न खिलाया जाता है। अगर आप वर्ष 2022 में अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त ढूंढ रहे है तो अन्नप्राशन मुहूर्त 2022 देखें।
सनातन परंपरा में अन्न को देवता माना गया है। हर मनुष्य के लिए भोजन जरूरी है क्योंकि भोजन से ही शरीर को ऊर्जा एवं शक्ति प्राप्त होती है। यह हम सभी जानते है कि जब कभी कोई नवजात शिशु जन्म लेता है तो वह भोजन करने में असमर्थ होता है और माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। जैसे-जैसे बच्चे बड़ा होने लगता है उसे पर्याप्त पोषण की पूर्ति के लिए माँ के दूध के अतिरिक्त अन्य खाद्य पदार्थों की भी आवश्यकता होती हैं। हिन्दू धर्म में नवजात शिशु को प्रथम बार भोजन कराने की परंपरा को अन्नप्राशन संस्कार के नाम से जाना जाता है।
क्या है अन्नप्राशन संस्कार?
अन्नप्राशन शब्द की उत्पति दो शब्दों अन्न और प्राशन से मिलकर हुई है। अन्न का अर्थ भोजन और प्राशन का तात्पर्य प्रक्रिया से है। शिशु को पहली बार अन्न खिलाने की परम्परा को अन्नप्राशन संस्कार कहा जाता है। हिन्दू धर्म में वर्णित सोलह संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है अन्नप्राशन। मुंडन, कर्णवेध, विवाह और नामकरण संस्कार की तरह ही अन्नप्राशन संस्कार होता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अन्नप्राशन संस्कार को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे उत्तराखंड में भातखुलाई, बंगाल में मुखेभात और केरल में चोरूनु के नाम से विख्यात है। सामान्य रूप से नवजात के जन्म के छठे महीने में बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। अन्नप्राशन मुहूर्त से जुड़ीं किसी भी जानकारी के लिए आप एस्ट्रोयोगी पर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषियों से संपर्क करें।
क्यों विशेष होता है अन्नप्राशन मुहूर्त?
प्राचीन धर्मग्रंथों में मानव जीवन के महत्वपूर्ण 16 संस्कारों को परिभाषित किया गया है। मनुष्य के जन्म से पूर्व इन संस्कारों का आरंभ हो जाता है और जिनकी समाप्ति मरणोपरांत ही होती हैं। शास्त्रों में वर्णित 16 संस्कारों में से अन्नप्राशन को सांतवां संस्कार माना गया है, जिसे बच्चे के जन्म के 6 महीने बाद सम्पन्न किया जाता है। अन्नप्राशन संस्कार के अंतर्गत नवजात शिशु को पहली बार अन्न का सेवन करवाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस संस्कार के अंतर्गत ऐसा पहली बार होता है जब शिशु को भोजन करवाया जाता है। इस परंपरा के उपरांत बच्चा दूध के साथ अन्न का सेवन भी कर सकता है। अन्नप्राशन संस्कार को अत्यंत शुभ माना जाता है और इस समारोह के दौरान हवन या यज्ञ विधि के बाद बच्चे को पहली बार अन्न खिलाया जाता हैं।
कैसे करें शिशु का अन्नप्राशन?
किसी शुभ तिथि एवं मुहूर्त के चयन के बाद अन्नप्राशन तिथि पर सर्वप्रथम पूरे घर की साफ़-सफाई करके घर की शुद्धि करनी चाहिए।
अब नवजात शिशु के माता-पिता को स्नानदि करने के बाद नए वस्त्र धारण करने चाहिए और शिशु को भी नए वस्त्र पहनाएं।
इसके उपरांत अन्नप्राशन पूजा के लिए बैठे और सर्वप्रथम एक दीपक प्रज्जवलित करें।
अन्नप्राशन हवन के दौरान परिवार के सभी सदस्यों का शामिल होना आवश्यक माना गया है। इस पूजा में शिशु के माता-पिता के साथ परिवार के बड़ों का बैठना अनिवार्य होता है।
इस पूजा के दौरान पंडित जी उत्तर दिशा की तरफ बैठते हैं, वहीं माता-पिता शिशु को गोद में लेकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठे। सबसे पहले शिशु को पंडित जी खीर खिलाते हैं।
इस संस्कार के दौरान बच्चे को खिलाई जाने वाली खीर केवल परिवार की विवाहित स्त्रियों द्वारा ही बनाई जानी चाहिए।
पंडित जी के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों द्वारा बारी-बारी शिशु को खीर खिलाते है, साथ ही नवजात शिशु और नए माता-पिता को आशीष प्रदान करते है।
अन्नप्राशन मुहूर्त 2022 के दौरान, नवजात शिशु को खीर खिलाते समय माता-पिता को नीचे दिए गए मंत्रों का जप करना चाहिए।
शिवौ ते स्तां व्रीहीयवावबलासावदोमधौ।
एतौ यक्ष्मं वि बाधेते एतौ मुंचतौ अंहस:।।
इसके पश्चात एक महत्वपूर्ण रिवाज़ को सम्पन्न किया जाता है जिसमे शिशु के सामने रखी कई वस्तुओं में से एक वस्तु को उठाना होता है। ऐसा माना जाता है कि, शिशु द्वारा उठाई गई वस्तु शिशु के भविष्य की योजनाओं की तरफ इंगित करता है। अन्नप्राशन के दौरान चांदी की थाली में निम्नलिखित वस्तुओं को रखना आवश्यक माना गया है (चांदी की थाली न होने पर सामान्य थाली का उपयोग कर सकते है)।
अन्नप्राशन संस्कार प्रायः शिशु के छह महीने की अवधि से लेकर प्रथम वर्ष की अवधि तक कभी भी किया जा सकता है। इस संस्कार के दौरान पहली बार शिशु को ठोस खाना या अन्न का सेवन कराया जाता है। धर्मग्रंथ में कहा गया है कि आपके द्वारा चुनी गई अन्नप्राशन की तिथि का महीना किसी बालक के लिए सम और कन्या के लिए विषम होना चाहिए। इसके आधार पर एक नवजात कन्या का अन्नप्राशन उसके जन्म के सात महीने, नौ महीने या ग्यारहवें महीने में किया जाना चाहिए। इसके विपरीत, बालक का अन्नप्राशन उसके जन्म के छठे, आठवें और दसवें महीने में सम्पन्न करना चाहिए।
अन्नप्राशन मुहूर्त के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान
अन्नप्राशन संस्कार के लिए द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रियोदशी और पूर्णिमा तिथि को अत्यंत शुभ माना जाता है।
सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार का दिन अन्नप्राशन के लिए शुभ होता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त का चयन करते समय इस बात पर विशेष ध्यान दें कि चंद्रमा शिशु की जन्म राशि से चौथे और आठवें घर में स्थित न हो।
इसके अतिरिक्त कभी भी अन्नप्राशन संस्कार को उस नक्षत्र में नहीं करना चाहिए जिसमें शिशु का जन्म हुआ हो।
अन्नप्राशन संस्कार सम्बंधित सभी जानकारी प्रदान करने के बाद अब हम अन्नप्राशन संस्कार 2022 के माध्यम से तिथियां एवं मुहूर्त के बारे में जानेंगे जो इस प्रकार है:
अगर आप साल 2022 में अपने शिशु का अन्नप्राशन संस्कार करना चाहते है तो एस्ट्रोयोगी के अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त 2022 से तिथि एवं मुहूर्त का चयन कर सकते है।